खेत वही, मिट्टी वही, बुद्धि से हो रही सोयाबीन उत्पादन में वृद्धि

🔲 जिले में सर्वाधिक बोवनी होती है सोयाबीन की

🔲 तकनीक अपनाने वाले प्रगतिशील किसान हो रहे हैं मालामाल

हरमुद्दा
रतलाम, 15 जून। खेत भी वही है, मिट्टी भी वही है, लेकिन प्रगतिशील काश्तकार बुद्धि से सोयाबीन के उत्पादन में वृद्धि कर रहे हैं। सोयाबीन उत्पादन की नवीन पद्धति से प्रति हेक्टेयर 24 से 25 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन हो रहा है जबकि पुरानी पद्धति से 13 से 14 क्विंटल प्रति हेक्टर सोयाबीन का उत्पादन होता है।IMG_20200605_080254

परंपरागत रूप से खेती करने वाले काश्तकारों को कृषि विभाग और कृषि वैज्ञानिक नवीन तकनीक की जानकारी देते हैं लेकिन अधिकांश काश्तकार परंपरागत तरीके से ही खेती कर रहे हैं, नतीजतन न केवल उनका उत्पादन कम हो रहा है, अपितु आमदनी भी प्रभावित हो रही है। जो काश्तकार कृषि की नवीन तकनीकी को अपना रहे हैं। वे मालामाल भी हो रहे हैं।

79.066 फीसद हेक्टेयर में सोयाबीन बोवनी का लक्ष्य

सहायक संचालक कृषि डीआर माहौर ने हरमुद्दा को बताया कि जिले में खरीफ की फसल में सर्वाधिक बोवनी सोयाबीन की होती है। इस साल खरीफ फसल के लिए 3 लाख, 16 हजार 820 हेक्टेयर में बोवनी का लक्ष्य रखा गया है। इसमें केवल सोयाबीन की बोवनी का लक्ष्य 2 लाख, 50 हजार 500 हेक्टेयर का रखा गया है। रतलाम तहसील में 72 हजार, सैलाना तहसील में 13 हजार, तहसील में 13 हजार 500, जावरा तहसील में 50 हजार, पिपलोदा तहसील में 50 हजार तथा आलोट तहसील में 50 हजार 200 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन बोवनी का लक्ष्य रखा गया है।

इन क्षेत्रों में करते हैं नवीन तकनीक का इस्तेमाल

जानकारी के अनुसार सोयाबीन फसल लेने में नवीन तकनीक का इस्तेमाल रतलाम, बिरमावल, पलसोड़ी, करमदी, बिलपांक, सैलाना, बेड़दा, आलोट आदि क्षेत्रों में। नवीन तकनीक रिज बेज्ड तकनीक से सोयाबीन फसल का अच्छा उत्पादन ले रहे हैं। एक हेक्टेयर में 24 से 25 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन इस पद्धति से होता है। इस पद्धति से फसल लेने पर बीज की मात्रा कम लगती है। वहीं पानी भराव से बीज खराब भी नहीं होता है और उत्पादन अधिक होता है।

पुरानी पद्धति में ही ज्यादा रुचि

विडंबना यह है कि का उपयोग लगभग 3000 हेक्टेयर में ही हो रहा है। अधिकांश काश्तकार पुरानी परंपरागत पद्धति से ही उत्पादन ले रहे हैं। जिसमें प्रति हेक्टेयर 13 से 14 क्विंटल सोयाबीन का उत्पादन होता है।

अंतरवर्तीय फसलें भी लेना चाहिए किसानों को

सहायक संचालक कृषि श्री माहौर का कहना है कि किसानों को चाहिए कि वह सोयाबीन की फसल के साथ ही अंतरवर्तीय फसलें भी ले। उड़द, मूंग, अरहर जैसी फसलें भी लेना चाहिए। इनका समर्थन मूल्य भी अच्छा मिलता है। मूंग का समर्थन मूल्य जहां 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल है तो उड़द का 63 हजार रुपए प्रति क्विंटल हैं।

किसानों को सलाह

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किसानों को चाहिए कि खरीफ फसल की बोवनी के लिए क्षेत्र में कम से कम 4 इंच बारिश होना जरूरी है। इसके बाद ही बोवनी करना उचित है। इसके साथ ही। किसानों को चाहिए कि वे बीज उपचार और अंकुरण परीक्षण के बाद ही बोवनी करें। कटे-फटे बीज की बोवनी नहीं करें। अच्छे से ग्रेडिंग करें।

🔲 डीआर माहौर, सहायक संचालक कृषि, रतलाम

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