नई सोच: जातिवाद की लड़ाई जीत समाज को दी मिसाल
हरमुद्दा डॉट कॉम
जोधपुर। आखिरकार चूमा गांव में लोगों ने साथ आकर विचार विमर्श कर बिना केस-कचहरी समानता स्थापित कर ली। हुआ यूं था कि दस साल पहले जोगाराम करेला के बच्चों को एक नाई ने दुकान से बाहर निकाल दिया था। जोगाराम ने अपने साथ हुई घटना के बाद जातिगत भेदभाव के खिलाफ लड़ाई छेड़ दी। परिणाम स्वरूप अब मिसाल दी जा रही है। उन्हें बाहर कर दिया
जोगाराम करेला ने जातिवाद के खिलाफ जो लड़ाई छेड़ी, वह एक हेयरकट के साथ खत्म हुई। 2008 में उनके दो बेटे जोधपुर जिले चामू गांव में अपने एक रिश्तेदार के साथ नाई की दुकान पर गए थे, लेकिन उन्हें वहां से बाहरकर दिया गया क्योंकि वे मेघवाल समुदाय के थे। जोगाराम बताते हैं कि उनके बच्चों को नहीं पता था कि निचली जाति के लोगों के लिए अलग दुकानें होती हैं। जोगाराम का कहना है कि नाई उनके बच्चों को सीधे-सीधे बाल काटने से मना कर सकता था लेकिन उसने ‘नीच’ कहा।
ऐक्टिविस्ट बने जोगाराम
इस घटना के बाद टैक्सी ड्राइवर से ऐक्टिविस्ट बने जोगाराम की जातिवाद के खिलाफ जो लड़ाई शुरू हुई। वह 10 साल तक चली। आखिरकार नाई समुदाय के हाथों अनुसूचित जाति/जनजाति के भेदभाव को बंद कराने की दिशा में उन्होंने जीत हांसिल कर ली। चमड़ा निकलाने के अपने काम के कारण किसी समय अछूत माने जाने वाले मेघवाल अब अनुसूचित जाति में आते हैं। गौर करने वाली बात यह है कि नाई भी अन्य पिछड़ा वर्ग में आते हैं लेकिन फिर सामाजिक स्तर पर वह अनुसूचित जाति/जनजाति से ऊपर आते हैं।
21 दुकानों पर होती है कटिंग
आज चामू की 21 नाई की दुकानों पर हर तरह के लोगों के बाल काटे जाते हैं।
आते हैं साथ
दिलचस्प बात यह है कि जहां एक ओर दलित कार्यकर्ता पुलिस एफआईआर के डर से समानता बनाने की कोशिश करते हैं, चामू के निवासी 2,185 लोगों ने साथ आकर सदियों पुरानी इस प्रथा को खत्म करने का फैसला किया है। पश्चिमी राजस्थान में मजबूती से फैले जातिवाद को देखते हुए यह एक ऐतिहासिक कदम है।
आरोप तो यह भी
हालांकि, कुछ लोगों का आरोप है कि एससी एसटी समुदाय के कुछ लोग इंतजार करने या पूरे पैसे देने से इनकार कर देते हैं और फिर केस करने की धमकी देते हैं।
काउंसलिंग से समाधान
जोधपुर कमिश्नरेट की अडिशनल डेप्युटी कमिश्नर सीमा हिंगोनिया का मानना है कि केस दर्ज कराने से लंबे वक्त तक झगड़ा चलता है, जबकि चोमा केस एक मॉडल है कि कैसे काउंसलिंग और बातचीत से मामला सुलझाया जा सकता है।