आतंक को पनाह देने वाले देशों को कहना पड़ेगा कि वे इसे शह देना बंद करें : ओआईसी में सुषमा स्वराज ने कहा

हरमुद्दा डॉट कॉम
दिल्ली। यदि हमें मानवता को बचाना है तो आतंक को पनाह देने वाले देशों को कहना पड़ेगा कि वे इसे शह देना बंद करें। यही नहीं ऐसे राज्यों को उनकी सीमा में मौजूद आतंकी कैंपों को नष्ट करे और आतंकियों को फंडिंग और समर्थन देना बंद करें।

यह बात विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शुक्रवार को ऑर्गनाईजेशन ऑफ इस्लामिक को-ऑपरेशन की बैठक में कही। पहली बार भारत का प्रतिनिधित्व कर रहीं विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने आतंकवाद के खिलाफ जोरदार लड़ाई की अपील की है। बिना पाकिस्तान का नाम लिए सुषमा ने कहा कि आतंकवाद का दायरा बढ़ रहा है. आतंकवाद जिंदगियां तबाह कर रहा है। दुनिया भर के मुस्लिम देशों के प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए सुषमा स्वराज ने कहा कि भारत गांधी का देश है, जहां हर प्रार्थना शांति से खत्म होती है।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को धर्म से न जोड़े
सुषमा स्वराज ने अपने भाषण में आतंकवाद के खिलाफ भारत के एजेंडे को रेखांकित करते हुए कहा कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को किसी भी धर्म के खिलाफ जोड़कर नहीं देखा जाना चाहिए। आतंकवाद का समर्थन हमेशा धर्म के विद्रूप रूप को पेशकर किया जाता है। “आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई किसी भी धर्म के खिलाफ संघर्ष नहीं है, जैसा कि इस्लाम का मतलब शांति होता है, इसी तरह अल्लाह के 99 नामों में से किसी का मतलब हिंसा नहीं होता है। इसी तरह हर धर्म शांति और मित्रता की पैरवी करता है।”
वैदिक परंपरा का जिक्र
सुषमा स्वराज ने प्राचीन भारत की वैदिक परंपरा का उदाहरण दिया और कहा कि भारत ने हमेशा से बहुलतावाद को संरक्षण दिया है और उसे आत्मसात किया है क्योंकि ये हमारे धार्मिक संस्कृत ग्रंथों में लिखा है। ऋग वेद कहता है, ‘एकम सत्यम विप्रा बहुधा वदन्ति’. इसका मतलब होता है भगवान एक हैं, लेकिन विद्वान जन उन्हें अलग अलग नामों से पुकारते है।
खाली रही सीट
बता दें कि इस मीटिंग में भारत को बुलाने पर पाकिस्तान ने ओआईसी का बहिष्कार किया है। पाकिस्तान ने मांग की थी कि इस मीटिंग से भारत को बाहर किया जाए, पाकिस्तान की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया। ओआईसी की बैठक में पाकिस्तान की सीट आज खाली रही।

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