देश में एक ही ताकतवर व्यक्ति जो प्रधानमंत्री पर भी कर सकता है बेझिझक कार्रवाई, ढाई महीने तक रहेगा इनका पॉवर
हरमुद्दा डॉट कॉम
दिल्ली। चुनावी बिगुल बजने के साथ ही देश में आदर्श आचार संहिता का प्रभाव शुरू हो गया है। ऐसे में सभी शक्तियां एक ऐसे व्यक्ति के पास आ गई जो जरूरत पड़ने पर प्रधानमंत्री पर भी बेझिझक कार्रवाई कर सकता है। करीब ढाई महीने तक उन्हीं का राज रहेगा। हम देश के उन सबसे ज्यादा पॉवरफुल व्यक्ति के बारे में बात कर रहे हैं, जिनका नाम सुनील अरोड़ा है। श्री अरोड़ा निर्वाचन आयोग के मुख्य चुनाव आयुक्त है। अपने प्रशासनिक कार्यकाल के दौरान श्री अरोड़ा तत्काल निर्णय लेने और पक्के इरादों के लिए प्रसिद्ध थे।
17वीं लोकसभा के गठन के लिए लोकसभा चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान हो चुका है। मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने 10 मार्च (रविवार) को इसकी घोषणा की। चुनावों की घोषणा के साथ ही देशभर में आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है। अब चुनाव की पूरी प्रक्रिया समाप्त होने तक मुख्य चुनाव आयुक्त देश के सबसे ताकतवर शख्स हो गए है।
दिसंबर में संभाला पद
वरिष्ठ आईएएस अधिकारी सुनील अरोड़ा ने 2 दिसंबर, 2018 को चुनाव आयोग का मुख्य निर्वाचन आयुक्त का पद संभाला था। उन्होंने मुख्य चुनाव आयुक्त ओपी रावत की जगह संभाली थी। सुनील अरोड़ा भारतीय प्रशासनिक सेवा में अस्सी के बैच के ये रिटायर्ड अधिकारी इससे पहले कई अहम विभागों जैसे वित्त, टैक्सटाइल और योजना आयोग के लिए भी काम कर चुके हैं। अपने प्रशासनिक कार्यकाल के दौरान श्री अरोड़ा त्वरित फैसला लेने और मजबूत इरादों के लिए जाने जाते थे।
बेहद आम बच्चों सा रहा बचपन
श्री अरोड़ा का जन्म 13 अप्रैल 1956 को पंजाब के होशियारपुर में हुआ था। शुरुआती शिक्षा होशियारपुर के विद्या मंदिर स्कूल और दयानंद मॉडल स्कूल से हुई, जिसके बाद डीएवी और वहां से डीएवी कॉलेज होशियापुर से श्री अरोड़ा ने ग्रेजुएशन की। इसके बाद पंजाब यूनिवर्सिटी से अंग्रेजी से एमए करने के बाद वे यूनिवर्सिटी में अंग्रेजी पढ़ाने लगे।
महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर भाई
मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा 1980 में राजस्थान कैडर से आईएएस श्री का पारिवारिक माहौल पढ़ाई-लिखाई से ही संबंधित रहा। पिता इंडियन रेलवे में काम करते, जबकि मां होशियारपुर के ही डीएवी कॉलेज में थीं। इसका असर बच्चों पर भी पड़ा। श्री के अलावा दोनों भाई भी महत्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर हैं। प्रशासनिक अनुभव की कोई सानी नहीं। जब पिछले साल आखिरी महीने में नए मुख्य चुनाव अधिकारी की नियुक्ति हुई तब ऐसी चर्चाएं हुई कि उनकी नियुक्ति बेहद संवेदनशील समय में हो रही है। क्योंकि आने वाले साल लोकसभा चुनाव होने थे। अब जब वही परिस्थिति सिर पर हैं तो ऐसा माना जा रहा है कि श्री अरोड़ा अपने पद व उसकी गरिमा का बखूबी पालन करेंगे, क्योंकि इसके पीछे उनका लंबा प्रशासनिक अनुभव है।
लंबा अनुभव कामकाज का
श्री अरोड़ा के पास सरकारी कामकाज का लंबा अनुभव है। आईएएस की नौकरी के दौरान राजस्थान के धौलपुर, अलवर, नागौर और जोधपुर जैसे जिलों में तैनात रह चुके अरोड़ा 1993-1998 के दौरान मुख्यमंत्री के सचिव पद पर थे। इसके अलावा 2005 से 2008 तक वे मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव भी रहे।
संभाल चुके हैं महत्वपूर्ण पद
गहरी प्रशासनिक समझ रखने वाले इस अधिकारी को समय-समय पर महत्वपूर्ण पद मिलते रहे। श्री अरोड़ा ने राज्य के सूचना एवं जनसंपर्क, उद्योग एवं निवेश विभागों में भी अपनी सेवाएं दी हैं. उन्होंने नागरिक विमानन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के पद पर भी अपनी सेवाएं दी हैं। वह पांच साल तक इंडियन एयरलाइंस के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक भी रह चुके हैं।
तो भी महत्वपूर्ण भूमिका
श्री अरोड़ा यूं तो अप्रैल 2016 में रिटायर हो गए थे, लेकिन उनकी दूरदर्शिता और चुनावी मामलों पर पकड़ को देखते हुए उन्हें पोस्ट-रिटायरमेंट भी लगातार जोड़ा रखा गया। 60 पार का ये अफसर अब बतौर मुख्य चुनाव आयुक्त आगामी बेहद अहम आम चुनावों में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाने जा रहे हैं।