वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे ग़लत परंपराएं बदल सकता है शहर -

रतलाम में दशहरे को लेकर कुछ ग़लत परंपराएं प्रचलित हैं, जिन्हें सुधारने का यह उचित अवसर है। इस वर्ष दशहरे पर रावण दहन सांकेतिक रूप से किया जा रहा है, नागरिकों का जमावड़ा भी नहीं होगा ऐसे में अभी सही समय है कि इन प्रचलित गलत परंपराओं को सुधारा जाए।

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🔲 ग़लत – शहर में रावण दहन प्रतिवर्ष रात्रि में किया जाता है । रावण दहन का समय सामान्यतया रात्रि 8:00 बजे बाद से 9:30 बजे के मध्य होता है । कभी-कभी इससे अधिक समय भी हो जाता है। यह अनुचित है। शास्त्रों एवं धार्मिक मान्यताओं के अनुरूप किसी का दाह संस्कार सूर्यास्त के पश्चात नहीं किया जाता है। सूर्यास्त के बाद युद्ध भी नहीं होता। ऐसे में रावण दहन भी सूर्यास्त पूर्व किया जाना चाहिए।

🔲 लाभ : यदि ऐसा होता है तो कई लाभ भी होंगे। पहला तो यह कि धार्मिक मान्यताओं का पालन होगा। दूसरा लाभ यह होगा कि सूर्यास्त पूर्व रावण दहन होने से शहर के अधिकांश लोग आराम से रावण दहन को देख सकेंगे। तीसरा लाभ होगा कि रावण दहन के पश्चात नागरिक मेले का आनंद भी ठीक तरह ले पाएंगे।

🔲 ग़लत– शहर में प्रभु श्री राम जी की सवारी निकाली जाती है। रावण को मारने के लिए श्री राम अपने अनुज लक्ष्मण और वीर हनुमान के साथ सवारी के रूप में शहर भ्रमण करते हुए दहन स्थल पर पहुंचते हैं। होना यह चाहिए कि विजय जुलूस रावण दहन के बाद निकले। सूर्यास्त पूर्व रावण दहन होगा उसके पश्चात रावण दहन स्थल से ही विजय जुलूस निकलें।

🔲 लाभ : अभी अक्सर सवारी भ्रमण में देरी होने से रावण दहन या तो देरी से हो पाता है या सवारी जल्दी-जल्दी निकाली जाती है। जिससे शहर के नागरिक उसका लाभ नहीं ले पाते हैं। यदि यह विजय जुलूस के रूप में रावण दहन के पश्चात निकले तो पूरे शहर में आराम से जुलूस निकलेगा। इसमें वे लोग भी शामिल हो सकेंगे जो रावण दहन स्थल पर मौजूद होंगे। अधिक से अधिक लोग इस विजय जुलूस से जुड़ेंगे।

🔲 ग़लत– वर्तमान में श्री राम जी की सवारी जैसे ही दहन स्थल पर पहुंचती है वहां मौजूद अतिथियों द्वारा श्री राम जी, लक्ष्मण जी और हनुमान जी का स्वागत अभिनंदन किया जाता है। रावण दहन से पूर्व इसका कोई औचित्य नहीं है। अभिनंदन रावण संहार के बाद हो।

🔲 लाभ : रावण दहन के पश्चात यदि यह सत्कार किया जाए तो यह विजय की शुभकामना के रूप में होगा। जब शहर से श्री राम जी का विजय जुलूस निकलेगा तो नागरिक भी उनका स्वागत अभिनंदन कर सकेंगे।

🔲 ग़लत – अभी रावण दहन से पूर्व रंगारंग आतिशबाज़ी की जाती है। आतिशबाज़ी उल्लास का प्रतीक है। रावण दहन से पूर्व आतिशबाजी होना उल्लास का कारण नहीं हो सकता । रावण दहन जब हो जाएगा तो उसके पश्चात आतिशबाजी की जानी चाहिए ।

🔲 लाभ : यह रावण दहन के पश्चात विजयी उल्लास का प्रतीक होगा। दहन के उपरांत अंधेरा भी होने लगेगा, लोग आतिशबाज़ी का आनंद ले सकेंगे। वर्तमान में रावण दहन के पश्चात भीड़ एकदम स्थल से बाहर निकलती है, उसे रोकने में भी मदद मिलेगी, यानी ‘क्राउड मैनेजमेंट’ भी हो सकेगा ।
बदलाव मुश्किल होते हैं, ख़ासकर धार्मिक, परंपरागत व्यवस्थाओं में परिवर्तन सहज स्वीकार्य नहीं होते। मगर यह मानते हुए कि श्री राम ने ही इस संकट के समय में इन बदलावों के लिए अवसर दिया है, इन्हें सर्वहित में किए जाने चाहिए।
🔲 आशीष दशोत्तर

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