🔲 ठोस तथ्यों के आधार पर अर्जी में दिए दमदार-वजनदार तर्क

हरमुद्दा
नई दिल्ली, 29अक्टूबर। सोश्यल एक्टिविस्ट और स्वत्रंत लेखिका माधवी तेजस्विनी ने हाल ही में राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग, नई दिल्ली को एक तथ्य आधारित विस्तृत अर्ज़ी भेजकर भारत में हो रहे बलात्कार के झूठे केसों में फंसे तमाम पुरुषों को न्याय दिलाने की मांग की है।

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ज्वलंत मुद्दे पर माधवी का कहना है उसने यह मांग मानव अधिकार के लिए कार्यरत रहने वाली भारत की दो प्रमुख संस्थाओं से इसलिए की है ताकि कई पुरुष जो बलात्कार के झूठे केसों में बुरी तरह फंस जाने के कारण जेलों में बंद हैं और कई वर्षों तक न्याय की प्रतीक्षा में अपनी ज़िन्दगी का कीमती समय, शक्ति और पैसा खो रहे हैं ….उन सभी को शीघ्र न्याय दिलाने में यह मानव अधिकार संस्थाएं हस्तक्षेप कर सकें। ताकि ऐसे गंभीर आरोपों के कारण निर्दोष होते हुए भी सज़ा काट रहे पुरुषों व उनके परिवारों की जिंदगियों से खिलवाड़ होना तत्कालीन बंद हो। उन निर्दोष पुरुषों को शीघ्र न्याय मिल सके। उनका सम्मान वापस लौट सके और वे अपने सामाजिक व पारिवारिक उत्तरदायित्व का निर्वहन सम्पूर्ण ऊर्जा के साथ कर सके।

कानूनों का जमकर दुरुपयोग गम्भीर

माधवी ने अपनी अर्जी में बताया है कि कैसे भारतीय समाज एक गंभीर उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है क्योंकि राष्ट्र में महिला-केंद्रित कानूनों का राष्ट्र के सामाजिक ताने-बाने को नष्ट करने के लिए पूरी तरह से दुरुपयोग किया जा रहा है ! महिला सुरक्षा कानूनों में से मुख्य रूप से बलात्कार के कानूनों के भारी दुरूपयोग द्वारा पुरुषों और उनके परिवारों के जीवन को नष्ट किया जा रहा है। उन्हें मानसिक और शारीरिक आघात सहित विभिन्न प्रकार के नुकसान पहुंचा। रहे हैं, जिसकी भरपाई जीवनभर हो पाना कठिन है। एक वजह यह है कि झूठे फर्जी बलात्कार के केस में फँसाये गए हजारों पुरुष आत्महत्या भी कर रहे हैं ।

अचानक बढ़ गए बलात्कार केस!

भारत दुनिया के उन दुर्लभ राष्ट्रों में से एक है, जिनके पास महिलाओं की सुरक्षा और उनके विकास और सशक्तीकरण हेतु सामाजिक-कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए अधिकतम संख्या में कानून हैं लेकिन दुर्भाग्य से महिलाओं की रक्षा के लिए बनाए गए इन कानूनों का उनके द्वारा उल्टे उद्देश्यों के लिए अत्यधिक दुरुपयोग किया जाता है। जैसे कि पुरुषों के खिलाफ बदला लेने या षड्यंत्र करने के हथियार के तौर पर, पैसे एंठने/ ब्लैकमेलिंग के लिए या विवाह से मुकरने के प्रतिशोध में। भारत में हाल के समय में (पिछले 7-8 वर्षों से), राजनेताओं, आध्यात्मिक संतों, फिल्म और टेलीविज़न जगत की जानी मानी हस्तियों और बड़े उद्योगपतियों व अत्यधिक प्रतिष्ठित सामाजिक प्रतिष्ठा व आचरण रखने वाले पुरुषों के खिलाफ बलात्कार के आरोपों में अचानक वृद्धि हुई है! यह एक गंभीर विषय है और तो और न्यायतंत्र के दिग्गज न्यायाधीशों को भी इस आघात का सामना करना पड़ा है।

कथित आरोपी के सामने निर्दोषता का संकट

वर्तमान समय में स्थिति ऐसी है कि कोई भी पुरुष जो अपना उद्योग या कंपनी चलाता है। आज वह अपने ऑफिस में महिला कर्मचारी को रखने से बहुत डरने लगे है क्योंकि सख्त कानूनों के तेहत केवल महिला के मौखिक बयान के आधार पर ही किसी भी पुरुष पर यह आरोपित किया जा सकता है कि उसने बलात्कार किया है और यह पुरुष को सिद्ध करना है कि उसने बलात्कार नहीं किया है। आश्चर्य तो तब होता है कि जब मेडिकल रिपोर्ट जैसे सबसे महत्वपूर्ण तथ्य व मेडिकल ऑफिसर के अत्यंत आवश्यक बयान के बिना भी रेप के आरोप को सत्य बता दिया जाता है और किसी निर्दोष पुरुष को झूठे आरोप में फंसा कर उसकी छवि, उसकी ज़िन्दगी चुटकियों में खराब कर दी जाती है….!

बहुत देर हो जाती है तब तक

कई वर्षों तक बेवजह जेल की सलाखों के पीछे भयंकर माहौल में मानवाधिकारों के हनन को झेलते हुए….निलंबित न्याय की प्रतीक्षा में कारावास का अत्यंत पीड़ाजनक समय काटना पड़ता है और जब वर्षों बाद न्याय मिलता है पुरुष निर्दोष बरी होता है, तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। उसकी सामाजिक प्रतिष्ठा, पैसा, अमूल्य समय का भारी नुकसान हो चूका होता है और उसके मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य के साथ पारिवारिक स्थिति में भी भारी गिरावट आ जाती है। ऐसे में न्याय तंत्र का भी धीरे धीरे कार्य करना और कोरोना महामारी के चलते न्यायालय का 7 माह के लंबे समय से अधिकतर बंद रहना या फिर पूर्ण स्टॉफ के साथ कार्यरत न होना…. बहुत से निर्दोष पुरुषों को न्याय दिलवाने में देरी कर रहा है।

हनी ट्रैप के चौकानें वाले कई मामले

माधवी ने अपनी विस्तृत अर्जी में हनी ट्रैप के कई मामलों का उल्लेख किया है जिनके माध्यम से प्रतिष्ठित पुरुषों की समाज में छवि धूमिल करने का बड़ा घिनौना षड्तंत्र रचा जा रहा है। इस अर्जी में माधवी ने मेडिकल फील्ड से सम्बंधित विशषज्ञों की जांच रिपोर्ट भी शामिल की हैं, जो रेप केस के दुरूपयोग के चौंका देने वाले तथ्यो और केस स्टडीज द्वारा यह सिद्ध करती हैं कि किस प्रकार कितने निर्दोष पुरुषों को प्रताड़ित व बर्बाद किया जा रहा है. यही कारण से पुरुषों द्वारा होने वाली आत्महत्याओं की संख्या बढ़ रही है। सभी रियल टाईम केस स्टडीज के उल्लेख में माधवी तेजस्विनी ने अपनी अर्जी में संत आशाराम बापू व उनके पुत्र नारायण साईं के केस स्टडीज का भी ज़िक्र करते हुए उनके लिए भी राहत की मांग उठायी है।

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