🔲 1 नवंबर से फूड लाइसेंस नई दिल्ली से बनेगा

🔲 एफएसएसएआई ने निकाला आदेश

हरमुद्दा
दिल्ली, 31 अक्टूबर। अब चाय-समोसा समेत कोई भी खाद्य सामग्री बनाने व बेचने के लिए लाइसेंस लेना या ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कराना होगा। यह कदम आमजन को सेहत के लिए गुणवत्तायुक्त खाद्य सामग्री मुहैया कराने के उद्देश्य से उठाया गया है।

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देशभर के फूड व्यापारी को अब 1 नवंबर, 2020 से फूड लाइसेंस उन्हें जिले स्तर का अधिकारी नहीं दे सकेगा। फूड लाइसेंस के लिए उन्हें फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड आथोरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) नई दिल्ली का दरवाजा खटखटाना होगा। इसके साथ ही पापड़, समोसा कचौरी, नमकीन व मिठाई के व्यापार को प्रोपराइटर एक्ट में शामिल करने से कई ऐसी शर्तें इसमें जुड़ गई हैं। अभी तक सालाना 2 हजार किलो माल से कम उत्पादन करने वाले व्यापारी को फूड लाइसेंस हर जिले का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दे सकता था। 2 हजार किलो सालाना उत्पादन होने पर लाइसेंस की प्रक्रिया एफएसएसआई, नई दिल्ली से ही होती थी। ऐसे में इस आदेश से बड़े व्यापारियों को कोई परेशानी नहीं आएगी। 2 हजार किलो से कम जिस व्यापारी का भी सालाना माल का टर्न ओवर कम है, उन सभी अब नए लाइसेंस लेना होगा।

करना होगा यह

सबसे छोटी दुकानें कचौरी बनाने की होती है। एक कचौरी बनाने वाले को सबसे पहले 7500 रुपए फीस देकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। उसे बीएस एसी केमेस्ट्री पास युवक को तकनीकी इंचार्ज की नियुक्ति देनी होगी, जो उसके बने हर माल की जांच करेगा। 4-5 हजार रुपए देकर पानी की जांच करवाकर उसकी रिपोर्ट सब्मिट करनी होगी।

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जांच के लिए दिल्ली से आएंगे जानकार

दुकान की हर खिड़की व दरवाजे पर पर्दा लगाना होगा। 6 फीट की ऊंचाई तक ग्लेज टाइल्स लगानी होगी। काम करने वाले आदमियों को हैंडकैप, एप्रिन व हैंड ग्लव्ज पहनने होंगे। प्रोडक्शन एरिया, रॉन मेटेरियल एरिया, तैयार माल का एरिया व स्टोर अलग-अलग दिखाने होंगे। जांच के लिए इंस्पेक्टर दिल्ली से आएगा।

आपत्ति आने पर दिन बढ़ते रहेंगे आगे

ऑनलाइन आवेदन करने के बाद व्यापारी अपना काम शुरू कर सकेगा, किसी कारण लाइसेंस नहीं मिला तो दुकान बंद होगी। 60 दिन में प्रक्रिया पूरी होगी, एक आपत्ति आई तो वे दिन आगे बढ़ते जाएंगे।

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