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गुमराह के हुए शिकार : गलती की जिला प्रशासन ने और सजा भुगत रहे हैं आमजन, बुजुर्ग छोड़ गए साथ

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🔲 हेमंत भट्ट

रतलाम, 29 नवंबर। उपचुनाव जीतने और त्योहार को उठाने के चक्कर में आमजन को सरकार और प्रशासन ने गुमराह कर दिया गया। आंकड़ों की बाजीगरी में आमजन फस गए और संक्रमण का शिकार हो गए। गलती जिला प्रशासन ने की और अब सजा आमजन भुगत रहे हैं। कहीं पर परिवार के बुजुर्गजन साथ छोड़ गए हैं, सैकड़ों बुजुर्ग संक्रमण की चपेट में आए हैं। बेकाबू कोरोना वायरस ने आम जनजीवन को सकते में डाल दिया है। फिर से अब सजा भुगतने को मजबूर हैं। कंटेनमेंट क्षेत्र बना कर घर में कैद किया जा रहा है जबकि खुल्लम खुल्ला मखौल जिला प्रशासन ने उड़ाया। करे कोई भरे कोई वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। लेकिन इस मुद्दे पर कोई बोलने वाला नहीं है। सभी के मुंह में दही जमा हुआ है चाहे वे जिम्मेदार जनप्रतिनिधि ही क्यों ना हो? वह भी प्रशासन का कंधे से कंधा मिलाकर साथ दे रहे हैं।

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उनको नहीं मिलेगी कोई सजा

जब जनप्रतिनिधि साथ हो तो फिर अधिकारी वर्ग को क्या दिक्कत है तो अपनी मनमानी करेंगे ही। वे हद दर्जे की लापरवाही करें, उनको कोई सजा नहीं मिलेगी। सजा तो केवल आमजन को ही मिलेगी।

जिम्मेदार उनको सलूट मार कर निकल जाते मुस्कुराते हुए

चाहे खराब सड़कें हो, भरी हुई नालिया हो, गंदी सड़कें हो? अतिक्रमण की बहार हो, करोड़पतियों चार पहिया गाड़ियां सड़कों पर आराम फरमा कर रहे। सुगम यातायात में भले ही बाधके बने। जिम्मेदार उनको सलूट मार कर मुस्कुराते हुए निकल जाते हैं। फिर भी न देखेंगे, ना सुनेंगे, ना सोचेंगे, ना समझेंगे? ना कार्रवाई करेंगे। धन्ना सेठ के आगे सभी नतमस्तक हैं।

रंगोली बनाई सफाई व्यवस्था चरमराई

नगर निगम के जिम्मेदारों का अब सारा ध्यान रंगोली बनवाने और फोटो खिंचवाने पर केंद्रित हो गया है। शहर की सफाई व्यवस्था चरमरा गई है। ना समय पर झाड़ू निकल रही है और नहीं कचरे की गाड़ियां कचरा संग्रहण के लिए आ रही है। इस मुद्दे पर ध्यान देने वाले जिम्मेदार न जाने कहां पर जाकर बैठ गए हैं। कचरा डालने पर आमजन से जुर्माना राशि वसूल करने में सक्रियता दिखाने वाले नगर निगम के आला अफसर कचरा संग्रहण करने वाले कर्मचारियों पर लगाम कसने में नाकारा साबित हो रहे हैं। जब कचरा संग्रहण करने वाले ही तय समय पर नहीं पहुंचेंगे तो आमजन कचरा कब तक अपने घर में एकत्र करके रखेगी, उसे तो कचरा स्थल पर ही कचरा फेंकना मजबूरी है। मगर यह बात उनके जेहन में न जाने कब आएगी?

जुर्माना वसूल करने वाले व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद नकारा

जुर्माना वसूल करने वाले अपनी व्यवस्थाओं को चाक-चौबंद नहीं कर पा रहे हैं। कई क्षेत्रों में सुबह का नजारा देख लीजिए। सफाई कर्मचारी ही सड़क के आसपास कचरा लगाकर नौ दो ग्यारह हो जाते हैं। कई स्थानों पर तो कचरे में आग लगा दी जाती है और क्षेत्र में वातावरण दूषित कर दिया जा रहा है।

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