🔲 आशीष दशोत्तर

समय कब गुज़र जाता है पता ही नहीं चलता। लगता है जैसे कल ही की बात हो। कितनी मेहनत से उन्होंने अपने सम्मान की रूपरेखा बनाई थी। आयोजक, प्रायोजक, संयोजक की भूमिका स्वयं ही निभाई थी। सम्मान की सूचना घर जा-जा कर लोगों तक पहुंचाई थी। फिर भी मुश्किल से आठ लोग ही सम्मान समारोह में पहुंचे थे। इनमें से तीन मुहल्ले के ही थे और पांच स्वल्पाहार के प्रस्ताव के आगे पराजित हो कर आए थे। आयोजन स्थल उनका निवास ही था।

सभी तैयारियां उन्होंने खुद ही की थी। उस पहले सम्मान की स्मृतियां उनकी आंखों में आज भी विद्यमान है। उस आयोजन की एल्बम पच्चीस साल से उनके ड्राईंग रूम की टेबल पर रखी हुई है। इस एल्बम को वे खुद तो रोज देखते ही हैं, आने वाले को अवश्य दिखाते हैं। इस पहले सम्मान के बाद उनकी प्रतिभा को कोई पहचान ही नहीं पाया। कहीं सम्मान नहीं हुआ। इक्का-दुक्का आयोजन में जाने का मौका कभी मिला मगर ऐसा कोई काम नहीं हो पाया जिसका ‘एल्बम‘ तैयार किया जा सके। पिछले दिनों घर में रहने की मजबूरी ने उन्हें और बेचैन कर दिया। साल भर से कोई आयोजन नहीं। आॅनलाईन वालों ने अलग चिढ़ा रखा है। हर आयोजन आॅनलाईन हो रहे हैं। वे इस नई पद्धति से बिल्कुल अनजान,अनभिज्ञ। करे तो क्या? इस एक साला अज्ञातवास के बाद जैसे ही उन्हें गुंजाइश दिखाई दी, उन्होंने अपने प्रथम सम्मान का रजत जयंती उत्सव मनाने की योजना बनाई। अपने पच्चीस साल के ‘लिखलिखी‘ सफर में उन्होंने जो कुछ समझा और जाना उसका सार वे अक्सर दो लाईनों में बताया करते हैं,

कागद कारे करि-करि, लेखक हुआ न कोय

आयोजन जो स्वयं करे,उससे बड़ा न कोय।

लोग कहते हैं समय बदल गया है मगर उनकी नज़र में कुछ नहीं बदला। रजत जयंती उत्सव का स्थान आज भी उनका घर ही तय हुआ। आयोजक,प्रायोजक, संयोजक की भूमिका में आज भी उन्हें खुद ही निभाना थी। अपने लिए हार, सम्मान पत्र ,शाल, श्रीफल को प्रबन्ध उन्हें ही करना था। स्वल्पाहार अब पूर्णाहार में परिवर्तित हो चुका था, इसलिए होटल से भोजन के पैकेट लाने का जिम्मा भी उन्हीं का था। आने वाले भी लगभग उतने ही संभावित थे जितने पहले सम्मान में आए थे। अपना परिवार बसाने का उन्हें मौका मिला नहीं इसलिए ये आमंत्रित ही उनका परिवार था।

अंततः आयोजन वाला दिन आ ही गया। उन सहित आठ लोगों की गरिमामयी उपस्थिति में रजत जयंती उत्सव मनाया गया। साहित्य के प्रति नई पीढ़ी की अरूचि से शुरू हुआ आयोजन भोजन के पैकेट की खूबसूरती और सब्ज़ी में कम नमक की चर्चा के साथ सम्पन्न हुआ। इस बीच पांच मिनट में उनका सम्मान भी हुआ। फोटो सेशन हुआ। वर्चुअली, एक्चुअली ,नैचुरली एंगल से फोटो खींचे गए। आयोजन के फोटो सोश्यल मीडिया पर तुरंत छा गए। अखबारों में अगले दिन उनका सम्मान समारोह सुर्खियों में था। रजत जयंती उत्सव का एक और एल्बम बनकर तैयार हो चुका था। यह एल्बम अब उनकी टेबल पर रखा जा चुका है। गोल्डन जुबली समारोह से पहले इसके यहां से इसके हटने की उम्मीद कम ही है। - 12/2, कोमल नगर, बरबड़ रोड़ रतलाम -457001 मोबा. 98270 84966

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