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 मंजुला पांडेय

    भाल में सुधाकर जिसके साजे।
        कर न्यून शुभ्रांशु वेग को
    सृष्टि संरक्षण के उद्देश्य हित में
    जटा-जूट उसके शीतांशु नाचे।

    काल कूट निज कंठ समा के
रखे वो ! सबको बुरे कर्म से बचा के
  गलई  में उसके सर्प हैं  विराजे
  उसने ही ब्रह्म को सृष्टि संरक्षण
              भेद समझाया।
   शिव-शिवा दोनो को दर्शा कर
   अर्धनारीश्वर का रूप दिखाया।
        लगा भस्म तन मेंअपने

  बाघाम्बर को निज अंग लगाया।
  ऐसे देवों के देव एक महादेव हैं
जिसने त्रिप्रवृत्ति सत, रज,तम पर       
धर त्रिशूल!रखो स्व नियंत्रण का
इस जग में ज्ञान-प्रकाश फैलाया।

भोले, शांत, पुरुषार्थ प्रतीक ऐसी
    जिनकी है नंदी की सवारी
वारि जाय जिस पर ये सृष्टि सारी
उस ऐसे भोले बाबा के गठबंधन
दिवस पर बन बाराती सृष्टि का
  हर प्राणी हो मद-मस्त है नाचे।

  आओ ! सखा-सखी तुम आओ
     मिलकर हम-तुम सब अब      
          मंगल गीत हैं गाते।
    एक दूजे को देकर बधाईयां
      शुद्ध ह्रदय से पावन रात्रि
       शिवरात्रि सब हैं मनाते।

 मंजुला पांडेय
पिथौरागढ़(उत्तराखंड)

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