होली मिलन उत्सव में बिखरे शायरी के रंग

हरमुद्दा
रतलाम, 22 मार्च। शहर के उभरते शायर दिनेश चंद्र उपाध्याय “दीपक” द्वारा होली मिलन उत्सव एवम् साहित्य सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। इंदौर के मशहूर शायर बालकराम ‘शाद’ कार्यक्रम के मुख्य आतिथि एवं डॉ. प्रकाश उपाध्याय (जावरा) विशेष अतिथि थे।


प्रारंभ में उपाध्याय ने अतिथियों का स्वागत शाल श्रीफल एवम् पगड़ी पहनाकर किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए शायर सिद्दीक़ रतलामी ने कहा – इस तिरंगे के तले ऐलान होना चाहिए, आस्था कोई भी हो सम्मान होना चाहिए।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बालक राम शाद ने अपनी ग़ज़ल जिंदगी है किसी रक्कासा कि तरह,नाचती है गाती है सहर होने तक ने श्रोताओं से बहुत दाद बटोरी
शायर फजल हयात जावरा ने कहा- कभी कभी जो तेरे रुख की दीद होती है,सुना है चांद सितारों की ईद होती है।

गीतकार डॉ. प्रकाश उपाध्याय जावरा ने गीत प्रस्तुत करते हुए कहा – क्यूँ होती है झील में हलचल तुम जानो या में जानू।

कवि लक्ष्मण पाठक ने कहा- मैंने लिखी कई कविताएं एक से बढ़कर एक, हर पंक्तियों में अलंकार और उपमाएं भी अनेक।

गीतकार हरिशंकर भटनागर ने अपने गीत में कहा- तूफान तो आते रहते है,हम जश्न मनाना क्यूँ छोड़ें,सागर की लहरों से डर कर अब नाव चलाना क्यूँ छोड़ें।

शायरा आशा उपाध्याय ने मधुर ग़ज़ल पढ़ते हुए कहा- जब तुम्हे याद याद हमारी कभी, “आशा” के दीप को तुम जलाया करो।

आशीष दशोत्तर ने अपनी ग़ज़ल में कहा – एकता की क्या करें उम्मीद उस नादान से, जो अलग करने चला है कृष्ण को रसखान से।
शायर दिनेश “दीपक” ने कहा – जो मिला वो तुम्हारी किस्मत हैअपनी किस्मत को कोसना कैसा।
वरिष्ठ शायर शब्बीर राही ने रामायण की महत्ता को रेखांकित किया वहीं, अब्दुल सलाम खोकर ने अपने गीत में कहा- चांदनी में रात काली धुल जाएगी। गोष्ठी में मधुकर मनोहर, दिलजीत, अमीरूद्दीन अमीर, नदीम खान, डॉ.विजय सक्सेना ने बेहतरीन रचनाओं की प्रस्तुति दी। अंत में प्रांजल उपाध्याय ने आभार व्यक्त किया।

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