🔲 घर की दहलीज के बाहर खुशियां बांटी ना, तो “बगैर मास्क” वालों को यमराज कोरोना नहीं छोड़ेगा

🔲 दिनेश सविता

वर्तमान कोरोना युग है, जो दो साल से चल रहा है और एस्पायरी डेट अभी तय नहीं भी नहीं है, लेकिन विज्ञान, धर्म और समय की बात गीता के ज्ञान में सही साबित हो रही है।

कृष्ण के ज्ञान के अनुसार,,, हे तात…..तुम्हारा क्या गया जो रोते हो ? तुम क्या लाए थे, जो तुमने खो दिया ? तुमने क्या पैदा किया था, जो नाश हो गया ? न तुम कुछ लेकर आए थे, जो कुछ लिया यही से लिया… जो कुछ दिया यही दिया… जो लिया इसी (भगवान) से लिया… जो दिया, इसी को दिया। खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाओगे … जो आज तुम्हारा है, कल किसी और का था, परसों किसी और का होगा… तुम इसे अपना समझ कर मगन हो रहे हो…

बस इस प्रसंन्नता को बनाए रखने के लिए हे तात,, तुम घर में ही बने रहो,,, घर की दहलीज के बाहर जाकर खुशियां बांटी ना, तो “बगैर मास्क” वालों को यमराज कोरोना नहीं छोड़ेगा…

फिर अकेले ही बाहर जाओगे न
कोई संगी, न साथी रहेगा
लंगोटिया भी लौटा और अग्नि लेकर नहीं चलेगा…

और साथ साथ राम-राम हरी कीर्तन करना है तो रहो घर में “निकलो ना बेनकाब, कोरोना खराब ” है
( जैसा पंकज उदास जी ने ग़ज़ल में पहले ही यह आशंका जता दी थी।)

अब तो यमराज भी भोपूं से आकाशवाणी कर याचना पूर्वक कहते हैं-

हे धरती पुत्र घर में रहो, निकलो तो मास्क मस्ट पहनो, यहां अस्पताल, शमशान, कब्रस्तान खाली नहीं है और यमृजस्थान भी पहली लहर से ही हाउस फूल है।
यूं ही, बस यूं ही, आप सुरक्षित रहे, घर में रहे।

🔲 दिनेश सविता, जयपुर राजस्थान

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