जलियाँवाला बाग ऐतिहासिक स्मरण दिवस पर ‘शब्दाक्षर’ का कार्यक्रम ‘नमन शहीदों को’

हरमुद्दा
जलियाँवाला बाग का निशृंस हत्याकांड आजादी की लड़ाई का कभी न भूलने वाला ऐसा घाव है, जो हमेशा के लिए एक नासूर बन चुका है। जब आजादी के मतवाले शांति रूप से जलियाँवाला बाग में एक साधारण सभा कर रहे थे। तभी अंग्रेज अफ़सर जनरल डायर ने सशस्त्र बलों को आदेश देकर गोली चलवा दी थी। सैकड़ों निहत्थे लोग मारे गए, निकलने बचने का कोई रास्ता न देख कर निहत्थे लोग कुएँ में कूद गए, कुआँ लाशों से पट गया था। उस दुखद दिन शहीद हुए, देश भक्तों के सम्मान में, और छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से मुठभेड़ में वीर गति को प्राप्त हुए,अर्ध सैनिक बलों के जवानों को श्रद्धांजलि देने के लिए 13 तारीख मंगलवार को साहित्यिक संस्था ‘शब्दाक्षर’ ने ज़ूम पर एक देश भक्ति से ओत-प्रोत रचनाओं की काव्य-संध्या का आयोजन ज़ूम एप किया गया,  जिसका सीधा प्रसारण ‘शब्दाक्षर’ के फ़ेसबुक पेज’ पर भी किया गया।

कार्यक्रम की अध्यक्षता अंतरराष्ट्रीय ओज कवि चौधरी मदन मोहन ‘समर’, भोपाल, मध्यप्रदेश ने की। स्वागत वक्तव्य संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष रवि प्रताप सिंह ने दिया। कार्यक्रम का संयोजन-संचालन शब्दाक्षर दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष संतोष संप्रीति ने किया।

कार्यक्रम में भाग लेने वाले काव्य-स्वर थे डॉ. पोपट भावराव बिरारी नासिक महाराष्ट्र, कवि राजीव खरे पन्ना मध्यप्रदेश, कवि ब्रजेंद्र मिश्रा बैंगलोर कर्नाटक, नेहा जग्गी दिल्ली,राम प्रसाद आर्य चंपावत उत्तराखंड, डॉ. शकुंतला सरूपरियाउदयपुर राजस्थान, अंजू छारिया ‘असीम’  कोलकाता पश्चिम बंगाल, चंद्रमणि ‘मणिका’ दिल्ली, मृगेन्द्र कुमार श्रीवास्तव तन्हा शहडोल, मध्य प्रदेश, डॉ. सुषमा तिवारी नोएडा उत्तर प्रदेश, विद्या भंडारी कोलकाता, डॉ. अवधेश तिवारी ‘भावुक’ दिल्ली, रचना उनियाल बैंगलुरु कर्नाटक एवं कृष्ण कुमार दुबे, कोलकाता।

‘शब्दाक्षर’ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ‘सत्य’  सिलचर, असम के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ।

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