कोरोना कहर : हनुमान भक्त जज आनंद जंभूलकर की सांसें थमी हनुमान जयंती पर
न्याय व्यवस्था से जुड़े लोग स्तब्ध
हरमुद्दा
रतलाम, 27 अप्रैल। हनुमान भक्त अपर सत्र न्यायाधीश आनंद जंभूलकर की सांसें भी हनुमान जयंती पर थम गई। नामुराद कोरोना ने हंसमुख स्वभाव का जज छीन लिया। सत्य मेव जयते को ध्येय वाक्य बनाकर लोगों के फैसले करने वाले जंभूलकर ने कई दिनों तक जिंदगी की जंग लड़ी लेकिन शायद ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था।
मूलतः भोपाल के निवासी आनंद जंभूलकर का मंगलवार को कोरोना संक्रमण के चलते निधन हो गया। महज 45 वर्षीय जंभूलकर के निधन की खबर से न्याय व्यवस्था से जुड़े लोग स्तब्ध रह गए। उनका यूं चले जाने लोगों के लिए इसलिए भी चौंकाने वाली घटना है कि रतलाम में जज के पद पर पदस्थ रहते हुए किसी व्यक्ति की मृत्यु हुई है। 10 मार्च 1976 को जन्मे जंभूलकर 8 अक्टूबर 2007 को न्यायिक सेवा में आए थे। इसके बाद वे विभिन्न न्यायालयों में रहे। करीब डेढ़ वर्ष पूर्व ही वे रतलाम में पदस्थ हुआ थे।
बजरंगबली के परम भक्त थे जंभूलकर
अपर सत्र न्यायाधीश जंभूलकर बजरंगबली के परम भक्त थे। एडवोकेट उमाकांत उपाध्याय बताते हैं कि वे न्यायालय जाने से पहले बजरंगबली को शीश नवाना कभी नहीं भूलते थे। उनका निधन भी हुआ तो हनुमान जयंती के ही दिन। जंभूलकर अपने हंसमुख स्वभाव के लिए जाने जाते थे। उनका व्यवहार उनके नाम आनंद के अनुरूप ही था। उपाध्याय के अनुसार उन्होंने कभी भी जंभूलकर के चेहरे पर गुस्से के भाव नहीं देखे।
आईटी के अच्छे जानकार
एडवोकेट एस. एन. जोशी के अनुसार न्यायाधीश जंभूलकर आईटी के अच्छे जानकार थे। वे जब भी जरूरत पड़ती थी तो अधिकारियों को आईटी संबंधी जानकारी साझा करते थे और प्रशिक्षित भी करते थे।