कोविड रिस्पांस टीम का अभिनव आयोजन : सामाजिक एवं आध्यात्मिक सरोकार के साथ सकारात्मक रहने के बताएं सूत्र

🔲 ईश्वर ने हमें दी है धैर्य की शक्ति

🔲 डॉ. रत्नदीप निगम

कोविड रिस्पांस टीम द्वारा आयोजित 5 दिवसीय वर्चुअल व्याख्यानमाला के दूसरे दिन प्रथम व्याख्यान आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और प्रणेता पूज्य श्री श्री रविशंकर जी का रहा। विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन एवम प्रख्यात दानवीर उद्योगपति अजीज प्रेम जी एवं पद्मश्री डॉ. निवेदिता रघुनाथ भिड़े ने सामाजिक एवं आध्यात्मिक सरोकार के साथ सकारात्मक रहने के सूत्र बताएं।

आर्ट ऑफ लिविंग के संस्थापक और प्रणेता पूज्य श्री श्री रविशंकर जी

मृत्यु का ताण्डव जो वर्तमान में चल रहा, ऐसे में ईश्वर प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करना हमें

पूज्य रविशंकर जी ने कहा कि मृत्यु का ताण्डव जो वर्तमान में चल रहा है , इस समय हमें ईश्वर प्रदत्त शक्तियों का उपयोग करना चाहिए। ईश्वर ने हमें शक्ति दी है धैर्य की। यह हमारे भीतर ही है, इसे जगाने की आवश्यकता है। अपने भीतर के जोश को, शौर्य को धैर्यपूर्वक जगाए, तो आप इसके सकारात्मक परिणाम पाएँगे। दूसरी शक्ति है होश संभालना अर्थात भावुकता में नहीं बहना। दूसरों के दुख देखकर अपना दुःख भूलकर सेवावृत्ति को जगाना। हम स्वयं ही टूट जाएँगे तो समाज को परिवार को कैसे संभालेंगे ? ईश्वर प्रदत्त तीसरी शक्ति है करुणा की। यह जो करुणा है इसकी आवश्यकता अब नहीं है तो कब होगी ? इस करुणा भाव को अब नहीं जागृत करेंगे तो फिर कब करेंगे ? अतः ईश्वर प्रदत्त इन शक्तियों की यह परीक्षा की घड़ी है। जब हम दुखी होते हैं तो अस्थिरता आती है, ऐसे में मनोबल बढ़ाने के लिए प्राणायाम, योग और आयुर्वेद को अपनाए । यह निश्चित है कि हम इस संकट से बाहर निकल आएँगे, सफलता सुनिश्चित है लेकिन उसके लिए नकारात्मक चिंतन से बाहर सकारात्मकता को देखना पड़ेगा।

विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन एवम प्रख्यात दानवीर उद्योगपति अजीज प्रेम जी

शारीरिक दुःख ही नहीं है अपितु प्रत्येक परिवार पर आर्थिक संकट भी

व्याख्यान के द्वितीय वक्ता रहे विप्रो लिमिटेड के चेयरमैन एवं प्रख्यात दानवीर उद्योगपति अजीज प्रेम जी ने अपने सारगर्भित उदबोधन में कहा कि विज्ञान ने हमें यह आधार प्रदान किया है कि हम उस पर विश्वास करें। हम एकजुट होकर इस आपदा को परास्त कर सकते हैं न कि विभाजित होकर। इस आपदा में केवल शारीरिक दुःख ही नहीं है अपितु प्रत्येक परिवार पर आर्थिक संकट भी है। इसलिए सामूहिक रूप से विचार करें कि हर समस्या का समाधान निकालना है। केवल रोना नहीं है।

पद्मश्री डॉ. निवेदिता रघुनाथ भिड़े

पाँच सूत्रों का पालन करते हुए हम विजय के मार्ग पर हो सकते हैं प्रशस्त

व्याख्यान की तृतीय वक्ता पद्मश्री डॉ. निवेदिता रघुनाथ भिड़े ने अपने ओजस्वी वाणी में समाज को संदेश दिया कि हम जीतेंगे यह तय है क्योंकि यह राष्ट्र कोई साधारण राष्ट्र नहीं है। प्राचीन काल मे इस राष्ट्र ने कई बड़े बड़े संकटो का सामना किया है और उन सकंटो से उबरने में सफलता प्राप्त की है। इस कोरोना काल से मुक्ति के पंच सूत्र बताते हुए उन्होंने कहा कि इन पाँच सूत्रों का पालन करते हुए हम विजय के मार्ग पर प्रशस्त हो सकते हैं । एक हम अपनी प्राणशक्ति को जागृत करें।

🔲 ॐ के उच्चारण से होने वाले स्पंदन से सकारात्मक उर्जा का संचार होता है, यह प्रमाणित तथ्य है।

🔲 दूसरा मन की अनंत शक्तियों को पहचानना। हमारा मन जैसा सोचता है वैसा होने लगता है अतः सुबह उठकर सकारात्मक विचार करेंगे तो सकारात्मक मन बनेगा।

🔲 तीसरा एक साथ रहने का दुर्लभ अवसर। जब लॉक डाउन में हम सब अपने परिवार में एक साथ रह रहे हैं तो इस अवसर को अविस्मरणीय बनाना। जैसे नई नई भाषा, नई कला सीखना।

🔲 चौथा सूत्र है सेवा का अवसर । हम सब कुछ न कुछ यथाशक्ति सेवाकार्य कर सकते हैं और यदि कुछ नहीं कर सकते तो ईश्वर से प्रार्थना तो कर सकते हैं क्योंकि प्रार्थना में भी शक्ति होती है।

🔲 पाँचवा सूत्र है मृत्यु के डर से दूर रहना। यह सोचे कि हम किनकी संतान हैं ? हम उन ऋषि मुनियों की संतान हैं जिन्हें कभी मृत्यु का भय नहीं रहा। यह भूमि कभी कठिनाइयों के सामने झुकने वाली भूमि नहीं रही। जीवन अखण्ड है और मृत्यु क्षणिक। हम पुनर्जन्म और गीता संदेश की धारणा वाले देश के नागरिक हैं। हम मृत्युंजय है। अतः जो विष को धारण कर पाता है, वही अमृत को पाता है ।

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