आधुनिकता के अभिशाप से भारत के भविष्य को गुरुकुल ही बचा सकते हैं: बन्धु बेलडी
हरमुद्दा
रतलाम, 10 अप्रैल। विश्वप्रसिद्ध जैन आर्य तीर्थ श्री अयोध्यापुरम में कमलाकर नवकार मन्दिर का भूमिपूजन और नवनिर्मित गुरुकुल भवन का उद्घाटन समारोह जिनशासनरत्न पूज्य आचार्य भगवंत श्री जिनचन्द्रसागर जी मसा एवं आचार्य श्री हेमचन्द्रसागर जी मसा बन्धु बेलडी की पावन निश्रा में संपन्न हुआ। मालवा अंचल रतलाम सहित देशभर से पहुंचे समाजजन इस स्वर्णिम समारोह के साक्षी बने।
गुरुकुल ही बचाएंगे संस्कार व संस्कृति
गुजरात के भावनगर जिला स्थित श्री अयोध्यापुरम महातीर्थ में समारोह में आचार्य श्री ने कहा कि आज के इस पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित वातावरण में गुरुकुल ही हमारी संस्कृति, संस्कारों और ऋषि प्रणित शिक्षण पद्धति को बचा सकते है। आधुनिकता के अभिशाप से भारत के भविष्य को सुरक्षित रखने में गुरुकुल नींव के पत्थर साबित होंगे। उन्होंने कहा कि संस्कार रहित शिक्षा आतंक की जननी होती है और सारी दुनिया के आज इसी के दुष्परिणाम भुगत रही है। उन्होंने कहा की गुरुकुल में समाज के छात्रों को निशुल्क संस्कार संयुक्त शिक्षण की सुविधा दी जा रही है।
एक तीर्थ के साथ जरूरी एक गुरुकुल
उन्होंने कहा कि यदि एक तीर्थ के साथ एक गुरुकुल होगा तो हमारा संस्कृति रक्षा और संवर्धन का हर मिशन सक्सेसफुल होगा। जीवन का हर लम्हा वंडरफुल होगा। दिमाग पीसफुल और संसार हमारे अनुकूल होगा..यदि एक तीर्थ के साथ एक गुरुकुल होगा।
इनकी रही निश्रा
समारोह में पन्यासप्रवर श्री प्रसन्नचन्द्र सागर जी मसा, श्री विरागचन्द्रसागर जी मसा, गणिवर्य श्री पदमचन्द्र सागर जी मसा , श्री आनंदचन्द्र सागर जी मसा आदि विशाल श्रमणवृन्द एवं साध्वी श्री जयवंता श्रीजी, लक्षणा श्रीजी, श्री सिद्धरत्ना श्रीजी, श्री मेघवर्षा श्रीजी, श्री जितेशरत्ना श्रीजी आदि विशाल श्रमणीवृन्द की निश्रा रही। उल्लासपूर्ण वातावरण में गुरुकुल भवन का उद्घाटन तथा कमलाकर नवकार मन्दिर का भूमिपूजन किया गया।
अभूतपूर्ण सौगात व धरोहर
केवल नो माह में बनकर तैयार हुए तीन मंजिला सर्वसुविधायुक्त गुरुकुल के मुख्य लाभार्थी मनोरी बहन कंवरलाल पारसलाल वैद परिवार चैन्नई ने गुरुवन्दना की। नवकार मन्दिर के ऐतिहासिक चढ़ावे का लाभ पुणे, कोलकाता और मुंबई के युवाओं ने लिया। देशभर के आए समाजजनों ने नवनिर्मित गुरुकुल और निर्मित होने वाले नवकार मन्दिर को अभूतपूर्ण सौगात व धरोहर बताया। स्वर लहरियों से वन्दना निलेश राणावत ने की। संचालन विपिन सतावत ने किया।