डेंगू इफेक्ट : मच्छर की या जिम्मेदारों की वजह से बीमारी बन रही है महामारी ?

 सरकारी आंकड़ों में 300 डेंगू के मरीज हकीकत में कई गुना है अधिक

 अनिल पांचाल
रतलाम, 9 सितंबर। मलेरिया, वायरल और डेंगू मानसून के दौर में हर साल आते है, मगर इस बार ये सभी बीमारी कोहराम मचा रही है। पहले कोरोना की पहली और दूसरी लहर ने कई लोगों को मार दिया, कईयों को बर्बाद कर दिया और अब ये नया तंतुबा वायरल,डेंगू,मलेरिया और रहस्यमयी बुखार ने लोगों को आर्थिक,शारीरिक और मानसिक प्रताडऩा से परेशान कर रखा है। सरकारी आंकड़ों में जिले में डेंगू के लगभग 300 रोगी बताए जाते है, और इनमें से दो दर्जन से ज्यादा भर्ती बताए जा रहे है। जबकि हकीकत इससे कई गुना ज्यादा है।

मुद्दे की बात तो यह है कि मौजूदा हालात में डेंगू, वायरल और मलेरिया की गिरफ्त में छोटे बच्चों से लगा कर 17-18 साल के युवा कुछ ज्यादा ही चपेट में आ रहे है। शहर के शिशु रोग विशेषज्ञों के यहां बच्चा रोगियों की लगी कतारे कोरोना की तीसरी लहर का अहसास करा रही है। सरकारी अस्पतालों के अलावा शहर के तमाम निजी अस्पतालों में भी बिस्तरों के फुल होने की खबरे बाहर आ रही है। हालात ये है कि अगर डेंगू रोग लेकर कोई रोगी निजी अस्पताल में भर्ती हुआ है तो उसे 30 से 40 हजार का झटका लगना लगभग तय है।

एक बैठक के दौरान कोविड टीकाकरण पर चर्चा के दौरान लगभग 12 मिनिट डेंगू पर चर्चा की गई। अनुविभागीय अधिकारियों को छिडक़ांव के लिए भी निर्देशित किया गया है। मगर जनता को राहत देने की कोई ठोस पहल नही हो पाई है। सरकारी अस्पताल रोगियों से भरे पड़े है और एक-एक पंलग पर आड़े और खड़े रोगियों को सुला कर उपचार किया जा रहा है। तेज बरसात के दौरान वार्डो की टपकती छतों का सामना भी रोगियों को करना पड़ रहा है। उधर शामरी की हवेली उर्फ कालेज में जाने को लोग राजी नही है। इधर समय पर विज्ञापनुमा फोटो के साथ खबरे जारी हो ही जाती है कि वहां आँक्सीजन की व्यवस्था हो गई और बिस्तर बिछ गए है। मगर दवाईयों का टोटा कभी खत्म नही हो रहा है। हाल और हालात ऐसे भी है कि जो सराकारी दवाखानों में भर्ती है उन्हे भी बाजार से दवाईयां लाना पड़ रही है।


डेंगू और वायरल की शुरुवात को चिकित्सा विभाग ने हमेशा की तरह हल्के में लिया जो अब जनता पर भारी पड़ रहा है और चिकित्सा विभाग के जिम्मेदार कही और हल्के हो रहे है। शहर की गली- गुवाड़ी, मोहल्ले और कालोनियों के साथ ही ग्रामीण इलाको के चप्पे – चप्पे में पैर पसार चुकी इन बीमारियों को लेकर किसी नेता या जन प्रतिनिधि की भी उग्गत अब नही उड़ी है। जैसे कोविड की दूसरी लहर में सब दुबके हुए थे वैसे ही हालात आज भी है।

मजेदार हकीकत ये भी है कि देवास जैसे शहरों में वहां के जिम्मेदारों ने एक लिंक तैयार कर डेंगू की जानकारी को सार्वजनिक कर दिया है। यानि एक क्लिक पर डेंगू के रोगी, भर्ती रोगी, कितने रोगियों की जांच हुई आदि की जानकारी पल भर में मिल जाती है। जबकि वहां डेंगू रोगियों की संख्या काफी कम है। मगर रतलाम जहां रोगियों की भरमार है, वहां इस जानकारी को सार्वजनिक करने की बजाय छिपाया जा रहा है। बैठकों में अफसर पूछते है और आंकड़ेबाज उन्हे आंकड़े बताकर कह देते है कि स्थिति नियत्रंण में है।


मजेदार बात ये भी है कि कोरोना की दूसरी लहर से जिले को मुक्त बता दिया गया है। मगर कोविड से जुड़ी जानकारी का बुलेटिन पिछले दो माह से लगातार आज भी जारी किया जा रहा है। वही डेंगू, मलेरिया, वायरल आदि बीमारियों से जुड़ी जानकारी के बुलेटिन का खाका अभी तक तैयार ही नही हो पाया है।


किल कोरोना की तर्ज पर ही किल डेंगू के लिए भी सर्वे हो रहा है या शुरु होने वाला है। तमाम कर्मचारी अपना मूल काम छोडक़र इसमेें लग जाएगे और विभिन्न दफ्तरों में अपने काम कराने आए लोगों को एक बार फिर लम्बा इंतजार कराना पड़ेगा। सर्वे करो, जो बीमार हो उसे अस्पताल भेजों और अस्पताल जाने वाला रोगी तबियत ठीक करने के लिए डाँक्टर से बोले की साहब जान बचाना है बाहर की दवा लिख दो। किसी तरह की दवाईयां देकर रोगी को घर पर ही ठीक करने की व्यवस्था का प्रयास भी फिलहाल होता नजर नही आया है।

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