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दिया तले अंधेरा : नए कलेक्ट्रेट में डेंगू मच्छर का कारखाना ? जागरूक करने वाले ही नहीं जागरूक

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 आमजन को कर रहे जागरूक, लेकिन जिला प्रशासन खुद सोया

 कलेक्ट्रेट सहित आसपास की कालोनियों और इलाकों में लार्वा का निर्यात

अनिल पांचाल
रतलाम, 13 सितंबर। शहर सहित जिलेभर में जहां एक और डेंगू और वायरल (dengue and viral) का शिकार लोग परेशान हाल है और उन्हे जागरुक करने के लिए भाँति-भाँति के अभियान चलाए जा रहे है वही लोगों को जागरुक करने वाले जिला प्रशासन के जिम्मेदार ही डेंगू फैलाना वाले एडीज मच्छर का कारखाना संचालित कर रहे है। यहां महीनों से ना तो सफाई हुई है, सैकड़ों लीटर पानी की जमाव और मच्छररोधी दवाई के छिडक़ांव के अभाव में हजारों मच्छरों का लार्वा (larva) यहां हर दिन पनप रहा है। कलेक्ट्रेट सहित आसपास की कालोनियों और इलाकों में लार्वा का निर्यात कर रहा है।

दरअसल जब नए कलेक्टर कार्यालय का निर्माण हो रहा था, तब किसी ने यहां सुपरविजन (Supervision) की जरुरत ही समझी थी। अगर किसी ने निगरानी का प्रयास भी किया तो ठेकेदार भारी पड़ता नजर आया। ऐसे में कलेक्टर कार्यालय के ऊपरी भवनों व कक्षों का पानी इस पार्किग में जमा होने लगा है। यहां भारी जल जमाव के बीच ही पुराने वाहन, उनके टायर व अन्य सामग्रियों में पानी का जमाव विगत वर्ष से होता जा रहा है और इन दिनों में यहां जगह-जगह पानी के डाबरे व कीचड़ का जमाव नजर आता है।

हर दिन कर्मचारियों को एडिज मच्छर के कारखाने में जाना पड़ता हाजिरी लगाने

अब आम जनता और यहां काम करने वालों की मजबूरी ये है कि उन्हे अपने वाहन रखने यहां जाना ही पड़ता है। अगर ये इस पार्किग को छोडक़र अन्य जगह अपने वाहन पार्किग करते है तो स्टेण्ड वाला फौरन दल रुपए की चिट्ठी काट देता है और चिट्ठी नहीं कटाने पर तीन-पांच करने से भी पीछे नही रहता है। ऐसे में हर दिन कर्मचारियों को एडिज मच्छर के कारखाने में हाजिरी लगाने जाना ही पड़ता है।
कई महीनों से यहां जमा पानी में अब कंजी भी होने लगी है, जिसके कारण अगर जनता या कर्मचारी संभल कर रास्ता पार नही करे, तो वे फिसल कर कीचड़ स्नान भी कर लेते है। यहां अपना वाहन खड़ा कर के ऊपर आ रही दो महिलाओं को अनचाहा जल-जमाव स्नान करना पड़ा और चोटिल भी होने की खबर बाहर आई है।

यह जगह नजर नहीं आई जिम्मेदारों को

दिया तले अंधेरा वाली कहावत की स्थिति है। जनता को जागरुक करने वाले ही मच्छरों का कारखाना संचालित कर रहे है। मलेरिया विभाग को अन्य जगह लार्वा ढूंढने की शुरुआत पहले यही से शुरुआत करना चाहिए, बड़ी सफलता मिलेगी और खबर भी आठ कालम की बन जाएगी।

अन्य जगह भी है ऐसी स्थिति

यही हाल जिला अस्पताल, अस्पताल के वार्डो, सीएमएचओ कार्यालय हो या अन्य सरकारी-गैर सरकारी कार्यालय, स्कूल, कालेजों के भी जिनकी छतों पर साल भर से जमा कचरा बरसात का पानी छतों पर ही ठहर जाता है जो मच्छरों की उत्पत्ति में सहायक हो रहा है।

तो मच्छर बढ़ते ही रहेंगे

शहर में हालात ऐसे नहीं है कि कोविड, मलेरिया, वायरल और डेंगू को हल्के में लिया जाए। हर तरफ डेंगू के रोगी तेजी से बड़े है और अब तो डेंगू पीड़ितों के परिजन रोगी का इलाज इन्दौर व अन्य महानगरों में कराने के लिए मजबूर हो रहे है। मानसून की सक्रियता अभी जारी रहेगी। और जिस तरह से मानसून की रिमझिम वाली सक्रियता है, उसके कारण मच्छरों का प्रकोप तब तक बढ़ता रहेगा, जब तक कुछ घंटे की लगातार बरसात मौजूदा जल जमाव को तेज गति से बहा नही देती है।

जागरूक करने वाले तो नहीं है जागरूक

बहरहाल.. जागरूक करने वाले जब खुद ही कारखाने चला कर मच्छरों का उत्पादन कर रहे हो, ऐसे में जनता को सावधान और सुरक्षित रहना होगा। क्योंकि सावधानी हटी और दुर्घटना घटी।

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