कहानियां नहीं हकीक़त : हौंसला देते और उम्मीद जगाते हैं ये क़िरदार
साहित्यकार आशीष दशोत्तर की ई-बुक ‘अन्धेरे-उजाले’ लोकार्पित
हरमुद्दा
रतलाम 25 सितंबर। कोरोना काल (Corona period) की कठिन परिस्थितियों का मुकाबला करते हुए हर व्यक्ति ने अपने स्तर पर कोई न कोई संघर्ष किया है। किसी न किसी मुसीबत को झेला है। किसी न किसी परेशानी का सामना किया है। ऐसे कठिन दौर में जीवन संघर्ष करते हुए अपने ईमान पर कायम रहना और परेशानियों को परास्त करने का हौंसला दिखाना हिम्मत का काम था। पुस्तक ‘अंधेरे-उजाले’ में ऐसे ही क़िरदारों का हौंसला पेश हुआ है।
युवा कहानीकार आशीष दशोत्तर ने इन क़िरदारों को समाज से उठाया और दैनंदिन मिलने वाले लोगों पर केंद्रित ये कहानियां लिखीं। दरअसल ये कहानियां नहीं हकीक़त (Stories not reality) है और इसमें मौजूद सभी चरित्र समाज में मौजूद हैं। पुस्तक में संग्रहित 65 आयामों में कोई न कोई ऐसी बात है जो दिल को छू जाती है। बेरोजगारों का दर्द, रोजमर्रा के काम कर अपना पेट भरने वालों की पीड़ा, सामाजिक रिश्तो में पड़ती दरारें, अपने लोगों की बेरुखी और ऐसे ही कई दृश्य इन कथाओं में उभर कर सामने आए हैं। इस पुस्तक को ई-बुक आकार में प्रस्तुत किया गया है ताकि अधिक से अधिक लोग इसे पढ़ सकें। ई -बुक फॉर्मेट में इस पुस्तक को लिंक
https://drive.google.com/file/d/18QMQUmAbOhZ6JTTWjLC6q-G2iDYHg9o8/view?usp=drivesdk
पर पढ़ा जा सकता है। पुस्तक में आकल्पन अक्षय छाजेड़ का है।
समारोह में विमोचन हुआ
पुस्तक ‘अंधेरे- उजाले’ के आवरण का विमोचन मालवांचल लोककला एवं संस्कृति संस्थान द्वारा आयोजित समारोह में किया गया। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक एवं हिंदी साहित्य के विद्वान डॉ. शैलेंद्र शर्मा, हिंदी विभाग की पूर्व अध्यक्ष डॉ. प्रेमलता चुटैल, संस्कृत एवं हिंदी के विद्वान डॉ.मुरलीधर चांदनीवाला, श्री मुस्तफा आरिफ़, संस्थान की निदेशक डॉ . शोभना तिवारी ने पुस्तक का विमोचन किया।
लॉकडाउन अवधि के दौरान हर दिन सामने आते रहे चरित्रों पर ही केंद्रित है पुस्तक
कथाकार श्री दशोत्तर ने पुस्तक की जानकारी देते हुए बताया कि यह पुस्तक लॉकडाउन अवधि के दौरान हर दिन सामने आते रहे चरित्रों पर ही केंद्रित है। उनके संघर्षों को देखकर और अभावों के बीच किस तरह जीवन को जिया जा सकता है इसे इसमें प्रस्तुत किया गया है। उन्होंने बताया कि किताब को ही ई-बुक फॉर्मेट में रखने का उद्देश्य यही है कि इसे अधिक अधिक लोगों तक पहुंचाया जा सके। अधिक से अधिक लोग इसे पढ़ें और कोरोना काल के दौरान जिन लोगों ने अपने जीवन को संघर्ष करते हुए ईमानदारी से गुज़ारा उनसे से भी रूबरू हो सकें। विमोचन समारोह में गणमान्य साहित्य प्रेमी उपस्थित थे।