वर्तमान कानूनी प्रणाली का भारतीयकरण आवश्यक
अधिवक्ता परिषद के विधिक संवाद में जिला अभिभाषक संघ उपाध्यक्ष नीरज सक्सेना ने कहा
हरमुद्दा
रतलाम 12 अक्टूबर। वर्तमान में कानून की भाषा और अदालती प्रक्रिया ऐसी है कि उसमें पक्षकार नहीं दिखाई देता है। न्यायाधीश, अधिवक्ता और जटिल कानून न्यायिक व्यवस्था के केंद्र में हैं। कानूनों को स्थानीय भाषा में उपलब्ध करवाने के लिए कानूनी प्रणाली का भारतीकरण आवश्यक है।
यह विचार जिला अभिभाषक संघ के उपाध्यक्ष नीरज सक्सेना ने व्यक्त किए। श्री सक्सेना अधिवक्ता परिषद द्वारा आजादी के अमृत महोत्सव के तहत आयोजित विधिक संवाद वर्तमान कानूनी प्रणाली का भारतीकरण : समय की आवश्यकता विषय पर अध्यक्षीय उद्बोधन दे रहे थे।
निर्णय में विदेशी सिद्धांतों की मदद
भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना ने अदालती व्यवस्था के भारतीयकरण पर बल दिया है। मुख्य न्यायाधीश ने कहा है कि वर्षों पुरानी पारदर्शी और उन्नत अदालती व्यवस्था के बावजूद हम अपने निर्णय में विदेशी सिद्धांतों की मदद लेते हैं । जो आम आदमी को समझ नहीं आते।
अदालत की व्यवस्था में बदलाव समय की मांग
मुख्य अतिथि जिला अभिभाषक संघ के पूर्व अध्यक्ष चंद्रसिंह पवार ने कहा कि अदालत की व्यवस्था में बदलाव समय की मांग है। आम आदमी को भी न्यायिक प्रक्रिया की जानकारी होना चाहिए । उन्होंने अनेक न्यायिक दृष्टांत प्रस्तुत किए।
मध्यस्थों और समझौते का व्यापक प्रयोग करती वैदिक अदालते
विशेष अतिथि वरिष्ठ अभिभाषक लालचंद ऊबी ने कहा कि वैदिक अदालते न्याय करते समय मध्यस्थों और समझौते का व्यापक प्रयोग करती थी । हमारे पास मध्यस्था , सुलह तथा पंच निर्णय के विकल्प मौजूद है। किंतु उनका समुचित उपयोग नहीं हो पा रहा है।
इस अवसर पर जिला अभिभाषक संघ के सचिव विकास पुरोहित मंचासीन थे। प्रारंभ में सरस्वती पूजन से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। स्वागत भाषण अधिवक्ता परिषद जिला अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी ने दिया। अतिथि परिचय महामंत्री समरथ पाटीदार ने दिया। गीत कोषाध्यक्ष वीरेंद्र कुलकर्णी ने प्रस्तुत किया। संचालन कार्यक्रम संयोजक विवेक उपाध्याय ने किया। आभार मंत्री जितेंद्र मेहता ने माना।