वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे हस्तशिल्प प्रदर्शनी : साड़ी पर मेहंदी के हाथ और आंखों के कजरे को कुछ यूं सजाया कि बरबस ही ठहर जाए नजरें -

हस्तशिल्प प्रदर्शनी : साड़ी पर मेहंदी के हाथ और आंखों के कजरे को कुछ यूं सजाया कि बरबस ही ठहर जाए नजरें

 लुभावनी प्रदर्शनी चलेगी 25 अक्टूबर तक रोटरी हाल में

हरमुद्दा
रतलाम 18 अक्टूबर। मध्यप्रदेश का प्रख्यात चंदेरी का किला चंदेरी की साड़ियों के बॉर्डर पर उतर आया है। साड़ी पर मेहंदी के हाथ और आंखों के कजरे को कुछ यूं सजाया है कि बरबस ही नजरें ठहर जाती है।

संत रविदास मध्यप्रदेश हस्तशिल्प एवं हथकरघा विकास मंत्री मध्यप्रदेश शासन द्वारा रोटरी हॉल में आयोजित प्रदर्शनी में चंदेरी की अद्भुत कलात्मक साड़ियां महिलाओं को आकर्षित कर रही है। चंदेरी की साड़ियों के परंपरागत कारीगर इमरान अंसारी इस बात को लेकर फख्र महसूस करते हैं कि फिल्म सुई धागा में फिल्म अभिनेत्री अनुष्का के लिए विशेष रूप से तैयार की गई असली सोने की जरी की 10 लाख कीमत वाली साड़ी उनके यहां तैयार हुई थी। इतना ही नहीं माधवराव सिंधिया ने भी इन्ही कलाकारों के हाथों से बनी साड़ी अपनी बेटी को भेंट की थी। चंदेरी का प्रसिद्ध बादल महल इस साड़ी की शोभा बढ़ाने का प्रमुख आधार है।

मीनाकारी वाली चंदेरी सिल्क की साड़ियां नए कलेक्शन

लुभावनी साड़ियां आकर्षित करती हुई

श्री अंसारी के अनुसार रेशम और टिशू के 7500 धागों से बुनी जाती है। मलबरी सिल्क और बारिक मीनाकारी वाली चंदेरी सिल्क की साड़ियां नए कलेक्शन के साथ मेले में आई है। उन्होंने बताया की महिलाओं की मांग के अनुसार तथा फिल्मों और बड़ी शादियों में चंदेरी पर मांग के अनुरूप मीनाकारी कराने का इन दिनों प्रचलन चला है। माचिस की एक तीली पर सिल्क को लपेटकर उसे डिजाइन देना परंपरागत कलाकारी है। श्री अंसारी ने बताया कि इन दिनों चश्मा साड़ी का चलन भी बढ़ गया है अर्थात यह साड़ी दोनों तरफ से पहनी जा सकती है। जिसकी बॉर्डर पर मेहराब उभरती है तो दूसरी तरफ नई डिजाइन नजर आती है।

चंदेरी के कारीगर सैकड़ों वर्षों से काम में तल्लीन

मेला प्रभारी दिलीप सोनी ने हरमुद्दा को बताया कि चंदेरी के कारीगर सैकड़ों वर्षों से इस काम को कर रहे हैं और आधुनिक तथा परंपरागत संसाधनों का उपयोग कर कलाकारी महिलाओं तक पहुंचा रहे हैं। चंदेरी की साड़ी के लिए तथा प्रदेश के अन्य जिलों के कारीगरों से रूबरू होने के लिए आमजन दोपहर 11 बजे से रात 9 बजे तक आ सकते हैं।

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