वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे प्रधानमंत्री की दो टूक बात : बाहर जाते समय पैरों में जूते चप्पल जरूरी है, उसी तरह मास्क को बनाएं सहज स्वभाव में -

प्रधानमंत्री की दो टूक बात : बाहर जाते समय पैरों में जूते चप्पल जरूरी है, उसी तरह मास्क को बनाएं सहज स्वभाव में

1 min read

🔲 भले ही वैक्सीन हो चुका है मगर मास्क नहीं उतारना, युद्ध अभी जारी है, त्योहारों को सतर्कता से मनाएं

🔲 देश पर उठाए थे सवाल, सौ करोड़ डोज है उसका जवाब

🔲 100 करोड़ वैक्सिन के डोज पूरे होने पर प्रधानमंत्री ने किया राष्ट्र को संबोधित

हरमुद्दा
दिल्ली, 22 अक्टूबर। देश में वैक्सीनेशन के 100 करोड़ डोज पूरे होने के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार सुबह देश के नाम संबोधन में कहा कि बाहर जाते समय जब पैरों में जूते चप्पल पहनते हैं, उसी तरह मुंह पर मास्क भी लगाना जरूरी है। वैक्सीन लेने का मतलब यह नहीं है कि अब मास्क नहीं लगाना। मास्क को सहज स्वभाव बनाएं। जब बाहर जाएं, मास्क जरूर लगाएं। वैक्सीनेशन के कार्य में सबका साथ, सबका विश्वास और सबका प्रयास सार्थक साबित हुआ है। विश्व को भारत ने सबक सिखा दिया है कि भारत में सब कुछ संभव है। संयम, सलीका और तरीका समस्या से निपटने का जोरदार हथियार है। दीए जलाना, थाली बजाना, ताली बजाना माना कि इससे कोरोना नहीं भागता है लेकिन यह देश की एकजुटता को दर्शाता है। कवच सुरक्षा के लिए होता है पर इसका मतलब यह नहीं कि हथियार हम डाल दें कवच के साथ हथियार भी हाथ में होना जरूरी है यानी कि वैक्सीनेशन डोज के बावजूद मास्क नहीं निकालना है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बार की दीपावली पिछली बार की दीपावली से बेहतर होगी। देश बड़े लक्ष्य तय करना और उन्हें हासिल करना जानता है। लेकिन, इसके लिए हमें सतत सावधान रहने की जरूरत है। हमें लापरवाह नहीं होना है। कवच कितना ही उत्तम हो, कवच कितना ही आधुनिक हो, कवच से सुरक्षा की पूरी गारंटी हो, तो भी, जब तक युद्ध चल रहा है, हथियार नहीं डाले जाते। मेरा आग्रह है कि हमें अपने त्योहारों को पूरी सतर्कता के साथ ही मनाना है।

तब प्रधानमंत्री ने मुफ्त वैक्सीनेशन का किया था ऐलान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को देश को संबोधित करते हुए कोरोना वैक्सीनेशन के आंकड़े को 100 करोड़ डोज पार करने को ऐतिहासिक बताया है। उन्होंने कहा कि यह महज एक आंकड़ा नहीं है बल्कि नए भारत की तस्वीर है। इतिहास के नए अध्याय की रचना है। प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन की शुरुआत में 100 करोड़ कोरोना वैक्सीन डोज के लिए देशवासियों को बधाई दी। पीएम ने कहा, यह नए भारत की तस्वीर है जो कठिन लक्ष्य निर्धारित कर उन्हें हासिल करना जानता है। पीएम मोदी ने कहा, कल 21 अक्टूबर को भारत ने 1 बिलियन, 100 करोड़ वैक्सीन डोज़ का कठिन लेकिन असाधारण लक्ष्य प्राप्त किया है।इस उपलब्धि के पीछे 130 करोड़ देशवासियों की कर्तव्यशक्ति लगी है, इसलिए ये सफलता भारत की सफलता है, हर देशवासी की सफलता है कोरोना काल में यह दसवां मौका है जब पीएम मोदी राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं। पिछली बार उन्होंने राष्ट्र के नाम संबोधन में फ्री वैक्सीन का ऐलान किया था।

भारतीयों के विश्वास की सराहना विश्व में

आज कई लोग भारत के वैक्सीनेशन प्रोग्राम की तुलना दुनिया के दूसरे देशों से कर रहे हैं। भारत ने जिस तेजी से 100 करोड़ का, 1 बिलियन का आंकड़ा पार किया, उसकी सराहना भी हो रही है। लेकिन, इस विश्लेषण में एक बात अक्सर छूट जाती है कि हमने ये शुरुआत कहाँ से की है।

तो उठने लगे थे भारत पर सवाल

दुनिया के दूसरे बड़े देशों के लिए वैक्सीन पर रिसर्च करना, वैक्सीन खोजना, इसमें दशकों से उनकी expertise थी। भारत, अधिकतर इन देशों की बनाई वैक्सीन्स पर ही निर्भर रहता था। जब 100 साल की सबसे बड़ी महामारी आई, तो भारत पर सवाल उठने लगे। क्या भारत इस वैश्विक महामारी से लड़ पाएगा? भारत दूसरे देशों से इतनी वैक्सीन खरीदने का पैसा कहां से लाएगा? भारत को वैक्सीन कब मिलेगी? भारत के लोगों को वैक्सीन मिलेगी भी या नहीं? क्या भारत इतने लोगों को टीका लगा पाएगा कि महामारी को फैलने से रोक सके? भांति-भांति के सवाल थे, लेकिन आज ये 100 करोड़ वैक्सीन डोज, हर सवाल का जवाब दे रही है।

नहीं हावी होने दिया वीआईपी कल्चर को

कोरोना महामारी की शुरुआत में ये भी आशंकाएं व्यक्त की जा रही थीं कि भारत जैसे लोकतंत्र में इस महामारी से लड़ना बहुत मुश्किल होगा। भारत के लिए, भारत के लोगों के लिए ये भी कहा जा रहा था कि इतना संयम, इतना अनुशासन यहाँ कैसे चलेगा? लेकिन हमारे लिए लोकतन्त्र का मतलब है-‘सबका साथ’। सबको साथ लेकर देश ने ‘सबको वैक्सीन-मुफ़्त वैक्सीन’ का अभियान शुरू किया। गरीब-अमीर, गाँव-शहर, दूर-सुदूर, देश का एक ही मंत्र रहा कि अगर बीमारी भेदभाव नहीं नहीं करती, तो वैक्सीन में भी भेदभाव नहीं हो सकता! इसलिए ये सुनिश्चित किया गया कि वैक्सीनेशन अभियान पर VIP कल्चर हावी न हो।

विज्ञान की कोख में जन्मा है वैक्सीनेशन

भारत का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम विज्ञान की कोख में जन्मा है, वैज्ञानिक आधारों पर पनपा है और वैज्ञानिक तरीकों से चारों दिशाओं में पहुंचा है। हम सभी के लिए गर्व करने की बात है कि भारत का पूरा वैक्सीनेशन प्रोग्राम, Science Born, Science Driven और Science Based रहा है। Experts और देश-विदेश की अनेक agencies भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर बहुत सकारात्मक है। आज भारतीय कंपनियों में ना सिर्फ record investment आ रहा है बल्कि युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर भी बन रहे है। Start-ups में record investment के साथ ही record Start-ups, Unicorn बन रहे है।

Vocal for Local को व्यवहार में लाना जरूरी

कोरोना वैक्सीन पर फोकस रखते हुए पीएम मोदी ने यह भी कहा कि मैं आपसे फिर ये कहूंगा कि हमें हर छोटी से छोटी चीज, जो Made in India हो, जिसे बनाने में किसी भारतवासी का पसीना बहा हो, उसे खरीदने पर जोर देना चाहिए। और ये सबके प्रयास से ही संभव होगा। जैसे स्वच्छ भारत अभियान, एक जनआंदोलन है, वैसे ही भारत में बनी चीज खरीदना, भारतीयों द्वारा बनाई चीज खरीदना, Vocal for Local होना, ये हमें व्यवहार में लाना ही होगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed