एक नई सीख देकर जाता है जीवन का हर पल : डॉ. ऐरन
वनमाली सृजन केंद्र द्वारा डॉ.ऐरन का अभिनंदन
हरमुद्दा
रतलाम, 6 जनवरी। जीवन का हर पल एक नई चुनौती देता है , एक नहीं मुश्किल खड़ी करता है ।हर मुश्किल का हल भी देता है और एक नई सीख देकर जाता है । इस एक पल से सीख लेकर अगले पल को बेहतर बनाने का साहस साहित्य प्रदान करता है । इस साहस के बल पर ही व्यक्ति अपने जीवन संघर्षों से मुकाबला कर पाता है।
यह विचार वनमाली सृजन केंद्र के अभिनन्दन प्रसंग में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. ओमप्रकाश ऐरन ने व्यक्त किए।
हर व्यक्ति के जीवन में आती है मुश्किल
डॉ. ऐरन के बयासीवें जन्म दिवस पर वनमाली सृजन केंद्र द्वारा उनके अभिनंदन के प्रत्युत्तर में उन्होंने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में मुश्किलें आती हैं। अगर ये मुश्किलें न हों तो जीवन निरर्थक हो जाता है । साहित्य व्यक्ति को पहचान प्रदान करता है और मुझे भी साहित्य ने ही सहारा और एक पहचान प्रदान की। साहित्य ने यह भी सिखाया की संबंधों का सम्मान करना चाहिए। उनका अनुचित लाभ कभी नहीं उठाना चाहिए। साहित्य आपके सदमार्ग पर सदैव साथ में खड़ा होता है और आपको बुरे मार्ग पर जाने से रोकता है।
साहित्य से मिली पहचान स्थायी
उन्होंने कहा कि साहित्य से मिली पहचान स्थायी होती है । आपके लिखे साहित्य को दुनिया सदैव याद रखती है। कभी न कभी व्यक्ति का मूल्यांकन अवश्य होता है। डॉ. ऐरन ने इस अवसर पर अपने संस्मरण सुनाते हुए जीवन के कई पहलुओं पर विस्तार से प्रकाश डाला।
साहित्य से ही मिलता मुश्किलों से संवारने का मौका : शायर रतलामी
डॉ. ऐरन का सम्मान करते हुए वरिष्ठ शायर श्री सिद्धीक़ रतलामी ने कहा कि मुश्किलों से संवारने का मौका साहित्य से ही मिलता है। डॉ. ऐरन ने अपने जीवन काल में जिन विषम परिस्थितियों का सामना किया उसने उन्हें और अधिक मज़बूत बनाया। उनकी सहजता और सरलता उनके व्यक्तित्व को बड़ा बनाती है।
साहित्य जगत को प्रोत्साहित करने में डॉ. ऐरन का महत्वपूर्ण योगदान : दशोत्तर
आशीष दशोत्तर ने इस अवसर पर कहा कि रतलाम के साहित्य जगत को प्रोत्साहित करने में डॉ. ऐरन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। वे निरंतर साहित्यिक आयोजनों में अपनी उपस्थिति से रचनाकारों को मार्गदर्शन प्रदान करते हैं, यह इस शहर के साहित्यिक वातावरण के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इस अवसर पर साहित्यजनों ने डॉ. ऐरन का अभिनंदन कर उन्हें शुभकामनाएं प्रदान की ।