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परिवार में लोगों के पास परिजनों के लिए वक्त ही नहीं : प्रवर्तकश्री

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हरमुद्दा
रतलाम, 27 मार्च। व्यक्ति का धन और बंगले बडे हो गए, लेकिन परिवार छोटे हो गए। पहले हर घर में संयुक्त परिवार रहते थे, तो अपनापन और प्रेम बरसता था। आज छोटे परिवार में लोगों के पास परिजनों के लिए वक्त ही नहीं है। रही-सही कसर मोबाइल ने पूरी कर दी, जो भोजन करते वक्त भी चेन से नहीं रहने देता है। इससे परिवार एक-दूसरे से दूर हो रहे है। सबकुछ समझकर भी अनजान बनना मूढता है।

यह बात मालव केसरी प्रसिद्ध वक्ता पूज्य गुरुदेव सौभाग्यमल जी मसा के सुशिष्य श्रमण संघीय प्रवर्तक पंडित रत्न पूज्य श्री प्रकाश मुनिजी मसा निर्भय ने कही।

नोलाईपुंरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में व्याख्यान देते हुए उन्होंने कहा कि राग-द्वेष, लोभ-मोह, मान-माया आदि सब मिथ्यात्म है। जीवन भर इनमें उलझे रहने वाले व्यक्ति को आत्म कल्याण का मार्ग नहीं मिलता है। विडंबना है कि मनुष्य इन कषायों में ही जी रहा है, जो मिथ्यात्म है और हमेशा मिथ्यात्म ही रहेंगे।

मूडता का भाव आत्म कल्याण में बाधक

प्रवर्तकश्री ने कहा कि मूडता का भाव आत्म कल्याण में बाधक होता है। व्यक्ति जब सबकुछ जानते हुए भी जब बुराईयों का साथ नहीं छोडता, तो वे उसके साथ लगी रहती है। बुराईयों से बचने के लिए तटस्थ रहना जरूरी है। तटस्थ रहने वाला व्यक्ति ही आत्म संयम को प्राप्त करता है। प्रवर्तकश्री ने मूडता से बचने के लिए रास्ता चलना स्वच्छ, चाहे जिदंगी में फेर हो, बात करना उत्तम, चाहे देर हो, सलाह लेना भाई की, चाहे बेर हो और भोजन करना मां से, चाहे जहर हो, के सूत्र दिए। उन्होंने मूडता की तरह दुराग्रह से भी दूर रहने पर बल दिया और कहा कि दुनिया में जितने भी युद्ध हो रहे है, वे दुराग्रह के कारण हो रहे है। रूस और यूक्रेन का युद्ध भी इसका ही पर्याय है।

तीन सामायिक एवं आयंबिल व्रत

प्रवर्तकश्री ने कई धर्मानुरागियों को तपस्या के प्रत्याख्यान कराए। प्रवर्तकश्री की निश्रा में 28 मार्च को आचार्य प्रवर श्री आनंदऋषिजी मसा एवं आचार्य श्री उमेशमुनिजी मसा का पुण्य स्मृति दिवस तीन सामायिक एवं आयंबिल व्रत दिवस के रूप में मनाया जाएगा। सुबह 8 बजे जाप तथा 9 बजे धर्मसभा होगी, जिसमें दोनो महापुरूषों का गुणानुवाद किया जाएगा।

इन्होंने भी किए विचार व्यक्त

इस मौके पर सेवाभावी पूज्य श्री दर्शन मुनिजी मसा ने विचार रखे। पूज्या महासती महासती श्री चंदनबालाजी, पूज्या महासती श्री कल्पना जी, श्री चंदना जी, श्री चेतना जी, श्री महिमाजी, श्री लाभोदया जी, श्री रमणीक कुँवरजी आदि उपस्थित रहे। संचालन सौरभ मूणत ने किया। धर्मसभा में औरंगाबाद, नागदा जंक्शन एवं सीतामउ आदि स्थानो के गुरूभक्त पहुंचे थे। प्रभावना एवं  बाहर से आए अतिथियों के आतिथ्य सत्कार का लाभ श्री सौभाग्य अणु प्रकाश दीक्षा महोत्सव समिति द्वारा लिया गया।

दीक्षा महोत्सव के लिए उग्र विहार

आगामी 6 अप्रैल को होने वाले मुमुक्षु शांतिलाल गांधी व ज्योति चैहान के दीक्षा महोत्सव में शामिल होने साधु एवं साध्वीगण उग्र विहार कर रतलाम आ रहे है। श्री सौभाग्य अणु प्रकाश दीक्षा महोत्सव समिति के संयोजक संदीप चैरडिया एवं रखब चत्तर नेे बताया कि महासती रमणीक कुंवरजी दमू मसा उग्र विहार कर रतलाम के दिलीप नगर पहुंच गई है। 28 मार्च को वे सेठजी का बाजार पधारेगी।  29 मार्च को सेठजी का बाजार से नगर में उनका मंगल प्रवेश होगा। अभिग्रहधारी श्री राजेशमुनिजी मसा के इंदौर से तथा महासती श्री धर्मलताजी मसा के बडनगर से उग्र विहार कर जल्द ही रतलाम पधारने की संभावना है।

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