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सेहत सरोकार : किडनी देने के लिए मंजूरी मिली तो दोनों मरीज के परिवार में आई चेहरे पर खुशियां नजर

⚫ किडनी प्रत्यारोपण के दो प्रकरणों में पिता व पत्नी ने दिखाया अपनत्व

⚫ अंगदान संभागीय प्राधिकार समिति की हुई बैठक

हरमुद्दा
रतलाम, 30 जून। किडनी प्रत्यारोपण के मामले में पिता और पत्नी ने अपने तो दिखाया और पहल की। पहले केस में 36 वर्षीय पुरुष को पत्नी द्वारा  स्वैच्छिक किडनी दान में पत्नी के परिवार वालों से पति को किडनी दिए जाने पर सहमति दी। उसके स्वास्थ्य का ध्यान रखने के लिए कहां गया। दूसरे प्रकरण में पिता द्वारा 37 वर्षीय पुत्र को किडनी दान देने का रखा गया, जिसमें पुत्र को बचपन में ही दिल में छेद का ऑपरेशन होने की बात बताई गई। परिजन को किडनी दान के बाद आवश्यक सावधानी एवं समझाइश आदि विषय चर्चा में सम्मिलित कर अंगदान संभागीय प्राधिकार समिति द्वारा स्वीकृति प्रदान करने की कार्रवाई की।

समिति की बैठक में मौजूद सदस्य

अंगदान संभागीय प्राधिकार समिति द्वारा आयोजित बैठक में 2 प्रकरण रखे गए थे।  रतलाम मेडिकल कॉलेज डीन डॉ जितेंद्र गुप्ता की अध्यक्षता बैठक हुई। बैठक में समिति सदस्य मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉक्टर प्रभाकर नानावरे, मेडिकल कॉलेज के मेडिसन विभाग प्रभारी डॉ. महेंद्र चौहान, सर्जरी विभाग प्रभारी डॉक्टर नीलम चार्ल्स, स्वयंसेवी संस्था के समाजसेवी गोविंद काकानी, मनीषा ठक्कर मौजूद थे। समिति ने मरीज एवं मरीज के परिजनों द्वारा लाए गए सबूतों का परीक्षण कर व्यक्तिगत जानकारी ली और प्रकरण को स्वीकृति प्रदान की गई। बैठक के अंत में समिति सदस्यों ने  दोनों परिवारों से ऑपरेशन के बाद मरीज एव किडनी दान दाता का विशेष ध्यान रखने की नसीहत दी।

समिति सदस्यों की सक्रियता एवं डॉक्टरों के सराहनीय सहयोग से कार्य में तेजी

संभागीय प्राधिकार अंगदान समिति अध्यक्ष डीन डॉ. जितेंद्र गुप्ता ने बताया कि प्रकरणों में परिजनों द्वारा ही किडनी दिए जाने से प्रकरण में ज्यादा दिक्कत एवं पूछताछ की जरूरत नहीं है। डॉ. गुप्ता ने कहा की समिति के सदस्यों की सक्रियता एवं डॉक्टरों के सराहनीय सहयोग से यह कार्य लगातार चल रहा है। किडनी एवं लीवर प्रत्यारोपण पूर्ण रूप से स्वैच्छिक एवं सुरक्षित होना चाहिए।

दोनों मरीज के परिवार में स्वीकृति मिलने की खुशियां नजर आई चेहरे पर

समाजसेवी गोविंद काकानी ने बताया कि आज स्वीकृत 2 प्रकरणों में दोनों परिवार के सदस्य पिता एवं पत्नी द्वारा किडनी दिए जाने से प्रकरण को लंबित नहीं किया गया। तत्काल स्वीकृति प्रदान की। परिजनों को बुलाकर उनसे प्रति परीक्षण किया गया। दोनों मरीज के परिवार में स्वीकृति मिलने की खुशियां चेहरे पर नजर आ रही थी।

दूसरों के लिए जीने वाले भी हैं, हुआ सहयोग से यह महसूस

परिवार जनों ने कहा कि हम तो बहुत ही डर और भय के माहौल में यहां आए थे। क्या मालूम, क्या होगा परंतु यहां सभी के व्यवहार एवं सहयोग से यह महसूस हुआ कि दुनिया में दूसरों के लिए जीने वाले भी मिलते हैं। सभी का हृदय से धन्यवाद कैसे दे समझ नहीं आता।

समिति सदस्यों का कहना

समाजसेवी मनीषा ठक्कर ने प्रकरण में परिवार जन द्वारा अंगदान किए जाने पर अपनी प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए कहा यह सुरक्षित प्रत्यारोपण  परिवार में आत्मीयता बढ़ाता है। रतलाम मेडिकल कॉलेज समिति के नोडल अधिकारी डॉक्टर अतुल कुमार ने किडनी देने वाले दोनों प्रकरण  को कानूनी प्रक्रिया पूरी कर स्वीकृत पत्र बनाने में मदद की।

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