धर्म संस्कृति : अहंकार रहित मनुष्य का जीवन ही अनुकरणीय
⚫ अखंड प्रणव एवं योग वेदांत न्यास के प्रमुख 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रणवानंद सरस्वती ने कहा
⚫ सनातन धर्म संस्कृति के मनोज शर्मा मित्र मंडल ने रेलवे स्टेशन पर किया अभिनंदन
हरमुद्दा
रतलाम, 14 जुलाई। अहंकार की प्रवृत्ति मनुष्य का स्वभाव है। अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा शत्रु है। यह ऐसा घुसपैठिया है, जो कभी भी, कहीं से भी घुसपैठ कर लेता है। इंद्र जैसे देवता भी इससे अछूते नहीं रहे। गोवर्धन लीला देवराज इंद्र के अहंकार को चकनाचूर करने के लिए ही की गई है। भगवान अंतर्यामी हैं, वे जानते हैं कि हमें कब, क्यों और क्या चाहिए।
यह बात अखंड प्रणव एवं योग वेदांत न्यास के प्रमुख 1008 महामंडलेश्वर स्वामी श्री प्रणवानंद सरस्वती ने कही। स्वामीजी गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में इंदौर से मुंबई जाते समय रतलाम रेलवे स्टेशन पर गुरुवार रात को सनातन संस्कृति के भक्त मंडल से मिले। भक्त मंडल को आशीर्वाद देते हुए उक्त विचार व्यक्त किए।
संतो के बताए मार्ग पर चलकर जीवन बनाएं सफल
स्वामी जी ने कहा कि सनातन संस्कृति का मुख्य लक्ष्य है कि संत और गुरुदेव की सेवा करते रहे। उनका आशीर्वाद लेते रहें। उनके बताए मार्गो पर चलकर मनुष्य जीवन को सफल बनाएं।
इन्होंने किया स्वामी जी का अभिनंदन
प्रारंभ में सनातन धर्म संस्कृति के मनोज शर्मा, सतीश राठौर, विशाल शर्मा, शांतू गवली, गोवर्धन जाट पहलवान, भुवनेश पंडित, हेमंत भट्ट, रोहित शर्मा, बंटी भरगट, चेतन शर्मा, संदीप नागौरा, मोहित जैन लालन सहित अन्य ने स्वामी जी का अभिनंदन कर आशीर्वाद लिया।