संगीत का सितारा अस्त : गजल गायक भूपिंदर सिंह का निधन, कई बीमारियों से ग्रसित, 82 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, “कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं जमी तो कहीं आसमा नहीं मिलता”

⚫ प्रशंसकों में शोक की लहर

हरमुद्दा
सोमवार, 18 जुलाई। “दिल ढूंढता है फिर वही फुर्सत के रात दिन”, “कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता, कहीं जमी तो कहीं आसमा नहीं मिलता”, “करोगे याद तो हर बात याद आएगी”, “किसी नजर को तेरा इंतजार आज भी है”। गजल गायक भूपिंदर सिंह का लंबी बीमारी के बाद सोमवार रात को मुंबई में निधन हो गया। उन्होंने 82 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली।  मीडिया को यह जानकारी पत्नी मिताली सिंह ने दी। संगीत का सितारा अस्त होने से प्रशंसकों में शोक की लहर व्याप्त है।

इंडियन म्यूजिशियन और ग़जल गायक भूपिन्दर सिंह कई तरह के हेल्थ प्रॉब्लम से जूझ रहे थे, जिसमें यूरिनरी इशूज़ भी हैं। इस दुखद खबर के साथ ही फैन्स और इंडस्ट्री में शोक की लहर है। श्री सिंह बॉलिवुड में प्लेबैक सिंगर भी रहे हैं। यह दुखद खबर ट्विटर पर शेयर की गई है, जिसमें बताया गया है कि एक दुखद खबर सामने आई है और धीरे-धीरे यह कन्फर्म हो रही है कि हमारे प्रिय सिंगर भूपिन्दर सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे।

दंपत्ति को नहीं थी कोई संतान

उल्लेखनीय है कि भूपिन्दर का जन्म 1940 में पंजाब में हुआ था। उनके पिता प्रोफेसर नत्था सिंह भी एक बेहतरीन संगीतकार थे। करियर की शुरुआती दिनों में भूपिन्दर ने ऑल इंडिया रेडियो पर अपनी पेशकश देते थे। कहते हैं कि साल 1978 में रिलीज एक फिल्म के गुलजार के लिखे गाने ‘वो जो शहर था’ से उन्हें प्रसिद्धि मिली। भूपेंद्र ने 1980 में बांग्ला गायिका मिताली मुखर्जी से शादी की थी। इस दंपति की कोई संतान नहीं है।

प्रसिद्ध फिल्मों में दिया है स्वर

श्री सिंह को “मौसम“, “सत्ते पे सत्ता“, “अहिस्ता अहिस्ता“, “दूरियां“, “हकीकत“ और कई अन्य फिल्मों में उनके यादगार गीतों के लिए याद किया जाता है। उनके कुछ प्रसिद्ध गीत “होके मजबूर मुझे, उसे बुलाया होगा“, (मोहम्मद रफी, तलत महमूद और मन्ना डे के साथ), “दिल ढूंढता है“, “दुकी पे दुकी हो या सत्ते पे सत्ता“ लोगों के जुबान में चढे हुए हैं।

मोहम्मद रफी, तलत महमूद और मन्ना डे के साथ गाने का मौका

अपने करियर की शुरुआत में भूपिन्दर ने ऑल इंडिया रेडियो, दिल्ली से शुरुआत की। वह दिल्ली दूरदर्शन सेंटर से भी जुड़े थे। उन्होंने गिटार और वायॉलिन भी बजाना सीखा। साल 1962 में एक फंक्शन में म्यूजिक डायरेक्टर मदन मोहन ने उन्हें सुना और उन्हें मुंबई बुला लिया। उन्होंने उन्हें चेतन आनंद की फिल्म ‘हकीकत’ में मोहम्मद रफी, तलत महमूद और मन्ना डे के साथ ‘होके मजबूर मुझे उसने बुलाया होगा’ गाने का मौका दिया। उन्होंने खैय्याम की फिल्म ‘आखिरी खाट’ में सोलो गाया और प्लेबैक सिंगिग की दुनिया में फेमस नाम बन गए। ‘मौसम’, ‘सत्ते पे सत्ता’, ‘आहिस्ता आहिस्ता’, ‘हकीकत’ जैसी फिल्मों के जाने जाते हैं भूपिन्दर सिंह।कई म्यूजिक ऐल्बम में उन्होंने वाइफ मिताली के साथ आवाज दी है।

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