जांबाज मां के सामने मौत ने मानी हार : बाघ के मुंह से अपने बेटे को बचाने के लिए मां करती रही संघर्ष, बाघ के नाखून पहुंच गए थे मां के फेफड़े तक
⚫ शोर सुनकर ग्रामीण आए
⚫ लाठियां बजाने पर भाग गया बाघ
⚫ मां बेटे हुए गंभीर घायल
हरमुद्दा
उमरिया, 5 सितंबर। बच्चों के लिए मां दुनिया की हर मुसीबत से लड़ जाती है। ऐसा ही 1 मामला मध्यप्रदेश के उमरिया में सामने आया है। जहां 1 जांबाज मां की ममता के सामने मौत को भी हार माननी पड़ी। बाघ के जबड़े से बेटे को बचाने के लिए 20 मिनट तक वह संघर्ष करती रही इस दौरान बाघ के नाखून मां के फेफड़े तक पहुंच गए थे लेकिन लड़ती रही शोर सुनकर जब ग्रामीण आए तो बाघ ने बच्चे को छोड़ा और जंगल की तरफ भाग गया। प्राथमिक उपचार के बाद मां और बेटे को उपचार के लिए जबलपुर रेफर किया गया है।
यह घटना उमरिया के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में बसे रोहनिया ग्राम पंचायत की है। भोला चौधरी के परिवार की। भोला की पत्नी अर्चना अपने 15 माह के बेटे राजवीर चौधरी को बचाने के लिए बाघ से लड़ गई और मां की हिम्मत के आगे मौत बनकर आए बाघ को भी हार माननी पड़ी और मुंह में दबे शिकार को छोड़कर वापस भागना पड़ा। बाघ के हमले में मां और उसके मासूम बेटे को चोटें आई हैं जिनके कारण मासूम बच्चे को अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
बाघ के जबड़े से बचा लाई मां
15 माह के बच्चे को शौच कराने के लिए 1 मां घर के पास खेत में पहुंची तो वह दंग रह गई। वहां 1 बाघ मौजूद था जिसने बच्चे पर हमला कर दिया। बच्चे को बचाने के लिए मां ने जमकर संघर्ष किया। आखिर वह बाघ के जबड़े से बच्चे को बचा लाई लेकिन गंभीर रूप से घायल हो गई। दोनों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
पहले से मौजूद बाघ ने कर दिया था हमला
इस दौरान मां ने बाघ के चंगुल से अपने मासूम बेटे को बचाने काफी संघर्ष भी किया जिससे उसे गंभीर चोटें आई हैं। घटना उस दौरान की है जब भोला चौधरी की पत्नी अपने 15 महीने के बेटे को लेकर शौच कराने घर के पास ही खेत में गई थी जहां पूर्व से मौजूद बाघ ने मां बेटे पर हमला कर दिया।
बेटा और मां हो गए घायल
उमरिया जिला स्थित बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व की सीमा से लगे रोहनिया गांव में सुबह बाघ ने हमला किया जिसमें 15 महीने के मासूम राजवीर चौधरी समेत उसकी मां गंभीर रूप से घायल हो गई है।
खेत में ही दुबक गया था बाघ
इस हमले से 15 महीने के मासूम सहित मां घायल हो गई। चीख-पुकार सुनकर घर के लोग इकट्ठा हो गए और बाघ खेत में ही दुबक गया। इस चक्कर में बाघ ने बच्चे को छोड़ दिया। तत्काल उन्हें उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया जहां से चिकित्सकों ने उन्हें प्राथमिक उपचार के बाद जबलपुर के लिए रेफर कर दिया।