श्राद्ध पर्व : पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पुण्य स्मरण का पखवाड़े की शुरुआत आज से
⚫ नई वस्तुओं की नहीं होगी खरीदारी
⚫ 25 सितंबर को सर्व पित्र मोक्ष अमावस्या
हरमुद्दा
शनिवार, 10 सितंबर। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए पुण्य स्मरण का पखवाड़ा शनिवार से शुरू हो रहा है। सनातन परंपरा के अनुसार लोग पूर्वजों को नियत तिथि पर श्राद्ध कर्म से स्मरण करेंगे। इन 15 दिनों में सभी अपने पितरों का उनकी निश्चित तिथि पर तर्पण, श्राद्ध करते हैं। ऐसा करने से पितृ प्रसन्न होते हैं और आशीर्वाद देकर प्रस्थान करते हैं। अमावस्या के दिन पितरों को विदाई दी जाती है। सामान्यतया वस्तुओं की खरीदारी नहीं करेंगे। श्राद्ध पक्ष में ऐसा करना वर्जित माना गया है लेकिन कारपोरेट जगत में श्राद्ध पक्ष में खरीदारी को लेकर विशेष ऑफर शुरू कर दिए हैं ताकि उनका आधा महीना बिजनेस से प्रभावित ना हो।
ज्योतिषाचार्य पंडित दुर्गाशंकर ओझा ने हरमुद्दा से चर्चा करते हुए बताया कि मुताबिक पूर्णिमा का श्राद्ध कर्म भाद्रपद शुक्ल पक्ष पूर्णिमा शनिवार 10 सितंबर को होगा। जिस तिथि में पितर देव दिवंगत हुए होते है, उसी तिथि पर पितृपक्ष में तिथियों के अनुसार श्राद्ध कर्म एवं तर्पण किया जाना शास्त्रसम्मत है।
श्राद्ध कर्म की यह रहेगी तिथि
⚫ पूर्णिमा का श्राद्ध एवं तर्पण 10 सितंबर दिन शनिवार
⚫ प्रतिपदा का श्राद्ध एवं तर्पण 11 सितंबर दिन रविवार
⚫ द्वितीया का श्राद्ध एवं तर्पण 12 सितंबर दिन सोमवार,
⚫ तृतीया का श्राद्ध एवं तर्पण 13 सितंबर दिन मंगलवार
⚫ चतुर्थी का श्राद्ध एवं तर्पण 14 सितंबर दिन बुधवार
⚫ पंचमी का श्राद्ध एवं तर्पण 15 सितंबर दिन गुरुवार
⚫ षष्ठी का श्राद्ध एवं तर्पण 16 सितंबर दिन शुक्रवार
⚫ सप्तमी का श्राद्ध एवं तर्पण 17 सितंबर दिन शनिवार
⚫ अष्टमी का श्राद्ध एवं तर्पण 18 सितंबर दिन रविवार महालक्ष्मी हाथी पूजा के साथ
⚫ नवमी का श्राद्ध एवं तर्पण 19 सितंबर दिन सोमवार
⚫ दशमी का श्राद्ध एवं तर्पण 20 सितंबर दिन मंगलवार
⚫ एकादशी का श्राद्ध तर्पण 21 सितंबर दिन बुधवार
⚫ द्वादशी का श्राद्ध एवं तर्पण 22 सितंबर दिन गुरुवार
⚫ त्रयोदशी का श्राद्ध एवं तर्पण 23 सितंबर दिन शुक्रवार,
⚫ चतुर्दशी का श्राद्ध एवं तर्पण 24 सितंबर दिन शनिवार,
⚫ अमावस्या का श्राद्ध एवं तर्पण 25 सितंबर रविवार को पितृमोक्ष अमावस्या के साथ समापन होगा।
कुछ खास दिन श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध करने के
संतान की दीर्घायु के लिए विशेष व्रत 18 सितंबर को
संतान की दीर्घायु एवं कुशलता की कामना से किया जाने वाला परम पुनीत जियुतिया (जियुतपुत्रिका) का व्रत पूजन अष्टमी श्राद्ध के दिन किया जाता है, इसलिए जियुतिया का व्रत रविवार 18 सितंबर को रखा जाएगा।
मातृ नवमी का श्राद्ध 19 सितंबर को
11 सितंबर को प्रतिपदा एकम का श्राद्ध होगा। मातृ नवमीं की तिथि 19 सितंबर को दिवंगत माताओं का श्राद्ध कर्म किया जा सकता है। वहीं, जिनकी अकाल मृत्यु हुई है, उनका श्राद्ध कर्म 24 सितंबर को किया जा सकता है। 25 सितंबर को सर्व पितृमोक्ष अमावस्या होने की वजह से ऐसे सभी लोग श्राद्ध कर्म कर सकते हैं, जिन्हें अपने पूर्वजों के निधन की तिथि ज्ञात नहीं है।
इनकी नहीं करेंगे खरीदारी
इसके साथ ही सोलह दिनों तक सभी शुभ कार्य बंद हो जाएंगे। इन दिनों में लोग कपड़ा, सोना, चांदी, भवन, भूमि या वाहन की खरीदी भी नहीं करेंगे।