मुलाकात : अवैध, अविकसित कालोनियों के वैधकरण और विभाजित भूखण्डों पर निर्माण की अनुमति के मुद्दे पर हुई चर्चा, नियम में संशोधन नहीं होने का दुष्परिणाम, अवैध निर्माण और भ्रष्टाचार

⚫  नगरीय आवास एवं विकास मंत्री भूपेन्द्रसिंह से मिले विधायक चेतन्य काश्यप

⚫ शासन को हो रही राजस्व की हानि

⚫ पहले मिलती थी कलेक्टर कार्यालय से अनुमति

⚫ अविकसित अवैध कॉलोनियों में नारकीय जीवन जीने को मजबूर लोग

हरमुद्दा
रतलाम, 16 सितंबर। आवासीय कॉलोनियों में विभाजित भूखण्डों पर निर्माण की स्वीकृति तथा अवैध और अविकसित कॉलोनियों में विकास कार्य करवाए जाने के संबंध में नगरीय आवास एवं विकास मंत्री भूपेंद्रसिंह से विधायक चेतन्य काश्यप भोपाल में मिले। उन्होंनेमंत्री श्री सिंह को पत्र भी सौंपा। मंत्री श्री सिंह ने इस संबंध में उचित निर्णय लिए जाने को लेकर विधायक श्री काश्यप को आश्वस्त किया।

मंत्री को पत्र सौपते  विधायक श्री कश्यप

विधायक श्री काश्यप ने शहर में निवासरत मध्यम वर्ग के परिवारों के हितों को ध्यान में रखते हुए नियमों में संशोधन की मांग की। उन्होने नियमों का हवाला देते हुए बताया कि म.प्र. भूमि विकास नियम 2012 के नियम 22 (ख) के उपनियम (3) व (6) में उल्लेखित है कि केवल सार्वजनिक तथा अर्धसार्वजनिक अथवा औद्योगिक उपयोग के परिसरों वाले भूखण्डों का विभाजन अनुज्ञेय होगा। मिश्रित या किसी अन्य उपयोग वाले भूखण्ड की दशा में विभाजन के आवेदन पर विचार नहीं किया जाता है। उपरोक्त नियम के अनुसार आवासीय भूखण्डों का विभाजन किया जाना मान्य नहीं है।

राजस्व की हानि, भ्रष्टाचार को बढ़ावा

विधायक श्री काश्यप ने कहा कि प्रदेश के अन्य नगरों के साथ-साथ रतलाम में भी नगर तथा ग्राम निवेश विभाग से स्वीकृत अभिन्यास वाली कॉलोनियों के भूखण्डों के विभाजन बड़ी संख्या में होकर आम रहवासियों द्वारा विभाजित भूखण्ड खरीदे गए है। इन विभाजित भूखण्डों पर उपरोक्त नियम के अनुसार भवन निर्माण अनुज्ञा नहीं हो रही है तथा नगर एवं ग्राम निवेश विभाग द्वारा भी अनुमति नहीं दी जा रही है। भवन अनुज्ञा नहीं मिलने से आमजन द्वारा अवैध निर्माण किया जा रहा है, जिससे शासन को राजस्व की हानि हो रही है, वहीं भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिल रहा है।

किया जाए नियम में संशोधन

उनका कहना था कि इस नियम के कारण मध्यम वर्ग के लोग जो कि विकसित कॉलोनियों में छोटे-छोटे भूखण्ड क्रय कर आवास निर्माण करना चाहते है। वे सभी इन नियमों के कारण बैंक ऋण नहीं मिलने से आवास निर्माण नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में मध्यम वर्ग से जुडे़ परिवारों के हितों को ध्यान में रखते हुए उक्त नियम में संशोधन किया जाए।

हजारों हो सकेंगे लाभान्वित

विधायक श्री काश्यप ने अवैध और अविकसित कॉलोनियों में विकास को लेकर कहा कि प्रदेश के साथ रतलाम में स्थित सभी अविकसित कॉलोनियों को भी अवैध कॉलोनी मान लिया जाए और इन कॉलोनियों में भी अवैध कॉलोनी के लिए बने नियम लागू कर विकास कार्य करवाने की स्वीकृति दी जाए। जिन कॉलोनियों में बंधक भूखण्ड उपलब्ध हो उनका विक्रय कर प्राप्त राशि को विकास व्यय में सम्मिलित करने का प्रावधान करते हुए स्वीकृति दी जाए। शासन के इस आदेश से प्रदेश के अन्य नगरों के साथ रतलाम नगर के भी हजारों मध्यमवर्गीय, गरीब परिवार लाभान्वित हो सकेंगे।

अवैध कॉलोनियों में नारकीय जीवन जीने को मजबूर नागरिक

विधायक श्री काश्यप ने बताया कि रतलाम नगर में लगभग 58 अविकसित कॉलोनियां है, जिसमें से 48 कॉलोनियां वर्ष 1998 के पूर्व की है, जबकि 10 कॉलोनियां बाद की है। इन कॉलोनियोें में करीब 11 से 12 हजार परिवार रहते हैं। उक्त कॉलोनियों में आवश्यक मूलभूत विकास कार्य नहीं होने से यहां निवासरत परिवार नारकीय जीवन व्यतीत करने को मजबूर है।

पहले मिलती थी कलेक्टर कार्यालय से अनुमति

विधायक श्री काश्यप ने चर्चा में बताया कि प्रदेश में वर्ष 1998 से पहले कलेक्टर कार्यालय द्वारा कॉलोनी विकास अनुमति प्रदान की जाती थी। उस समय के नियमों में कॉलोनी के विकास कार्य पूर्ण करने के लिए कॉलोनाईजर पर कोई सुस्पष्ट नियम नहीं था, जिससे कॉलोनाईजरों द्वारा अधिकांश कॉलोनियों में विकास कार्य पूरे किए बगैर ही भूखण्डों का बेच दिए गए थे। अपूर्ण विकास कार्यों के कारण ये कॉलोनियां नगर निगमों को हेण्डओवर नहीं हुई और वर्तमान में अविकसित कॉलोनी की श्रेणी में है।

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