हिन्दी लेखिका संघ के वार्षिकोत्सव पर हुआ विमोचन और सम्मान, बेटियों के संस्कार पर हुई चर्चा

⚫ सम्मानित बेटियों ने काव्य पाठ कर किया मनमोहित

⚫ कवयित्री सुनीला सराफ के काव्य संग्रह “साथ आपका  पाकर” और ज्योति विश्वकर्मा की काव्य कृति “हम्म्म” का विमोचन

डॉ.चंचला दवे
सागर, 26 सितंबर। हिन्दी लेखिका संघ मध्यप्रदेश की सागर इकाई द्वारा संस्था का गरिमामय वार्षिक महोत्सव अंतरराष्ट्रीय बेटी दिवस पर रवीन्द्र भवन सागर में आयोजित किया गया। कार्यक्रम में जहां काव्य संग्रह का विमोचन किया गया। वहीं उभरती प्रतिभाएं सम्मानित भी की गई।

श्यामलम् एवं साहित्य सृजन संघ सागर की सहभागिता में आयोजित इस कार्यक्रम में संस्था की त्रैवार्षिक पत्रिका “अन्वेषिका” सहित कवयित्री सुनीला सराफ के काव्य संग्रह “साथ आपका  पाकर” और श्रीमती ज्योति विश्वकर्मा की काव्य कृति “हम्म्म” का विमोचन किया गया।

संघ द्वारा सम्मानित करते हुए

उल्लेखनीय उपलब्धि के लिए सागर की दो प्रतिभावान बेटियों, संभाग स्तरीय लता मंगेशकर सुगम संगीत प्रतियोगिता की विजेता बाल सरस्वती ऐश्वर्या दुबे व प्रथम काव्य संग्रह प्रकाशन हेतु साहित्य अकादमी मध्यप्रदेश संस्कृति परिषद से चयनित नगर की एकमात्र लेखिका नवोदित कवयित्री कु. दीपाली गुरु को शाॅल,श्रीफल, पुष्पहार स्मृति चिन्ह, सम्मान पत्र व सम्मान निधि भेंट कर प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किया गया। युवा महिला पत्रकार रेशु जैन को भी इस अवसर पर विशेष रूप से सम्मानित किया गया। सम्मानित बेटियों दीपाली गुरु द्वारा काव्य पाठ तथा ऐश्वर्या दुबे द्वारा किए गए सुमधुर गीत गायन ने श्रोताओं की तालियों से सभागार को गुंजायमान कर दिया।

सुंदर काव्य पाठ से कार्यक्रम की शुरुआत

अतिथियों द्वारा मां सरस्वती पूजन, दीप प्रज्ज्वलन‌ और डॉ.वंदना गुप्ता‌ द्वारा शंखवादन और सरिता सोनी द्वारा की गई मधुर सरस्वती वंदना के पश्चात बेटी दिवस की महत्ता के अनुकूल पांच वर्षीय नन्ही बिटिया रिया पाण्डेय द्वारा किए गए प्रभावी और सुंदर काव्य पाठ से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। श्रीमती राजश्री दवे ने स्वागत गीत की सुंदर प्रस्तुति दी। संयोजक संस्था अध्यक्ष सुनीला सराफ ने स्वागत उद्बोधन तथा डॉ चंचला दवे ने वार्षिक प्रतिवेदन दिया। संचालन डॉ.चंचला दवे ने किया। आभार कवयित्री ज्योति झुड़ेले ने माना।

समीक्षा आलेख

विमोचित पत्रिका अन्वेषिका पर स्व. वर्षा सिंह के समीक्षा आलेख का वाचन करते हुए श्रुतिमुद्रा सचिव डॉ. कविता शुक्ला ने कहा कि डॉ. वर्षा सिंह ने हिंदी की साहित्यिक पत्रकारिता और नारी साहित्य प्रयत्नों का अपने आलेख में सुंदर वर्णन किया है। सुनीला सराफ के काव्य संग्रह “साथ आपका पाकर” पर समालोचक डॉ.सुजाता मिश्र ने अपने विचार रखते हुए कहा कि 71 कविताओं के इस संग्रह मैं हम स्त्री मन की कोमल अभिव्यक्ति पाते हैं। स्त्री मन की बुनावट ही कुछ ऐसी होती है कि वह पर-पीड़ा को स्व: पीड़ा की तरह महसूस करता है।

कथाकार कवयित्री डॉ. सुश्री शरद सिंह ने कविता संग्रह “हम्म्म” पर अपने वक्तव्य में कहा कि रचनाकार ज्योति विश्वकर्मा अपनी कविताओं में जीवन की कहानियां कहती हैं, इसीलिए उनकी कविताओं में विशेष अर्थबोध देखा जा सकता है। जहां तक शिल्प का सवाल है तो नई कविता को जलतरंग वाद्ययंत्र के समान साधा जाना चाहिए।

यह थे मौजूद

तीन घंटे से अधिक समय तक चले इस प्रतिष्ठित आयोजन की कसावट और मंचीय अनुशासन को उपस्थित प्रबुद्ध श्रोताओं की बहुत सराहना प्राप्त हुई। सभागार उनकी करतल ध्वनि से लगातार गूंजता रहा। कार्यक्रम में डॉ. सुरेश आचार्य, आनंदप्रकाश त्रिपाठी, उमा कान्त मिश्र,मुन्ना शुक्ला, डॉ संतोष सोहगौरा, डॉ. श्याम मनोहर सीरोठिया, मणीकांत चौबे, हरगोविंद विश्व, संतोष श्रीवास्तव विद्यार्थी, रमेश दुबे,आर के तिवारी, टीकाराम त्रिपाठी,पी आर मलैया, डॉ.अमर जैन, आनंद मंगल बोहरे, डॉ गजाधर सागर, हरी सिंह ठाकुर, अशोक खरे, विनोद तिवारी, के.एल.तिवारी, हरि शुक्ला, रमाकांत शास्त्री, डॉ. अनिल जैन, डॉ. आशीष द्विवेदी, आशीष ज्योतिषी, मुकेश तिवारी,डॉ अनिल जैन, निरंजना जैन, पूरनसिंह राजपूत, एम. शरीफ, असरार अहमद, अंबिका यादव, डॉ.नलिन जैन, देवेन्द्र गुरु, अशोक तिवारी अलख,सी. एल. कंवल, माधव चंद्रा, एडवोकेट राजेश सराफ, विनीत मोहन औदिच्य, डॉ.अंजना चतुर्वेदी तिवारी, पैट्रिस फुस्केले, डॉ.अतुल श्रीवास्तव,प्रदीप पाण्डेय, एडवोकेट अमित तिवारी,वीरेन्द्र गुरु, अमित चौबे, देवकी नायक, रविंद्र दुबे, अंबर चतुर्वेदी, डॉ.सरोज गुप्ता, नंदनी चौधरी,शिखा यादव, इंदिरा गुरु, संध्या दरे, ज्योति झुड़ेले,सुमन झुड़ेले, मनीषा पटैरिया,उषा वर्मन, संध्या सर्वटे, शोभा सराफ आदि सहित बड़ी संख्या में लोगों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

भारतीय संस्कृति और संस्कारों की शिक्षा घर देने की जरूरत

बेटियों को बाल्यावस्था से ही भारतीय संस्कृति और संस्कारों की शिक्षा घर पर देने की आवश्यकता पर बल दिया। संस्कार और सीख घर से ही मिलते हैं। स्कूल कॉलेज से तो केवल शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। शिक्षा की कड़ी में महत्वपूर्ण है आपके बच्चों के संस्कार जो कि आप के पालन पोषण का दर्पण होता है।

पुष्पा चिले, हिन्दी लेखिका संघ दमोह की अध्यक्ष

ब्रह्मा का प्रतिनिधि होता साहित्यकार

साहित्यकार ब्रह्मा का प्रतिनिधि होता है। ब्रह्म शब्द है,भारतीय संस्कृति की विशेषता है,उसमें मानवीय मूल्य समाहित हैं। उन्होंने कहा वैदिककाल में स्त्रियों को वेद पढ़ने का भी अधिकार नहीं था किंतु आज स्थितियां बदल चुकी हैं स्त्रियां आज न केवल वेद पढ़ती हैं वरन उस पर विचार विमर्श भी करती हैं। यह अधिकार स्त्रियों ने अपनी क्षमता को साबित करके पाया है।

डॉ.लक्ष्मी पाण्डेय, सुप्रसिद्ध लेखिका और आलोचक

बेटी का संस्कार और उचित मार्गदर्शन देकर करें पालन

जिस तरह धरती पर बीज रोपण करते हैं और उसकी देखभाल कर समय पर खाद पानी देकर पौधे की रक्षा करते हैं, उसी प्रकार बेटी को भी संस्कार और उचित मार्गदर्शन देकर पालन पोषण करें। समाज सेविका विशिष्ट अतिथि मधु दरे ने बेटियों की महत्ता को प्रतिपादित करते हुए कहा जहां बेटियों का सम्मान होता है, वहां स्वर्ग होता है और वहां साक्षात ईश्वर निवास करते हैं।

डॉ. प्रेम लता नीलम, विशिष्ट अतिथि बुंदेलखंड की सुप्रसिद्ध कवयित्री

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