आंशिक सूर्य ग्रहण आज : दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच सूर्य ग्रहण का संयोग, यूरोप, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, पश्चिम एशिया, उत्तरी अटलांटिक महासागर, उत्तरी हिन्द महासागर भारत में नजर आएगा ग्रहण
⚫ जीवाजी वेधशाला उज्जैन में ग्रहण दिखाने की विशेष सुविधा
⚫ भारत के कई हिस्सों में दिखाई देगा सूर्यग्रहण
⚫ ग्रहण की अवधि 4 घण्टे 4 मिनट तक रहेगी
हरमुद्दा
सोमवार, 25 अक्टूबर। 25 अक्टूबर को साल का आखिरी सूर्यग्रहण, फिर गोवर्धन पूजा है। हिंदू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक अमावस्या तिथि पर लक्ष्मी-गणेश की पूजा करते हुए दिवाली का त्योहार मनाया जाता है और अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लेकिन इस बार दिवाली के फौरन बाद ही आंशिक सूर्यग्रहण लगेगा। कई वर्षों बाद दिवाली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा न होकर एक दिन का अंतर है। दिवाली और गोवर्धन पूजा के बीच सूर्य ग्रहण का ऐसा संयोग कई वर्षो बाद पड़ रहा है। जीवाजी वेधशाला उज्जैन में ग्रहण को दिखाने की विशेष व्यवस्था की गई है।
ज्योतिषियों की गणना के अनुसार पिछले 1300 वर्षों बाद सूर्य ग्रहण दो प्रमुख त्योहार के बीच पड़ने के साथ बुध, गुरु, शुक्र और शनि सभी अपनी-अपनी राशि में मौजूद रहेंगे। साल का यह आखिरी आंशिक सूर्यग्रहण भारत के कई हिस्सों में दिखाई देगा।
धार्मिक मान्यताओं का पालन करना जरूरी
ज्योतिषाचार्य पंडित दुर्गाशंकर ओझा ने हरमुद्दा को बताया कि भारत में सूर्यग्रहण दिखाई देने से पहले इसका वेद (सूतक) काल मान्य होगा। जिसके कारण ग्रहण से संबंधित धार्मिक मान्यताएं का पालन किया जाएगा। सूर्य ग्रहण लगने पर वेद (सूतक) काल ग्रहण के शुरू होने से 12 घंटे पहले लगेगा। वेद काल से लेकर सूर्यग्रहण के मोक्ष तक कोई भी धार्मिक कार्य पूजा-पाठ वगैरह नहीं होंगे। मान्यताओं के अनुसार तो भोजन करना पानी पीना तक प्रतिबंधित है। शयन करना भी प्रतिबंधित है। ग्रहण काल में जप करना श्रेयस्कर है। बीमार व्यक्तियों के लिए सभी प्रकार की छूट है।
क्या न करें
⚫ ग्रहण के दौरान कभी भी कोई शुभ काम या देवी-देवताओं की पूजा नहीं करनी चाहिए।
⚫ ग्रहण के दौरान न ही भोजन बनाना चाहिए और न ही कुछ खाना-पीना चाहिए।
⚫ ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं का ग्रहण नहीं देखना चाहिए और न ही घर से बाहर जाना चाहिए।
⚫ ग्रहण के दौरान तुलसी समेत अन्य पेड़-पौधों नहीं छूना चाहिए।
क्या करें
⚫ ग्रहण शुरू होने से पहले यानी वेद (सूतक) काल प्रभावी होने पर पहले से ही खाने-पीने की चीजों में पहले से कुश (डाब) रखें। कुश नहीं होने की स्थिति में तुलसी के पत्ते को डालकर रखना चाहिए।
⚫ ग्रहण के दौरान अपने इष्ट देवी-देवताओं के नाम का स्मरण करना चाहिए।
⚫ ग्रहण के दौरान इसके असर को कम करने के लिए मंत्रों का जाप करना चाहिए।
⚫ ग्रहण खत्म होने पर पूरे घर में गंगाजल का छिड़काव करना चाहिए।
देश में यहां दिखेगा सूर्य ग्रहण
दिल्ली, राजस्थान,पश्चिमी मध्य प्रदेश, गुजरात, पंजाब,उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड. जम्मू, श्रीनगर, लेह और लद्दाख
देश के इन हिस्सों में कुछ समय के लिए दिखेगा सूर्य ग्रहण
दक्षिण भारत के हिस्से जैसे तमिलनाडु, कर्नाटक, मुंबई, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, ओडिशा, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड और बंगाल
देश के इन हिस्सों में नहीं दिखाई देगा सूर्य ग्रहण
देश के पूर्वी भागों में असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और नागालैंड
ग्रहण की अवधि 04 घण्टे 04 मिनट तक रहेगी
जीवाजी वेधशाला के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र गुप्त ने हरमुद्दा को बताया कि आंशिक सूर्य ग्रहण का दोपहर 02:28:03 पर शुरुआत होगी। मध्य की स्थिति दोपहर 04:30:1 बजे एवं मोक्ष सायं 06:32:01 पर होगा। मध्य की स्थिति में सूर्य का 63.2 प्रतिशत भाग ढक जाएगा। ग्रहण की अवधि 04 घण्टे 04 मिनट तक रहेगी। ग्रहण यूरोप, मध्य पूर्व, उत्तरी अफ्रीका, पश्चिम एशिया, उत्तरी अटलांटिक महासागर, उत्तरी हिन्द महासागर भारत में दृश्य होगा। भारत में यह ग्रहण अडमान निकोबार द्वीप समूह तथा उत्तरी पूर्वी भारत को छोड़कर सम्पूर्ण भारत में दृश्य होगा।
मध्यप्रदेश में कब कहां पर ग्रहण
डॉ. गुप्त ने बताया कि भारत में सूर्यग्रहण का प्रारम्भ उत्तर-पश्चिम से दक्षिण पूर्व की ओर चलने पर लगभग सायं 04:20 से सायं 05:30 के मध्य स्थान की स्थिति के अनुसार होगा। मध्यप्रदेश में सूर्यग्रहण का प्रारम्भ उत्तर-पश्चिम से दक्षिण-पूर्व की ओर चलने पर साथ 04:35 से सायं 04:50 के मध्य स्थान की स्थिति के अनुसार होगा। भोपाल में ग्रहण का प्रारम्भ सायं 04: 4: 24 पर मध्य की स्थिति साथ 05:38 पर होगी। ग्रहण की स्थिति में ही भोपाल में सायं 05:47 पर सूर्यास्त हो जाएगा। उज्जैन में ग्रहण का प्रारम्भ सायं 04:41:01 पर मध्य की स्थिति साथ 05:38 पर होगी ग्रहण की स्थिति में ही उज्जैन में सायं 05:53 पर सूर्यास्त हो जाएगा। मध्य की स्थिति में सूर्य का 32.6 प्रतिशत भाग उज्जैन में ढका हुआ दिखाई देगा। इस प्रकार उज्जैन में लगभग 1 घण्टे ही ग्रहण को हम देख सकेंगे।
तब होता है आंशिक सूर्यग्रहण
डॉ. गुप्त ने बताया कि आंशिक सूर्यग्रहण उस समय होता है जब चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आंशिक रूप से आता है जिससे पृथ्वी के स्थान विशेष से देखने पर सूर्य का कुछ भाग ढंका हुआ दिखाई देता है। इस प्रकार होने वाला ग्रहण आंशिक सूर्यग्रहण कहलाता है। वेधशाला में सोलर फिल्टर युक्त चश्मों से सायं 04:41:01 से सायं 05:53 तक ग्रहण दिखाने की व्यवस्था रहेगी।
सूर्यग्रहण को देखते समय क्या करें
⚫ सूर्य की केवल प्रक्षेपित छवि ही देखनी चाहिए।
⚫ सूर्य की छवि को एक पिन होल के जरिए छाया वाली दीवार पर प्रक्षेपित करें।
⚫ एक छोटे दर्पण को कागज के टुकड़े से ढके इस कागज में 1 से 2 सेंटीमीटर व्यास का छिद्र बनाईये कागज लगे इस दर्पण का प्रयोग कर दीवार पर सूर्य की प्रक्षेपित छवि को देखिए।
⚫ सूर्य की छवि को प्रक्षेपित करने के लिए एक छोटे टेलिस्कोप या बाइनोक्युलर का प्रयोग किया जा सकता है।
⚫ आंशिक रूप से ग्रहण लगे सूर्य का प्रत्यक्ष दर्शन केवल वैज्ञानिक रूप से जांचे गए और सुरक्षित होने के प्रमाण वाले फिल्टर से करना चाहिए। खरोंच वाले खराब फिल्टर का उपयोग बिल्कुल नहीं करना चाहिए।
⚫ ग्रहण को देखने के लिए केवल अपनी एक आंख का ही प्रयोग करना चाहिए।
⚫ अच्छा तो यह होगा कि ग्रहण देखने वालों को ग्रहण की पूर्ण दशा के आरंभ और समाप्ति की जानकारी देने के लिए एक अनुभवी व्यक्ति साथ हो।
सूर्यग्रहण को देखते समय क्या नहीं करें
⚫ सूर्यग्रहण की आंशिक या वलयाकार स्थिति को कोरी आंखों से देखने का प्रयास न करें।
⚫ टेलिस्कोप या बाइनोक्युलर से सूर्य को कभी न देखें।
⚫ किसी भी ऐसे फिल्टर का इस्तेमाल न करें जो सूर्य की दृश्य तीव्रता को कम कर देता है।
⚫ धूम्रयुक्त ग्लास, रंगीन फिल्म, सनग्लास, नॉन-सिल्वर ब्लैक एण्ड व्हाइट फिल्म फोटोग्राफिक न्यूट्रल डेंसिटी फिल्टर या पोलराइजिंग फिल्टर, एक्सरे फिल्म का इस्तेमाल न करें ये सुरक्षित नहीं होते।
⚫ नेत्र गोलकों पर लगाए जाने वाले सौर फिल्टर का इस्तेमाल भी न करें जो सस्ते टेलीस्कोप के साथ बेचे जाते हैं।