प्रवासी सम्मेलन : राष्ट्रपति ने कहा मैं यहां आकर बहुत खुश हूं, समापन पर 27 प्रवासी भारतीयों को राष्ट्रपति ने किया सम्मानित

⚫ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा तीन दिन आनंद, उत्सव और उमंग के रहे

⚫ विश्व में हर जगह भारतीयों का दबदबा

तुम बिन लागेगा इंदौर सूना-सूना

⚫ जयपुर के चांदमल कुमरावत ने गोल्ड कलर की पेंटिंग भेंट की राष्ट्रपति को

हरमुद्दा
इंदौर, 10 जनवरी। यहां पर आयोजित तीन दिवसीय प्रवासी सम्मेलन के अंतिम दिन समापन अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 27 प्रवासी भारतीयों को सम्मानित किया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि तीन दिन से सब तरफ इंदौर, मध्य प्रदेश और भारत की चर्चा हो रही है। यह कार्यक्रम केवल सरकार का नहीं था। लेकिन इंदौर की जनता ने जी-जान से जुड़कर यह कार्यक्रम किया है। प्रधानमंत्री कह रहे थे कि इंदौर स्वच्छता, स्वाद की राजधानी। इंदौर जनभागीदारी और जनसहभागिता की भी राजधानी है।

दुनिया भर की हस्तियों का आभार

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि लंबे अरसे के बाद प्रत्यक्ष रूप से प्रवासी भारतीय दिवस सम्मेलन का आयोजन हुआ। यहां भाग लेकर मैं बेहद खुश हूं। दुनियाभर से आई हस्तियों का आभार, जो उन्होंने प्रवासी भारतीयों के लिए आयोजित सम्मेलन में भाग लिया। मुझे उम्मीद है कि जिन्हें भी सम्मान मिला है, यह उन्हें भविष्य में और बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगा। यह एक यूनिक प्लेटफॉर्म है, जो भारत और प्रवासी समुदाय को जोड़ता है। महात्मा गांधी नौ जनवरी को भारत लौटे थे और इसी की याद में प्रवासी भारतीय दिवस मनाया जाता है। देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। अमृत काल में भारत की प्रगति में प्रवासी भारतीयों की अहम भूमिका है। सरकार ने कई पहल की है। यह प्रवासी भारतीयों के हितों का ध्यान रखने के लिए है। उन्हें हम नेशन बिल्डिंग में भी जोड़ रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि प्रवासी भारतीयों की हमारे दिलों में खास जगह है। वे न केवल हमारे विस्तारित परिवार के सदस्य हैं, बल्कि उनका भारत की तरक्की में अहम योगदान रहा है।

बेटी की शादी जैसी तैयारी की इंदौर ने  प्रवासी सम्मेलन के लिए : मुख्यमंत्री चौहान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि सचमुच में इंदौर ने तैयारी वैसी की, जैसी बेटी की शादी के लिए करते हैं। बेटी की शादी जैसा इंदौर का स्वागत-सत्कार। जब बेटी की बिदाई होती है तो मन में तकलीफ भी होती है। मैं ‘पधारो म्हारे घर’ कार्यक्रम में गया था। वहां ऐसा लगा जैसे दो परिवार नहीं मिले हों बल्कि दो देश जुड़ गए हों। तीन दिन आनंद, उत्सव और उमंग के थे। तीन दिन कैसे कट गए, पता ही नहीं चला। अब मन सोचकर भारी हो रहा है कि आप चले जाओगे। यहीं रह जाओ न। जो बात इस जगह है, वह कही भी नहीं।

पूरी दुनिया में भारतीयों का दबदबा : नागरिक उड्डयन मंत्री सिंधिया

नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया

नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि भारतीयों का दबदबा आज पूरी दुनिया में है। इंग्लैंड के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक हो या सत्या नडेला, हर जगह भारतीयों का दबदबा कायम हो रहा है। प्रवासी भारतीय हमारे देश की पहचान को बढ़ा रहे हैं। मैं कहता हूं कि भारतीय सिर्फ 135 करोड़ नहीं है, बल्कि 138 करोड़ है, जिनमें तीन करोड़ प्रवासी भारतीय हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दिल में प्रवासी भारतीय रहते हैं। यह मैं विश्वास दिलाना चाहता हूं। उनके ही प्रयास है कि हम हम यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों को हम भारत में सुरक्षित ला सके। इस कार्य में प्रवासी भारतीयों ने अहम भूमिका निभाई। भारत के बिना विश्व आगे नहीं बढ़ सकता, यह विचार पूरी दुनिया में स्थापित हो गया है।

विदेश मंत्री ने दिया स्वागत भाषण

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मौजूदगी में प्रवासी भारतीय सम्मेलन के समापन कार्यक्रम का आगाज हुआ। इस दौरान विदेश मंत्री एस जयशंकर ने स्वागत भाषण दिया।

राष्ट्रपति ने जिन्हें सम्मानित किया, उनमें है यह शामिल

⚫ प्रो. जगदीश चेन्नुपति, आस्ट्रेलिया, विज्ञान और प्रौद्योगिकी/शिक्षा

⚫ संजीव मेहता, भूटान, शिक्षा
प्रो. दिलीप लौंडो, ब्राज़ील, कला और संस्कृति/शिक्षा

⚫ डॉ. अलेक्जेंडर मलाइकेल जॉन, ब्रुनेई दारुस्सलाम मेडिशन

⚫ डॉ. वैकुंठम अय्यर लक्ष्मणन, कनाडा, समाजसेवा

⚫ जोगिंदर सिंह निज्जर, क्रोएशिया, कला और संस्कृति/शिक्षा

⚫ प्रो. रामजी प्रसाद, डेनमार्क, सूचना प्रौद्योगिकी

⚫ डॉ. कन्नन अम्बलम, इथियोपिया, समाजसेवा

⚫ डॉ. अमल कुमार मुखोपाध्याय, जर्मनी, समाजसेवा/चिकित्सा

⚫ डॉ. मोहम्मद इरफान अली, गुयाना, राजनीति/समाजसेवा

⚫ रीना विनोद पुष्करणा, इजराइल, व्यवसाय/समाजसेवा

⚫ डॉ. मकसूदा सरफी श्योतानी, जापान, शिक्षा

⚫ डॉ. राजगोपाल, मैक्सिको, शिक्षा

⚫ अमित कैलाश चंद्र लठ, पोलैंड, व्यवसाय/समाजसेवा

⚫ परमानंद सुखुमल दासवानी, कांगो गणराज्य, समाजसेवा

⚫ पीयूष गुप्ता, सिंगापुर, व्यवसाय

⚫ मोहनलाल हीरा, दक्षिण अफ्रीका, समाजसेवा

⚫ संजयकुमार शिवभाई पटेल, दक्षिण सूडान, व्यवसाय/समाजसेवा

⚫ शिवकुमार नदेसन, श्रीलंका, समाजसेवा

⚫ डॉ. देवनचंद्रभोज शरमन, सूरीनाम, समाजसेवा

⚫ डॉ. अर्चना शर्मा, स्विटजरलैंड, विज्ञान प्रौद्योगिकी

⚫ न्यायमूर्ति फ्रैंक आर्थर सीपरसाद, त्रिनिदाद और टोबैगो, समाजसेवा/शिक्षा

⚫ सिद्धार्थ बालचंद्रन, संयुक्त अरब अमीरात, व्यवसाय/समाजसेवा

⚫ चंद्रकांत बाबूभाई पटेल, यूके, मीडिया

⚫ डॉ. दर्शन सिंह धालीवाल, अमेरिका, व्यवसाय/समाजसेवा

⚫ राजेश सुब्रमण्यम, अमेरिका, व्यवसाय

⚫ अशोक कुमार तिवारी, उज़्बेकिस्तान, व्यवसाय

गोल्ड कलर में बना कर राष्ट्रपति को दी पेंटिंग

राष्ट्रपति की गोल्ड कलर की पेंटिंग के साथ चांदमल कुमरावत

जयपुर के चांदमल कुमरावत ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की एक पेंटिंग इंदौर आगमन पर उन्हें भेंट की। चांद अब तक आठ राष्ट्रपतियों को इस तरह की पेंटिंग बना कर दे चुके हैं। वह  बताते हैं कि इस पेंटिंग में ऑयल कलर के अलावा गोल्डन कलर और वर्क का भी इस्तेमाल हुआ है। सात ग्राम गोल्ड का कलर तैयार कर राष्ट्रपति के चश्मे की फ्रेम और आभूषण बनाए गए। चांद इस पेंटिंग को जयपुर से बना कर लाए थे और इंदौर में उसे नक्काशीदार  लकड़ी में फ्रेम करवाया। इंदौर आगमन के दौरान राष्ट्रपति को यह पेंटिंग चांद कुमरावत ने भेंट की। उनके द्वारा बनाई के साथ कई मेहमानों ने फोटो भी खींचवाई।

जिन्होंने लगाए पेड़ उन्हें दिया गया क्यूआर कोड

जाने से पहले हमने आपने ग्लोबल गार्डन में पेड़ लगाए। हर देश के प्रतिनिधि ने पेड़ लगाया। हमने आपने पेड़ के बंधन से बांध लिया। जिन्होंने पेड़ लगाए, उन्हें क्यूआर कोड भी दे रहे हैं। आप स्कैन करेंगे तो आपका लगाया पेड़ आपको दिखेगा। वह पेड़ आपको आपको हमारी याद दिलाता रहेगा। प्रधानमंत्री ने वसुधैव कुटुम्बकम का मंत्र दिया है। हम इस पर काम कर रहे हैं।

तुम बिन लागेगा इंदौर सूना-सूना

विदाई की बेला आ गई है। इंदौर की यादों को लेकर विदा लेना। जब तुम चले जाओगे तो याद बहुत आओगे। तुम बिन लागेगा कन्वेंशन सेंटर सूना। तुम बिन लागेगा राजवाड़ा सूना-सूना। सराफा, राजवाड़ा सूना-सूना। तुम बिन लागेगा इंदौर सूना-सूना। सितारों को आंखों में महफूज रखना, बड़ी दूर तक रात ही रात होगी। मुसाफिर हो तुम भी, मुसाफिर हैं हम भी, फिर किसी मोड़ पर मुलाकात होगी। कसर छोड़ी न थी। पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लोकप्रियता ही ऐसी है कि हॉल छोटा पड़ गया। दोनों हाथ जोड़कर माफी मांगता हूं। हमारा प्यार दिल में रखकर जाइये और हमें याद रखिये।

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