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धर्म संस्कृति : विश्वास हो, तो एक चिमटी राख भी बन जाती है बहुत बड़ी दवा

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आचार्य प्रवर श्री विजयराजजी मसा ने कहा

नवकार भवन में चातुर्मासिक प्रवचन

हरमुद्दा
रतलाम,23 अगस्त। संसार में विश्वास के बढकर कोई दवा नहीं है। बीमारी के लिए इलाज एक बहाना है, डाक्टर भी एक बहाना है और हास्पीटल भी एक बहाना है। विश्वास यदि होता है, तो एक चिमटी राख भी बहुत बडी दवा बन जाती है। विश्वास हर बिमारी, समस्या और परेशानी का समाधान है।


यह बात परम पूज्य, प्रज्ञा निधि, युगपुरूष, आचार्य प्रवर 1008 श्री विजयराजजी मसा ने सिलावटों का वास स्थित नवकार भवन में कही। चातुर्मासिक प्रवचन के दौरान दुर्मति के प्रमुख दोष विश्वासघात पर प्रकाश डालते हुए उन्होने कहा कि विश्वास की दीवार में यदि दरार पडती है, तो परिवार बिखर जाता हैं। विश्वास होता है, तो भाईचारा रहता है, अन्यथा ये भी बेचारा और वो भी बेचारा वाली स्थिति बन जाती है। वर्तमान में लोगों के पास पैसा बहुत बढ रहा है, लेकिन प्रेम नहीं बढ रहा है। इसका कारण विश्वास की कमी है।

विश्वास करने से होगा जीवन सफल

आचार्यश्री ने कहा कि इंसान बडा होता है, तो बचपन भूल जाता है। शादी होती है, तो माता-पिता को भूल जाता है। बच्चे होते है, तो भाई-बहन को भूल जाता है और अमीर होता है, तो गरीबों को भूल जाता है। बाद में जब खाली होता है, तो इन सभी बातों को याद कर रोता है और यही संसार का बहुत बड़ा विश्वासघात है। विश्वासघात मनुष्य पर चार अटेक करता है। पहला तन को रूग्ण बना देता है, मन को खिन्न कर देता है, जीवन को कमजोर करता है और भविष्य खराब कर देता हैं। विश्वास घात करने वाले को बीमारी होती है, उसकी इज्जत भी चली जाती है और हमेशा हताश, निराश और नर्वस रहता हैं। कुछ पैसा कमाने के चक्कर में विश्वासघात करने वालों का तो भविष्य ही अंधकारमय हो जाता है।
आचार्यश्री ने कहा कि ज्ञानियों ने विश्वास करने पर जोर दिया हैं। आचार्य तुलसी ने भी विश्वास के पांच केन्द्र बताए है। उनके मुताबिक अपने परमात्मा पर विश्वास करना चाहिए। अपने नैतृत्व पर विश्वास करना चाहिए। अपने लक्ष्य पर विश्वास करना चाहिए। अपने कार्य पर विश्वास करना चाहिए और अपने आप पर भी विश्वास करना करो, तो जीवन सफल हो जाएगा।

आचरण सूत्र का किया वाचन

आरंभ में उपाध्याय प्रवर, प्रज्ञारत्न श्री जितेश मुनिजी मसा ने आचारण सूत्र का वाचन किया। इस दौरान बडी संख्या में श्रावक-श्राविकागण उपस्थित रहे।

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