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सेहत सरोकार : अब निपाह वायरस ने दे दी दस्तक, कोझिकोड में दो की मौत, स्वास्थ्य मंत्री ने ली उच्च स्तरीय बैठक

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प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग हुआ सक्रिय

कई जगह कंटेनमेंट जोन बनाने शुरू

इंसेंटिव केयर यूनिट में हुई दोनों ही संक्रमित की मौत

हरमुद्दा
केरल के कोझिकोड में निपाह वायरस ने दस्तक दे दी है। अब तक 4 मामले सामने आ चुके हैं, वहीं दो लोगों की मौत हो गई। हालात की गंभीरता को देखते हुए कन्नूर, वायनाड और मलप्पुरम में अलर्ट जारी कर दिया गया है। यहां की 7 ग्राम पंचायतों को कंटेनमेंट जोन बनाया गया है।

केरल राज्य इन दिनों एक गंभीर संक्रामक रोग की चपेट में है, कोझिकोड जिले में दो लोगों की मौत के बाद से केरल स्वास्थ्य विभाग सतर्क हो गया। दोनों की मौत के लिए निपाह वायरस के संक्रमण को कारण माना जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दोनों रोगियों को इंटेंसिव केयर यूनिट में भर्ती कराया गया था, जहां उनकी मौत हुई है।

कंटेनमेंट जोन बनाते हुए स्वास्थ्य कर्मी

स्वास्थ्य विभाग ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री वीना जॉर्ज ने यहां निपाह के जोखिम को देखते हुए उच्च स्तरीय बैठक करके स्थिति की समीक्षा की है। गौरतलब है कि केरल में पहले भी निपाह के मामले रिपोर्ट किए जाते रहे हैं।

सैंपल भेज जांच के लिए पुणे

स्वास्थ्य अमला हुआ सक्रिय

जानकारी के मुताबिक मृतकों और निपाह वायरस संक्रमण जैसे समान लक्षण वाले रोगियों के सैंपल पुणे में नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) को जांच के लिए भेजे गए हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सभी लोगों को इस गंभीर संक्रमण से बचाव के लिए प्रयास करते रहने की सलाह दी है, साथ ही अन्य राज्यों को भी निपाह के खतरे को लेकर अलर्ट किया गया है।

निपाह वायरस के बारे में जानिए

निपाह वायरस जानवरों और इंसानों के बीच फैलता है, यह मुख्यरूप से चमगादड़ों के माध्यम से फैलता है हालांकि कुछ मामलों में सुअर, बकरी, घोड़े जैसे अन्य जानवरों के माध्यम से भी इसका संक्रमण हो सकता है। संक्रमित जानवरों के संपर्क में रहने वालों में इस संक्रमण का खतरा अधिक देखा जाता है। संक्रमित जानवर के शारीरिक तरल पदार्थ (रक्त, मल, पेशाब या लार) के माध्य से इसका संक्रमण इंसानों को हो सकता है।

निपाह संक्रमण में क्या होते हैं लक्षण?

अध्ययनकर्ताओं ने बताया कि वायरस के संपर्क में आने के 14 दिनों के भीतर इसके लक्षण दिखने लग जाते हैं। शुरुआत के दिनों में बुखार और सिरदर्द के साथ फ्लू जैसे सामान्य लक्षण दिखते हैं, समय के साथ इसके लक्षणों के गंभीर रूप लेने का खतरा बढ़ता जाता है। बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में कठिनाई के साथ इसके लक्षण गंभीर होते जा सकते हैं जिसमें ब्रेन इंफेक्शन (एन्सेफलाइटिस) हो सकता है।कुछ लोगों में संक्रमण के कारण भ्रम और भटकाव जैसी समस्याओं के साथ दौरे पड़ने, बेहोशी और श्वसन संबंधी समस्या होने का भी खतरा हो सकता है।

निपाह का संक्रमण हो जाए तो क्या करें?

निपाह संक्रमण का कोई विशिष्ट इलाज नहीं है, इसमें सहायक उपचार के माध्यम से लक्षणों को सुधारने के लिए प्रयास किए जाते हैं। रोगियों को कुछ उपाय करके सेहत में सुधार के लिए प्रयास करते रहने की सलाह दी जाती है। लक्षणों में सुधार के लिए बहुत सारा पानी पीने, भरपूर आराम करने को लाभकारी माना जाता है। मतली या उल्टी को नियंत्रित करने के लिए दवाएं दी जाती हैं। जिन रोगियों को सांस लेने में कठिनाई होती है उन्हें इन्हेलर या नेब्युलाइज़र दी जा सकती है। शोधकर्ता निपाह वायरस के लिए मोनोक्लोनल एंटीबॉडी उपचार तैयार करने के लिए अध्ययन कर रहे हैं।

निपाह से बचाव के लिए क्या करें?

स्वास्थ्य विशेषज्ञ कहते हैं, जिन स्थानों पर निपाह का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है, वहां की यात्रा करने से बचना चाहिए। इसके अलावा बचाव के लिए हाथों को समय-समय पर धोते रहने, संक्रमित जानवरों के निकट संपर्क से बचने और फलों-सब्जियों के सेवन से पहले उसे अच्छी तरह से साफ करने की सलाह दी जाती है।अगर कोई व्यक्ति निपाह से संक्रमित है तो उसके निकट संपर्क से बचना चाहिए।

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