साहित्य सरोकार : ‘सुनें सुनाएं ‘ का चौदहवां सोपान 5 नवंबर को
⚫ इस बार 11 साथी अपनी प्रिय रचना का करेंगे पाठ
हरमुद्दा
रतलाम, 3 नवंबर। शहर में रचनात्मक गतिविधियों को बढ़ाने के लिए निरंतर चलाए जा रहे रचनात्मक आयोजन सुनने का 14वां सोपान 5 नवंबर, रविवार को जी.डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल (एनैक्सी प्रथम तल), रतलाम पर प्रातः 11बजे होगा।
इस आयोजन में इस बार 11 साथी अपनी प्रिय रचना का पाठ करेंगे।बेबी दिशिता वशिष्ठ द्वारा कैलाश वशिष्ठ की रचना ‘ गली-गली में शोर सुनाया’ का पाठ, मुकेश पुरी गोस्वामी द्वारा जावेद आसी की रचना ‘टूट जाती है’ का पाठ, इरफ़ान शेख़ द्वारा शबीना अदीब की रचना ‘दीवानगी’ का पाठ, युसूफ़ जावेदी द्वारा शमशेर बहादुर सिंह की रचना ‘ जो धर्म के अखाड़े हैं’ का पाठ, दिनेश चंद्र उपाध्याय द्वारा बालक राम शाद की रचना ‘बताओ, माजरा क्या है’ का पाठ, श्रीमती रजनी व्यास द्वारा माखनलाल चतुर्वेदी की रचना ‘मुझको कहते हैं माता’ का पाठ, आई.एल.पुरोहित द्वारा डॉ विष्णु सक्सेना की रचना ‘ रेत पर नाम तुमने मेरा लिख दिया ‘ का पाठ,श्रीमती इन्दु सिन्हा द्वारा अताउल्ला खां की रचना ‘मिला न देना तमन्ना ये ख़ाक में मेरी’ का पाठ, दुष्यन्त कुमार व्यास द्वारा बालकवि बैरागी की मालवी रचना ‘पनिहारी’ का पाठ,मयूर व्यास द्वारा अज्ञात रचनाकार की रचना ‘ज़रा सा फर्क होता है रहने और नहीं रहने में’ का पाठ, भावेश ताटके द्वारा श्याम सुंदर रावत की रचना ‘हे भारत के राम जगो’ का पाठ किया जाएगा।
सृजनशील साथियों से उपस्थिति का आग्रह
उल्लेखनीय है कि इस कार्यक्रम की अवधि सभी ने मिलकर एक घंटा (प्रातः 11 बजे से 12 बजे तक) तय की है, इसलिए प्रारंभ में रचनाओं का पाठ और शेष समय में रचनाओं पर सार्थक विमर्श होता है।
इस आयोजन में कोई अपनी रचना नहीं पढ़ता है बल्कि अपने प्रिय रचनाकारों की रचना का पाठ करता है। सुनें सुनाएं’ने शहर के सृजनशील साथियों से उपस्थिति का आग्रह किया है।