…और टूट गया भरोसा : तैयारी रह गई धरी की धरी, पटाखे हो गए घरों में कैद, खेल प्रेमी हुए निराश, करोड़ों भारतीयों का दिल हुआ आहत

क्रिकेट में विश्व कप जीतने की एक और दिवाली मनाने का ख्वाब टूटा

पहले की थी खुशी मनाने की तैयारी, अब उससे करेंगे गम गिला

अब तो देव दीपावली पर ही मिलेगी पटाखों को आजादी

हेमन्त भट्ट
रविवार, 19 नवंबर। क्रिकेट प्रेमियों को विश्वास नहीं हो रहा है कि भारत विश्व कप क्रिकेट का खिताब हार गया है, जो लगातार सभी मैच जीते और सफलता के झंडे गाड़े। विश्व रिकॉर्ड बनाएं। शतकों का अर्धशतक लगाया। विकेट लेने का चमत्कार दिखाया। एकाएक वह भारतीय टीम खिताबी मुकाबले में एक कदम पीछे रह गई। क्रिकेट प्रेमियों की उम्मीदें टूट गई। तैयारी धरी की धरी रह गई। पटाखे घरों में कैद हो गए। एक और दीपावली मनाने का जो मौका मिलने वाला था, वह टूट गया। पहले की थी खुशी मनाने की तैयारी, अब उससे गम गिला करेंगे, क्योंकि खेल प्रेमियों को यही मिला है सिला।

रविवार को पूरे देश की नजर टीवी स्क्रीन पर ही थी। सभी अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम पर नजारे को अपनी आंखों से देख रहे थे। पहले एयर शो में आनन्द उठाया। क्रिकेट प्रेमियों ने हजारों खर्च करके स्टेडियम में अपनी जगह बनाई। सब की यही तमन्ना थी कि भारतीय क्रिकेट टीम के हाथों में खिताबी कप हो और उसके साक्षी बने। मगर वह उम्मीद, वह सपना अंततोगत्वा टूट गया। उन्हें विश्वास नहीं हो रहा था कि जो अपनी आंखों के सामने हुआ, वह सच था।

हर गेंद पर थी विकेट गिरने की तमन्ना

देशवासियों ने विश्व कप जीतने के लिए काफी तैयारी की थी। एक और दीपावली मनाने की योजना थी। अधिकांश घरों में आतिशबाजी के लिए पटाखे का संग्रहण कर रखा था। हर गेंद पर हर भारतीय की तमन्ना थी कि अब विकेट गिरे, तब विकेट गिरे, मगर विकेट गिरा भी तो बहुत देर से। तब तक उम्मीद टूट चुकी थी। कोई भी चमत्कार तब काम आने वाला नहीं था और ऐसा नहीं हुआ जबकि मैच देखने वाले करोड़ों भारतीयों के जेहन में बार-बार यही हो रहा था कि अब चमत्कार होगा, अब तो कुछ न कुछ होगा मगर ऐसा कुछ भी नहीं हो पाया। जो सच था, उसे स्वीकार करना ही पड़ा।

… और टूट गया भरोसा

क्रिकेट प्रेमियों को पहले तो विश्वास नहीं हुआ कि हर बार 300 से अधिक रन बनाने वाली टीम ढाई सौ रन भी नहीं बना पाई। मगर फिर भी वह अफसोस नहीं था, उन्हें अपने गेंदबाजों पर पूरा भरोसा था कि वह गेम चेंजर हैं। एक बार ऐसा लगा कि गेम भारत के कब्जे में ही है, मगर जैसे-जैसे गेंद बॉलर के हाथ से छुटती गई और रनों की बारिश होती गई, वैसे-वैसे सपने भी बहते गए। आखिरकार भारतीय टीम द्वारा विश्व कप जीतने का भरोसा टूट गया। यह भरोसा आखिर कब तक टूटेगा? क्या राजनीति करने वालों का भी भरोसा इसी तरह टूटेगा। अभी तो पांच राज्यों में परिणाम आने वाले हैं वे किन-किन का दिन दिल तोड़ेंगे और किस-किस का रिश्ता राजनीति से जोड़ेंगे। समय ही बताएगा कुछ दिन बाद परिणाम आएंगे, वह खुशी किसे देंगे, यह अभी बंद है ईवीएम में।

अंततः

“कभी खुशी कभी गम, मगर हिम्मत नहीं हारेंगे हम” की तर्ज पर जिंदगी चलती रहेगी। केवल एक कप हारे हैं। अगला कप फिर इंतजार कर रहा है। बस जिन खिलाड़ियों ने अभी हाथों में विश्व कप लेने की तैयारी की थी, वह का उनसे दूर हो गया। अब वह रहेंगे या नहीं रहेंगे। यह तो उनके चयन पर ही निर्भर करेगा।

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