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धर्म संस्कृति : कामनाओं की पूर्ति के लिए जागरण मंजूर लेकिन मोक्ष के लिए नहीं

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अंतरराष्ट्रीय ओजस्वी वक्ता श्रीमद् भागवताचार्य सत्यव्रत शास्त्री ने कहा

श्री राधाकृष्ण संस्कार परिचय एवं गीता जयंती महोत्सव समिति के बैनर तले 20 वां महोत्सव

हरमुद्दा
रतलाम, 18 दिसंबर। संसार में यह विडंबना ही है कि मनुष्य कामनाओं की पूर्ति के लिए लगातार दौड़े जा रहा है। लगातार जागरण कर रहा है। धन प्राप्ति के लिए जब चाहे, तब भागता है, मगर मोक्ष के लिए वह ना तो भागता है और नहीं जागता है। उसके लिए सोया हुआ है। देखा जाए तो मोक्ष के लिए जागरण करने की जरूरत है। राम नाम के हीरे मोती गली गली बिखरे पड़े हुए मगर मनुष्य उसे देख नहीं पा रहा है क्योंकि उसकी आंखों पर स्वार्थ का पर्दा पड़ा हुआ है। जब परमार्थ करेगा तो वह नजर आएगा।

यह विचार अंतरराष्ट्रीय ओजस्वी वक्ता आचार्य सत्यव्रत शास्त्री ने व्यक्त किए। आचार्य शास्त्री के सान्निध्य चल रही श्री हनुमान बाग अमृत सागर पर सात दिवसीय श्रीमद् भागवत सप्ताह गीता जयंती महोत्सव के दूसरे दिन धर्मालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि वास्तविकता में यह जीवन तो धर्म कार्य के लिए है। भगवत प्राप्ति के लिए है। मोक्ष के लिए है। मनुष्य को जीवन जीते ही मोक्ष की तैयारी करनी चाहिए। श्रीमद् भागवत पुराण में भक्ति है। वैराग्य है। त्याग है। श्रीमद् भागवत पुराण 10 लक्षण से युक्त है।

मन से ही मिलते हैं ईश्वर और माया

मन बड़ा चंचल होता है। मन को जीतना जरूरी है। मन से ही माया और ईश्वर की प्राप्ति होती है। मन को लगाना सबसे कठिन है। मन लगाने के लिए अभ्यास करना जरूरी है। कीर्तन कीजिए। कथा सुनिए। भक्ति कीजिए। चित्त में भांति-भांति की वृत्तियां उत्पन्न होती है। प्राणायाम करने से मन शांत होता है। भावना बदलने से कार्य हो जाएगा। यदि आप भगवान के लिए कार्य करेंगे तो वह सफल होगा। मन को संयम में लाना बेहद जरूरी है।

भजनों ने किया ऊर्जा का संचार

हाथरस से आए गायक कलाकार और संगीतकारों ने कथा के दौरान मधुर भजन के माध्यम से मौजूद धर्मालुओं में उत्साह का संचार किया। आरती एवं पोथी पूजन नवीन मोनिका मेहता दम्पत्ति ने किया।

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