धर्म संस्कृति : जीविकोपार्जन के लिए कार्य करते हुए मनुष्य करें धर्म का पोषण
⚫ अंतरराष्ट्रीय ओजस्वी वक्ता श्रीमद् भागवताचार्य सत्यव्रत शास्त्री ने कहा
⚫ श्री राधा कृष्ण संस्कार परिषद एवं गीता जयंती महोत्सव समिति के बैनर तले 20 वां महोत्सव
हरमुद्दा
रतलाम, 20 दिसंबर। संसार के लोगों का तो काम है कहना। आप अच्छा करेंगे तो भी कहेंगे, बुरा करेंगे तो भी कहेंगे। हर एक के लिए समय निकाले, समय प्रबंधन करें। संसार में रहते हुए परिवार का पालन करें। जीविकोपार्जन के लिए कार्य करें। धर्म का पोषण करें। धर्म का प्रचार प्रसार करें। मनुष्य जीवन को सार्थक बनाएं।
यह विचार अंतरराष्ट्रीय ओजस्वी वक्ता आचार्य सत्यव्रत शास्त्री ने व्यक्त किए। आचार्य शास्त्री के सान्निध्य चल रही श्री हनुमान बाग अमृत सागर पर सात दिवसीय श्रीमद् भागवत सप्ताह गीता जयंती महोत्सव के तीसरे दिन धर्मालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि मोह सभी व्याधियों का मूल है। जबकि मनुष्य को मोह माया से दूर रहना चाहिए। यह मोह माया ही है जो कि ईश्वर भक्ति को प्राप्त करने में रोड़ा बनती है। जीवन में जो भी है उसको हावी न होने दें। धन है तो ज्यादा दिखावा न करें और निर्धन है तो हर जगह फरियाद न करें।
सुख और दुख दोनों ही देते हैं परमात्मा
आचार्य श्री शास्त्री ने कहा मनुष्य के जीवन में चाहे सुख आए या दुख आए। हमेशा सम स्थिति में रहना चाहिए। होता यह है कि दुख में व्यक्ति व्याकुल होकर चीखता है। चिल्लाता है। समाज को कौसता है, मगर जब सुख आता है तो आनंद के साथ रहता है। किसी को बताता नहीं, यह सुख कैसे मिला है। मनुष्य की यह प्रवृत्ति ठीक नहीं है। दुख भी प्रभु देंगे और सुख भी प्रभु ही देंगे। प्रभु का प्रसाद समझ कर उसे स्वीकार करना चाहिए।
शरीर और आत्मा एक दूसरे के पूरक
आचार्य श्री शास्त्री ने कहा शरीर और आत्मा एक दूसरे के पूरक हैं। शरीर के बिना आत्मा का कोई वजूद नहीं और आत्मा के बिना शरीर का सम्मान नहीं है। आत्मा तो आकाश के समान है। जिस तरीके से आकाश को पकड़ नहीं सकते, ठीक उसी तरह आत्मा को ना कोई पकड़ सकता है। ना छीन सकता है। ना काट सकता है। आत्मा तो अजर अमर है। बस शरीर नाशवान है। शरीर आत्मा की मुक्ति के लिए मिला है। हमेशा श्रेष्ठ कार्य करें, ताकि अंत में मोक्ष की प्राप्ति हो। स्वर्ग में स्थान मिले। जीवन में यही जतन करना चाहिए। ताकि नरक में जाने से बचा जा सके।
समाजजन ने किया सम्मान
आयोजन स्थल पर व्यास पीठ पर विराजित आचार्य सत्यव्रत शास्त्री का समाजजन डॉ. राजेन्द्र शर्मा, स्वरूप शर्मा “मामाजी”, पूर्व पार्षद सतीश भारतीय, समाजसेवी अशोक सोनी, शांतु गवली, मनोज शर्मा, हेमंत भट्ट आदि ने सम्मान किया।
मधुर भजन से वातावरण धर्ममय
श्री राधा कृष्ण संस्कार परिषद एवं गीता जयंती महोत्सव समिति का संस्थापक एवं संयोजक पुष्पोद्भव शास्त्री ने बताया कि हाथरस से आए गायक कलाकार और संगीतकारों ने कथा के दौरान मधुर भजन से वातावरण धर्ममय कर रहे हैं। आरती एवं पोथी पूजन सिद्धार्थ सीमा द्विवेदी दंपति ने किया। आयोजन में महावीर मिश्रा, नाथूराम तिवारी, महेंद्र सिंह चौहान, जसपाल सलूजा, श्याम योगी, राधेश्याम पवार, प्रमोद मिश्रा, मनमोद दीक्षित, बालकृष्ण सोनी आदि ने आरती का लाभ लिया।