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साहित्य सरोकार : शहर के समृद्ध पुरा-वैभव के संरक्षण की पहल आवश्यक

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⚫ ‘सुनें सुनाएं’ के सोलहवें सोपान पर हुई समूह चर्चा

हरमुद्दा
रतलाम, 7 जनवरी। शहर का पुरा-वैभव समृद्ध है। यहां की धरोहरों को धीरे-धीरे ख़त्म किया जा रहा है। इससे शहर का वैभव प्रभावित हो रहा है। इन धरोहरों के संरक्षण और प्राचीन इमारतों को उनके मूल स्वरूप में रखने के लिए सभी को प्रयास करना होंगे। इन धरोहरों को सुरक्षित रखने से ही शहर का साहित्य, संस्कृति और वैभव बचा रहेगा।

यह विचार ‘सुनें सुनाएं’ के सोलहवें सोपान में उभर कर सामने आए। जीडी अंकलेसरिया रोटरी हॉल पर आयोजित वैचारिक अभिव्यक्ति के इस आयोजन में इस बार समूह चर्चा आयोजित की गई थी। इसमें उपस्थित जनों ने अपने शहर की संस्कृति, यहां के साहित्य और यहां के प्राचीन धरोहरों की सुरक्षा को लेकर चिंता व्यक्त की। शहर में ऐतिहासिक स्कूलों को सुरक्षित रखने और इन महत्वपूर्ण स्थानों को दर्शनीय बनाने के लिए जन-जन तक यह संदेश प्रसारित करने की आवश्यकता पर जोर दिया गया।

अपनी प्राचीन धरोहरों के लिए प्रयास कर रहे युवा वर्ग को भी प्रोत्साहित करने और उनके साथ कदम से कम मिलने पर सहमति व्यक्ति की गई। उपस्थितजनों ने यह भी निश्चय किया कि इन धरोहरों के संरक्षण के लिए प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों को अवगत कराया जाए, ताकि इनका निरंतर उन्नयन किया जा सके।

इन्होंने अपनी बात रखी

विचार गोष्ठी में नरेंद्र त्रिवेदी, इंदु सिन्हा, अरविंद कुमार मेहता, अशोक तांतेड़, कीर्ति कुमार शर्मा, दुष्यंत कुमार व्यास, मयूर व्यास, सुरेंद्र छाजेड़, अशोक कुमार शर्मा, नरेंद्र सिंह डोडिया, विष्णु बैरागी, विनोद झालानी, अरविन्द पुरोहित, संजय परसाई सरल, तुषार पुरोहित, कमलेश शुक्ला, सांत्वना शुक्ला, सुशीला कोठारी, डॉ. पूर्णिमा शर्मा आशा श्रीवास्तव, श्याम सुंदर भाटी, महावीर वर्मा, आशीष दशोत्तर मौजूद थे।

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