सदियों का अभूतपूर्व धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद हमारे प्रभु राम आ गए हैं
⚫ गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठा के पश्चात हजारों हजार विशिष्ट जनों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित करते हुए कहा
⚫ ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करते हैं राष्ट्र
⚫ लंबे वियोग से आई आपत्ति का हो गया अंत
⚫ न्याय के पर्याय श्रीराम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से बना
⚫ वैदिक मंत्र 4 से करवाई प्राण प्रतिष्ठा
⚫ 11 दिन के उपवास को खुलवाया चरणामृत से
हरमुद्दा
सोमवार 22 जनवरी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गर्भ गृह में प्राण प्रतिष्ठा करने के पश्चात देश के हजारों हजार विशिष्टों को संबोधित करते हुए कहा आज हमारे राम आ गए हैं। सदियों की प्रतिक्षा के बाद हमारे राम आ गए हैं। सदियों का अभूतपूर्व धैर्य, अनगिनत बलिदान, त्याग और तपस्या के बाद हमारे प्रभु राम आ गए हैं। इस शुभ घड़ी की आप सभी को, समस्त देशवासियों को बधाई। मैं गर्भ गृह में ईश्वरीय चेतना का साक्षी बनकर आपके सामने उपस्थित हुआ हूं।
कितना कुछ कहने को है, लेकिन कंठ अवरूद्ध है, शरीर स्पंदित है, चित्त अभी भी उस पल में लीन है। हमारे रामलला अब टेंट में नहीं रहेंगे। हमारे रामलला अब दिव्य मंदिर में रहेंगे। मेरा पक्का विश्वास है, अपार श्रद्धा है, जो घटित हुआ है, इसकी अनुभूति देश और विश्व के कोने-कोने में राम भक्तों को हो रही होगी। यह क्षण आलौकिक है। यह पल पवित्रतम है। यह माहौल, वातावरण, यह घड़ी, प्रभु श्रीराम का हम सब पर आशीर्वाद है।
भगवान श्री राम आग नहीं, ऊर्जा है
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि राम आग नहीं ऊर्जा हैं। वह विवाद नहीं समाधान हैं। वह वर्तमान नहीं अनंतकाल हैं। वह भारत के आधार भी हैं और विचार भी हैं। ये बातें सोमवार (22 जनवरी, 2024) को उन्होंने यूपी के अयोध्या में बने भव्य राम मंदिर में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद कहीं।
देव से देश और राम से राष्ट्र का बनेंगे आधार
यही समय है, सही समय है। आज से इस समय तक अगले 1000 साल तक की नींव रखनी है। मंदिर निर्माण से आगे बढ़कर सभी देशवाशी भव्य और दिव्य भारत के निर्माण की सौगंध लेते हैं। राम के विचार मानस के साथ जनमानस में भी हों, यह राष्ट्रनिर्माण की सीढ़ी है।आज के युग की मांग है कि हमें अपने अंतःकरण को विस्तार देना होगा। हनुमान की भक्ति, सेवा और समर्पण को हमें बाहर नहीं खोजना पड़ता। हर भारतीय में ये गुण निहित हैं। यही देव से देश और राम से राष्ट्र का आधार बनेंगे।
आज का सूरज अद्भुत आभा लेकर आया
प्रधानमंत्री ने राम मंदिर परिसर में संबोधन की शुरुआत “सियावर रामचंद्र की जय” के साथ किया। उन्होंने कहा, “आज हमारे राम आ गए। सदियों की प्रतीक्षा के बाद आज हमारे राम आ गए। यह पल पवित्रतम है। यह माहौल, यह वातारण, यह ऊर्जा, यह घड़ी प्रभु श्रीराम का हम सब पर आशीर्वाद है। कितना कुछ कहने को है पर कंठ (गला) अवरुक्त है। मैं अभी गर्भगृह में ऐश्वर्य चेतना का साक्षी बनकर सबके सामने उपस्थित हुआ हूं। अब हमारे रामलला टेंट में नहीं रहेंगे. वह इस दिव्य मंदिर में रहेंगे। 22 जनवरी 2024 का यह सूर्य एक अद्भुत आभा लेकर आया है. आज की तारीख कैलेंडर पर लिखी डेट नहीं यह एक नए कालचक्र का उद्गम है।”
कुछ तो कमी रही होगी जो यह काम इतनी सदियों तक न हो पाया
पीएम मोदी ने आगे कहा, “मैं प्रभु राम से क्षमा भी मांगना चाहता हूं। हमारे त्याग और पुरुषार्थ में कुछ तो कमी रह गई जो हम इतनी सदियों तक यह काम कर नहीं पाए। आज वह कमी पूरी हो गई। मुझे विश्वास है कि प्रभु मुझे अवश्य माफ करेंगे।” वह आगे यह भी बोले कि जहां राम का काम होता है, वहां हनुमान भी होते हैं। यही वजह है कि मैं हनुमानगढ़ी को भी प्रणाम करता हूं। मैं उनके अलावा और देवताओं और अयोध्यापुरी और सरयू को भी प्रणाम करता हूं। मैं इस वक्त दैवीय अनुभव कर रहा हूं जिनके महान आशीर्वाद से यह काम पूरा हुआ है।
ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करते हैं राष्ट्र
प्रधानमंत्री ने कहा कि गुलामी की मानसिकता को तोड़कर उठ खड़ा हुआ राष्ट्र ऐसे ही नव इतिहास का सृजन करता है। आज से हजार साल बाद भी आज की इस तारीख और पल की चर्चा करेंगे। यह कितनी बड़ी रामकृपा है कि हम सब इस पल को जी रहे हैं, इसे साक्षात घटित हो रहे हैं। आज दिन-दिशाएं, दिग-दिगंत, सब दिव्यता से परिपूर्ण हैं। ये समय सामान्य नहीं है, यह काल के चक्र पर सर्वकालिक स्याही से अंकित हो रही अमिट स्मृति रेखाएं हैं। साथियों हम सब जानते हैं कि जहां राम का काम होता है, वहां पवन पुत्र हनुमान अवश्य विराजमान होते हैं। इसलिए मैं रामभक्त हनुमान और हनुमान गढ़ी, माता जानकी, अयोध्या पुरी और सरयू को भी प्रणाम करता हूं।
लंबे वियोग से आई आपत्ति का हो गया अंत
पीएम मोदी ने कहा कि दैवीय आशीर्वाद और दिव्य आत्माओं की वजह से यह कार्य पूरा हुआ है। मैं इन सभी दिव्य चेतनाओं को भी नमन करता हूं। मैं आज प्रभु श्रीराम से क्षमा याचना भी करता हूं। हमारे पुरुषार्थ, हमारे त्याग, तपस्या में कुछ तो कमी रह गई होगी कि हम इतनी सदियों तक ये कार्य कर नहीं पाए। आज वो कमी पूरी हुई है। मुझे विश्वास है कि प्रभु राम आज हमें अवश्य क्षमा करेंगे। लंबे वियोग से आई आपत्ति का अंत हो गया। त्रेता युग में तो वह वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था।
न्याय के पर्याय श्रीराम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से बना
इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। भारत के तो संविधान की पहली प्रति में भगवान राम विराजमान है। संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु राम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। मैं भारत की न्यायपालिका का आभार व्यक्त करूंगा, जिसने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्यायबद्ध तरीके से ही बना।
कालचक्र फिर बदलेगा
पीएम मोदी ने कहा कि आज शाम घर-घर राम ज्योति प्रज्वलित करने की तैयारी है। कल मैं श्रीराम के आशीर्वाद से राम सेतु के आरंभ बिंदु पर था। जिस घड़ी प्रभु श्रीराम समुद्र पार करने निकले थे, वह पल था, जिसने कालचक्र बदला था। उसे महसूस करने का विनम्र प्रयास था। अब कालचक्र फिर बदलेगा और शुभ दिशा में बढ़ेगा। अपने 11 दिन के व्रत अनुष्ठान के दौरान मैंने उन स्थानों का चरण स्पर्श करने का प्रयास किया, जहां प्रभु श्रीराम के चरण पड़े थे। चाहे नासिक हो, केरल हो, रामेश्वरम हो या फिर धनुषकोडी, मेरा सौभाग्य है कि सागर से सरयू तक की यात्रा का अवसर मिला।
सागर से सरयू तक राम नाम का उत्सव छाया
सागर से सरयू तक रामनाम का वही उत्सव छाया हुआ है। प्रभु राम तो भारत की आत्मा के कण-कण से जुड़े हुए हैं। हम भारत में कहीं भी किसी की अंतरआत्मा को छुएंगे तो इसी एकत्व की अनुभूति होगी। देश को समायोजित करने वाला इससे उत्कृष्ट सूत्र और क्या हो सकता है। देश के कोने-कोने में रामायण सुनने का अवसर मिला है। पिछले 11 दिनों में रामायण अलग-अलग भाषाओं में सुनने का मौका मिला है।
उन सब के हैं हम ऋणी
राम को परिभाषित करते हुए ऋषिओं ने कहा है कि रमंते इति रामः। राम आग नहीं, ऊर्जा हैं… राम सिर्फ हमारे नहीं, सबके हैं राम के इस काम में कितने ही लोगों ने त्याग और तपस्या की। अनगिनत लोगों, कारसेवकों, संत-महात्माओं के हम सब ऋणी हैं। आज का अवसर उत्सवता का क्षण तो है ही, लेकिन यह क्षण भारतीय समाज की परिपक्वता के बोध का भी क्षण है।
यह अवसर सिर्फ विजय का नहीं विनय का भी
यह अवसर सिर्फ विजय का नहीं, विनय का भी है। दुनिया का इतिहास साक्षी है कि कई राष्ट्र अपने इतिहास में उलझ जाते हैं, जब देशों ने उलझी हुई गांठों को खोलने का प्रयास किया तो उन्हें सफलता पाने में कठिनाई आई है, लेकिन हमारे देश ने इतिहास की इस गांठ को जिस गंभीरता और भावुकता के साथ खोला है, यह बताता है कि हमारा भविष्य, हमारे अतीत से सुंदर होने जा रहा है। वो भी एक समय था, जब कुछ लोग कहते थे कि राम मंदिर बना तो आग लग जाएगी।
राम वर्तमान नहीं अनंत हैं
ऐसे लोग भारत के सामाजिक भाव की पवित्रता को नहीं जानते थे। रामलला के इस मंदिर का निर्माण भारतीय समाज के शांति, धैर्य, आपसी सद्भाव का प्रतीक है। हम देख रहे हैं कि निर्माण किसी आग को नहीं, बल्कि ऊर्जा को जन्म दे रहा है। अपनी सोच पर पुनर्विचार कीजिए, राम आग नहीं हैं, ऊर्जा हैं। राम विवाद नहीं, राम समाधान हैं। राम सिर्फ हमारे नहीं, राम सबके हैं। राम वर्तमान ही नहीं, राम अनंत हैं।
चांदी का छत्र लेकर पहुंचे गर्भ गृह की ओर प्रधानमंत्री
इससे पहले, सुनहरी रंग का कुर्ता, क्रीम रंग की धोती और उत्तरीय पहने प्रधानमंत्री मोदी नवनिर्मित राम मंदिर के मुख्य द्वार से अंदर तक पैदल चलकर कार्यक्रम स्थल पहुंचे और गर्भगृह में प्रवेश किया। प्रधानमंत्री इस दौरान अपने हाथ में लाल रंग के कपड़े में लिपटा हुआ चांदी का छत्र भी लेकर आए।
गर्भगृह में पीएम मोदी ने पंडितों के मंत्रोच्चारण के बीच अनुष्ठान शुरू किया। उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के लिए ‘संकल्प’ लिया। एक आधिकारिक प्रवक्ता ने बताया कि मध्यान्ह में साढ़े बारह बजे (12-29) बजे रामलला के नवीन विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की गई। प्राण प्रतिष्ठा के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉक्टर मोहन भागवत, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी, राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मौजूद रहे। पूजन विधि 111 आचार्य द्वारा संपन्न करवाई गई। मुख्य यजमान अनिल मिश्रा भी मौजूद रहे।
उपवास के दौरान हुआ कड़े नियमों का पालन
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा के बाद स्वामी गोविंददेव के हाथ से चरणामृत पीकर पीएम मोदी ने अपना उपवास खोला। पीएम मोदी ने रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर 12 जनवरी से विशेष अनुष्ठान शुरू किया था। इसी दौरान पीएम मोदी ने अनुष्ठान से जुड़े कड़े नियमों का भी पालन किया।