साहित्य सरोकार : मनुष्यता की पक्षधर हैं ‘बातें मेरे हिस्से की’
⚫ प्रो. रतन चौहान ने कहा
⚫ आशीष दशोत्तर की साक्षात्कार की पुस्तक का हुआ विमोचन
हरमुद्दा
रतलाम, 23 जनवरी। साहित्य , कला , संस्कृति अधूरी है , यदि वह मनुष्यता एवं सामाजिक निष्ठा के मूल्यों से रहित है । ‘बातें मेरे हिस्से की’ इस दृष्टि से मनुष्यता की पक्षधर तथा बहुत कम स्थान में बहुत कुछ कहती पुस्तक प्रतीत होती है। इस पुस्तक में समाहित साक्षात्कार सिर्फ़ साक्षात्कार नहीं वरन आत्मीय संवाद और संस्मरण भी हैं , जो साहित्य की समृद्ध विरासत को सहेजने की आकांक्षा रखते वर्तमान के लिए महत्वपूर्ण है । इस पुस्तक की आमद इस समय ज़रूरी भी थी। सचमुच आशीष दशोत्तर बधाई के पात्र हैं।
यह विचार युवा रचनाकार आशीष दशोत्तर की नई पुस्तक ‘बातें मेरे हिस्से की ‘ का विमोचन करते हुए वरिष्ठ कवि प्रो.रतन चौहान ने व्यक्त किए।
प्रेरित करने वाली है यह पुस्तक
जनवादी लेखक संघ द्वारा आयोजित विमोचन समारोह में वरिष्ठ कवि युसूफ़ जावेदी ने कहा कि अपने समय के महत्वपूर्ण रचनाकारों के साक्षात्कार को समाहित करती यह पुस्तक प्रेरित करने वाली और आवश्यक है।
साहित्य के लिए धरोहर
शायर सिद्दीक़ रतलामी ने कवि, समीक्षकों और फिल्मकार से आत्मीय संवाद के इस संग्रह को साहित्य के लिए धरोहर निरूपित किया। जलेसं अध्यक्ष रणजीत सिंह राठौर ने संग्रह को रतलाम के साहित्य जगत के लिए महत्वपूर्ण और प्रशंसनीय बताया। पुस्तक पर कीर्ति शर्मा, मांगीलाल नगावत ने भी अपनी टिप्पणी की।
चौदह शख्सियतों के साक्षात्कार हैं पुस्तक में
बोधि प्रकाशन से प्रकाशित आशीष दशोत्तर की पुस्तक ‘बातें मेरे हिस्से की’ में देश की प्रमुख 14 शख्सियतों के साक्षात्कार समाहित हैं । कलागुरु विष्णु चिंचालकर, कवि चंद्रकांत देवताले, विष्णु खरे , समीक्षक डॉ. मुरली मनोहर प्रसाद सिंह, फिल्मकार रामानंद सागर, उपन्यासकार डॉ. शरद पगारे, कवि डॉ. देवव्रत जोशी , भगवत रावत , पत्रकार प्रभाष जोशी, भाषाविद डॉ. जयकुमार ‘जलज’, शाइर विजय वाते , कवि बलराम गुमास्ता, अध्येता मांगीलाल यादव एवं चित्रकार महावीर वर्मा के साथ आशीष दशोत्तर की आत्मीय बातें शामिल है।