ज्ञान विज्ञान : “रोल एंड अचीवमेंट्स ऑफ वूमेन इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी” पर हुआ एक दिनी सेमिनार
⚫ प्रभारी प्राचार्य हरोड़ ने कहा – शताब्दी वर्ष महिला वैज्ञानिकों को समर्पित
⚫ मंजिल पाने के लिए समय प्रबंधन जरूरी : डीएसपी अनीशा जैन
⚫ समय के साथ बदलाव स्वयं से करें शुरू : डॉक्टर शेफाली शाह
⚫ जिज्ञासु बने रहे जीवनभर : सुषमा कटारे
हरमुद्दा
रतलाम 1 मार्च। स्थानीय शासकीय कला एवं विज्ञान महाविद्यालय के रसायन शास्त्र विभाग द्वारा एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन आईयूपीएसी GWB 2024 के अंतर्गत हुआ। जिसका शीर्षक ‘’रोल एंड अचीवमेंट्स ऑफ वूमेन इन साइंस एंड टेक्नोलॉजी’’ था।
सेमिनार की अध्यक्षता प्रभारी प्राचार्य डॉ. आर हरोडे ने की। विशेष अतिथि स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. शेफाली शाह, डीएसपी अनीशा जैन, प्राध्यापिका वनस्पति शास्त्र प्रो. सुषमा कटारे उपस्थित थीं। कार्यक्रम की शुरुआत महाविद्यालय में छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना तथा भारत की बेटी गीत के गायन से की गई।
शताब्दी वर्ष महिला वैज्ञानिकों को समर्पित
प्राचार्य डॉक्टर हरोड़ ने बताया कि आईयूपीएसी का यह शताब्दी वर्ष महिला वैज्ञानिकों को समर्पित है, जिसका मुख्य उद्देश्य महिलाओं को सशक्त करना तथा लिंग अनुपात में आने वाली बाधाओं को दूर करना है।
मंजिल पाने के लिए समय प्रबंधन जरूरी : डीएसपी अनीशा जैन
प्रथम तकनिकी सत्र की प्रथम वक्ता डीएसपी अनीशा जैन का व्याख्यान “ए जर्नी टू अचीव माय टारगेट” था जिसमें उन्होंने विद्यार्थियों को बताया कि अपनी मंजिल पाने के लिए समय प्रबंधन अनुशासन स्पष्ट उद्देश्य लॉ ऑफ़ अट्रैक्शन होना चाहिए उन्होंने बच्चों को स्वामी विवेकानंद के कथन ” उठो जागो और तब तक मत रुको जब तक लक्ष्य की प्राप्ति ना हो ” को जिंदगी में आत्मसात करने कों कहा।
समय के साथ बदलाव स्वयं से करें शुरू : डॉक्टर शेफाली शाह
द्वितीय वक्ता डॉक्टर शेफाली शाह ने कहा कि महाविद्यालय में इस तरह की गतिविधियों को प्रोत्साहित किया जाना चाहिए। स्वयं को बदलना होगा। इसकी शुरुआत स्वयं के घर से करना होगी, तभी लिंगानुपात समान हो पाएगा उन्होंने कहा कि “तू चल तेरे वजूद की समय को भी तलाश है”।
जिज्ञासु बने रहे जीवनभर : सुषमा कटारे
तृतीय वक्ता प्राध्यापिका सुषमा कटारे ने बताया कि जिज्ञासु बने रहो जीवन भर काम करते रहो l उन्होंने वनस्पति शास्त्र वैज्ञानिक रूथ सेंगर के बारे में बताया कि कुछ अनुवांशिक गुण मां के साइटोप्लाज्म से आते हैं उनके इस योगदान कों पहचान मिलने में बहुत समय लगा और उनके इस योगदान को बहुत समय बाद स्थान मिला, उन्होंने वैज्ञानिक थॉमस एडिसन के उदहारण से बताया कि मां अपने कमजोर बच्चे को भी वैज्ञानिक बना सकती है।
लगातार 3 वर्षों से gwb के तहत कार्यक्रम
सेमिनार की संयोजिका डॉ. मीनल गुप्ता ने बताया कि महाविद्यालय लगातार 3 वर्षों से GWB कार्यक्रम में महिला के लीडरशिप लिंगानुपात महिला सशक्ति करण सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर किए जा चुके हैं।
द्वितीय तकनीकी सत्र में ओरल प्रेजेंटेशन डॉ. शीतल जोशी, डॉ. वंदना राजावत, डॉ. निहारिका व्यास, अदिति जोशी, मानसी शर्मा, रोहन निगम, रुचिका भट्ट, देवांगी पंड्या ने दिया। पोस्टर प्रेजेंटेशन महाविद्यालय की विभिन्न कक्षाओं के के विद्यार्थियों द्वारा दिया गया। संचालन डॉ. रियाज मंसूरी किया। आभार डॉ. निशा जैन ने माना।