खास-खबर : ‘विश्वघस्त्र पक्ष’ की शुरुआत 23 जून से, भाजपा के छत्र भंग पर भी इसी का असर, देश-विदेश में होगी अप्रिय घटनाएं
⚫ 6 महीने पहले से 6 महीने बाद तक होता है असर
⚫ महाभारत के युद्ध के समय भी था 13 दिन का पक्ष
⚫ भाजपा अपने 272 सांसद भी नहीं जीता पाई
⚫ दुख का कारण बनने वाला पखवाड़ा कई बार आ चुका है पहले भी
⚫ हेमंत भट्ट
आषाढ़ कृष्ण पक्ष में 13 दिन का पखवाड़ा 23 जून से शुरू हो रहा है। इसे ‘विश्वघस्त्र पक्ष’ कहते हैं। तेरह दिवसीय विश्वघस्त्र पक्ष असाध्य रोगों का उत्पादक, छत्र भंग, उपद्रव पैदा करने वाला, हिंसा एवं रक्तपात बढ़ाने वाला, राष्ट्रों के मध्य युद्ध की स्थिति बनाने वाला, प्राकृतिक प्रकोप-दुर्घटनावश जन-धन की भीषण हानि करने वाला, समाज में अशांति एवं अराजकता के वातावरण का निर्मित करने वाला माना गया है। दुख का कारण बनने वाला पखवाड़ा पहले भी कई बार आ चुका है और अपना असर दिखाया है।
ज्योतिषाचार्य पंडित दुर्गाशंकर ओझा ने हरमुद्दा से चर्चा में बताया कि महाभारत के युद्ध के समय भी तेरह दिन का पक्ष पड़ा था। सनातन धर्म के ग्रन्थों तथा ज्योतिषशास्त्र में 13 दिवसीय पक्ष को ‘विश्वघस्त्र पक्ष’ का नाम देकर इसे विश्व-शांति को भंग करने वाला माना गया है। ऐसा माना जाता है कि इस पक्ष का असर तेरह मास के अन्दर अपना प्रभाव जरूर देता है। इसको धर्म एवं ज्योतिष के ग्रंथों में ‘विश्वघस्त्र पक्ष’ कहा गया है। धर्मग्रंथों में विश्वघस्त्र पक्ष को ‘कालयोग’ का नाम भी दिया गया है।
तिथि में होती है घट बढ़
हिंदी माह में 15 दिन का एक पखवाड़ा होता है, जिसे पक्ष भी कहते हैं। शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। एक पखवाड़े के 15 दिन होते हैं जिसमें प्रतिपदा से लेकर पूर्णिमा और अमावस तक के दिन तक रहते हैं। प्रतिपदा, द्वितीय, तृतीया, चतुर्थी, पंचमी, षष्ठी, सप्तमी अष्टमी, नवमी, दशमी, एकादशी, द्वादशी, त्रयोदशी, चतुर्दशी, पूर्णिमा और अमावस्या। वैसे तो एक पक्ष में कभी एक तिथि क्षय होती है। तो कभी एक ही तिथि दो बार होती है। इस तरह पखवाड़ा बराबर भी हो जाता है और 14 दिन का भी होता है। क्षय का मतलब होता है कम होना। आषाढ़ कृष्ण पक्ष में एकम (प्रतिपदा) क्षय हो गई है। इसलिए 13 दिन के पखवाड़े की शुरुआत ही द्वितीय से होगी है। इसी तरह त्रयोदशी भी क्षय हुई है। दो तिथियां क्षय हो गई और पखवाड़ा 13 दिन का रह गया। इसका समापन 5 जुलाई को होगा।
13 दिन के पखवाड़े से भाजपा हो गई प्रभावित
ज्योतिषाचार्य ओझा ने बताया कि 13 दिन का पखवाड़ा अनिष्ट कार्य मंगलकारी होता है। इसका प्रभाव एक वर्ष तक रहता है। 6 माह पहले से 6 माह बाद तक। अनिष्ट कारक सिद्ध होता है। भाजपा का छत्र भंग भी इसी योग के सर का परिणाम है। केंद्र सरकार में पहले जहां भाजपा का एक छत्र राज था। इस बार अनिष्टकारी पखवाड़े के चलते भाजपा को जोर का झटका लगा है। भाजपा को सरकार बनाने के लिए अन्य दलों का सहयोग लेना पड़ा। 272 संसद सदस्य को जिताना भी मुश्किल हो गया।
त्रयोदश दिने पक्षेस्तदा संहरते जगत्।
………..कालयोग: प्रकीतत:॥
कालचक्र के कारण जब तेरह दिन का पक्ष आता है, तब विश्व में संहार की स्थिति उत्पन्न होती है। तेरह दिवसीय विश्वघस्त्र पक्ष असाध्य रोगों का उत्पादक, उपद्रव पैदा करने वाला, हिंसा एवं रक्तपात बढ़ाने वाला, राष्ट्रों के मध्य युद्ध की स्थिति बनाने वाला, प्राकृतिक प्रकोप-दुर्घटनावश जन-धन की भीषण हानि करने वाला, समाज में अशांति एवं अराजकता के वातावरण का सृजनकर्ता पाया गया है। आतंकवाद, प्रशासन में संघर्ष, सीमा पर शत्रुओं का उत्पात, हिमपात, तूफान, भूकंप, जन धन हानि, समुद्री तूफान, ज्वालामुखी, विस्फोट आदि कई तरह की अमंगल कारी घटनाएं घटित होती है। प्राचीन ग्रंथों में इसे अमंगलदायक माना गया है।
“यदा च जायते पक्षस्त्रयोदश दिनात्मक:। भवेल्लोकक्षयो घोरो मुण्डमाला युतामही॥”
जब कभी तेरह दिवसीय पक्ष आता है, तब संसार में संहार होता है और महाकाली नरमुण्डों की माला धारण करती हैं।
64 सालों में 8 बार 13 दिन का पक्ष
पिछले 64 सालों में 8 बार 13 दिन का पखवाड़ा हुआ है। संवत 2016 में भाद्र माह में, 2030 में आश्विन माह में, 2031 में कार्तिक माह में, 2050 में आषाढ़ माह में, 2062 में कार्तिक माह में 2067 वैशाख माह में और 2078 भाद्र पक्ष में यह अवसर आया है। वर्तमान में संवत 2081 में यह अनिष्टकारी योग आया है।