सामाजिक सरोकार : भारतीय होने के नाते सबको नए कानून बनने का होना चाहिए गर्व
⚫ डीआईजी मनोज सिंह ने कहा
⚫ विधि महाविघालय में नए कानूनों पर राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ
⚫ अतिरिक्त सचिव भरत व्यास ने कहा- नए कानूनों पर नई सोच देने के लिए विधि महाविद्यालय की होगी पहचान
⚫ रविवार को होगा दो दिवसीय सेमिनार का समापन
हरमुद्दा
रतलाम 20 जुलाई। देश में 1 जुलाई से लागू नए कानूनों पर रतलाम एजुकेशनल सोसायटी द्वारा संचालित डॉ. कैलासनाथ काटजू विधि महाविद्यालय में शनिवार को राष्ट्रीय सेमिनार का शुभारंभ हुआ। उद्घाटन सत्र के मुख्य अतिथि रतलाम रेंज के डीआईजी मनोज सिंह रहे। विशेष अतिथि विधि एवं विधायी कार्य विभाग के अतिरिक्त सचिव भरत व्यास रहे। अध्यक्षता सेवानिवृत अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विजय वाते ने की।
नया और पुराना दोनों कानून पढ़ते होंगे विद्यार्थियों को : श्री सिंह
मुख्य अतिथि डीआईजी श्री सिंह ने इस मौके पर कहा कि भारतीय होने के नाते हम सबको नए कानून बनने का गर्व होना चाहिए। इन कानूनों के माध्यम से गुलामी की मानसिकता को खत्म किया गया है। पाकिस्तान, मलेशिया सहित कई देशों में आज भी वे कानून चल रहे है, जिन्हे खत्म कर भारत का नया कानून बनाया गया है। श्री सिंह ने नए कानून के तहत 15 दिन के पुलिस रिमार्ड, डिजिटल साक्ष्य एवं शून्य पर कायमी की व्यवस्था के साथ आतंकवाद जूडे बिंन्दुओं पर प्रकाश डाला। उन्होने कहा कि नया कानून लागू होने के बाद भी कुछ सालों तक नया और पुराना दोनो कानून पढ़ने होगे, क्योकि पुराने अपराधों की विवेचना पुराने कानून के तहत् ही होनी है।
कभी समाप्त नहीं होगा परिवर्तन : व्यास
विशेष अतिथि श्री व्यास ने कहा कि गूगल पर रतलाम की पहचान अब तक सेंव, सोना एवं साडी के लिए रही है, लेकिन सेमिनार आयोजन से नए कानूनों पर नई सोच देने के लिए डॉ. कैलासनाथ काटजू विधि महाविद्यालय के नाम से भी पहचान होगी। इस महाविद्यालय से डिग्री लेकर उनके पिता सिविल जज और फिर अन्य बडे पदों पर रहे है। नए कानूनों का जहां तक सवाल है, तो दुनिया में सबकुछ नष्ट हो सकता है, लेकिन परिवर्तन कभी समाप्त नहीं होगा। परिर्वतन के साथ बदलने वाले ही संसार मे रह सकते है। देश मे लागू तीनों नए कानून ऐसे ही परिवर्तन है ,जिनके साथ सबको आगे बढ़ना होगा। उन्होने नए कानून के नामों का मर्म समझाते हुए कहा कि भारतीय दण्ड सहिता को भारतीय न्याय सहिता और दण्ड प्रक्रिया सहिता को भारतीय नागरिक सुरक्षा सहिता नाम दिया है, जो न्याय और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करते है। पूर्व के कानून दण्ड प्रधान रहे, जबकि अब कानून न्याय प्रधान रहेगे।
हमेशा महत्वपूर्ण रही वकीलों की भूमिका : वाते
अध्यक्षता कर रहे श्री वाते ने कहा कि कानून एक दिन में नहीं बनते, अपितु इनमे अनवरतता हमेशा रहती है और परिवर्तन होते रहते है। वकीलों की भूमिका हमेशा महत्वपूर्ण रही है। देश को आजादी दिलाने से लेकर अब तक कई कार्यो में वकील ही आगे रहे है। हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट को वकील ही कानून के बारे में सोचने के लिए विवश करते है। नए कानूनों पर भी ऐसे ही विचारों की आवश्यकता है क्योकि इनमे न्याय का भाव छुपा है।
यह थे मंचासीन
महाविद्यालय ट्रस्ट उपाध्यक्ष एडवोकेट निर्मल कटारिया सचिव डॉ. संजय वाते, कोषाध्यक्ष केदार अग्रवाल, ट्रस्टी निर्मल लुनिया, कैलाश व्यास, सुभाष जैन, उमेश झालानी, डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला मंचासीन रहे।
दीप प्रज्वलित कर किया सेमिनार का शुभारंभ
अतिथियों ने सेमीनार का उद्घाटन मॉ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण और दीप प्रज्वलित कर किया। आरंभ में ट्रस्ट उपाध्यक्ष एड्वोकेट निर्मल कटारिया ने स्वागत भाषण दिया। ट्रस्टी एवं पूर्व उपसंचालक अभियोजन कैलाश व्यास ने सेमिनार के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। प्राचार्य डॉ. अनुराधा तिवारी ने सेमिनार के कार्यक्रमों की जानकारी दी। संचालन प्राध्यापक मीनाशी बारलो एवं तन्वी थापलिया ने किया आभार ट्रस्ट सचिव डॉ. संजय वाते ने माना।
सेमिनार का समापन रविवार को
समापन 21 जुलाई को शाम 4 बजे होगा, जिसमें विक्रम विश्व विद्यालय के कुलगुरू डाॅ. अखिलेश कुमार पांडे एवं एसपी राहुल कुमार लोढा अतिथि के रूप में शामिल होंगे।