साहित्य सरोकार : रचनात्मकता का यह सिलसिला शहर के लिए प्रेरक
⚫ ‘सुनें सुनाएं’ में पढ़ी गई महत्वपूर्ण रचनाएं
⚫ श्री अंकलेसरिया को दी श्रद्धांजलि
हरमुद्दा
रतलाम, 4 अगस्त। शहर में रचनात्मक गतिविधियों को नया आयाम देने के लिए सतत जारी ‘सुनें सुनाएं ‘ के प्रति सृजनशील साथियों का स्नेह और लगाव शहर के लिए प्रेरक है । इस दौर में जबकि पढ़ने – लिखने के प्रति नई पीढ़ी में अरुचि देखी जा रही है , ऐसे में रचनात्मक गतिविधियों से जुड़कर उसे आगे बढ़ना शहर के लिए बहुत सुखद है।
यह विचार सुनें सुनाएं के 23 वें सोपान में उभर कर सामने आए। जी .डी. अंकलेसरिया रोटरी हॉल रतलाम पर आयोजित कार्यक्रम में रचना प्रेमियों ने अपने प्रिय रचनाकार की रचना का पाठ कर इंद्रधनुषी काव्य रंग बिखेरे।
आयोजन में श्रीमती आशा श्रीवास्तव ने के. पी.सक्सेना की रचना ‘बैंक लॉकर’ का पाठ किया ।
नरेन्द्र त्रिवेदी ने एम.जे. हशमत की रचना ‘ मेरा जीवन कुछ ‘ का सस्वर पाठ किया। श्रीमती नीता गुप्ता द्वारा नज़र बट्टू की रचना ‘ अजीब सी धुन बजा रखी है ‘ का पाठ किया गया। श्रीमती सरिता दशोत्तर ने हरिशंकर परसाई की व्यंग्य लघुकथा ‘ अफ़सर कवि ‘ का पाठ किया। श्रीमती कविता व्यास द्वारा श्रीमती सुधा मूर्ति की रचना ‘तीन हज़ार टांके ‘ का पाठ तथा सुरेन्द्र सिंह कोठारी द्वारा ‘अरे श्याम क्यों छेड़ करता है’ का पाठ किया । अगले माह ‘सुनें सुनाएं’ आयोजन को 2 वर्ष पूर्ण हो जाएंगे।आगामी आयोजन पर विनोद झालानी द्वारा प्रस्तावित कार्यक्रम पर चर्चा की गई।
इनकी उपस्थिति रही
कार्यक्रम में श्री राम दिवे, मणिलाल पोरवाल, जितेंद्र सिंह पथिक , रीता दीक्षित , रजनी व्यास , सांत्वना शुक्ला , हरेंद्र कोठारी , नरेंद्र सिंह डोडिया , दिनेश जोशी बाजना , ज़मीर फारुकी , डॉ. मनोहर जैन , प्रकाश हेमावत ट्विंकल पवार , मानसी चौहान , शैलेंद्र शितूत , लगन शर्मा , ललित चौरडिया, डॉ. प्रदीप सिंह राव , कीर्ति कुमार शर्मा , प्रो. रतन चौहान , सुभाष यादव , राकेश पोरवाल , अशोक कुमार शर्मा , जी.एस. खींची ,गोविंद काकानी , राधेश्याम शर्मा , सिद्दीक़ रतलामी, आई.एल . पुरोहित , नरेंद्र सिंह पवार , रवि बोथरा , महावीर वर्मा , आशीष दशोत्तर एवं सुधिजन उपस्थित थे ।
श्री अंकलेसरिया को दी श्रद्धांजलि
कार्यक्रम की शुरुआत में वरिष्ठ समाजसेवी एवं उद्योगपति टी.एस. अंकलेसरिया के निधन पर ‘सुनें सुनाएं’ सदस्यों द्वारा 2 मिनट का मौन रख श्रद्धांजलि अर्पित की गई । लगभग एक वर्ष से अस्वस्थ श्री अंकलेसरिया का रविवार प्रातः मुंबई में निधन हुआ है। उपस्थितजनों ने श्री अंकलेसरिया के कार्यों का स्मरण किया और सामाजिक उत्थान के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयासों को महत्वपूर्ण निरूपित किया।