सामाजिक सरोकार : भारतीय चिंतन के अनुरूप है नए कानून, इलेक्ट्रॉनिक दस्तावेज भी अब होंगे साक्ष्य में शामिल
⚫ शासकीय अभिभाषक सतीश त्रिपाठी ने कहा
⚫ वन विभाग द्वारा किया गया कार्यशाला का आयोजन
हरमुद्दा
रतलाम, 5 अगस्त। 1 जुलाई से लागू हुए तीनों कानून भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता एवं भारतीय साक्ष्य अधिनियम में किए गए परिवर्तन भारतीय चिंतन के अनुरूप है। प्राचीन भारत में दंड की अपेक्षा न्याय को महत्व दिया गया है। भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में अपराध की विवेचना व्यापक की गई है। फेसबुक, व्हाट्सएप आदि संसाधनों से प्राप्त हुए दस्तावेज को मान्यता दी गई है। अब न्याय प्रणाली की जवाबदेही भी तय की गई है।
यह विचार अपरलोक अभियोजक एवं शासकीय अधिवक्ता सतीश त्रिपाठी ने व्यक्त किया। श्री त्रिपाठी नवीन आपराधिक कानून में हुए संशोधन को लेकर वन मंडल रतलाम रेंज की एक कार्यशाला में बतौर मुख्य वक्ता मौजूद थे।
किया गया है सजा का प्रावधान
श्री त्रिपाठी ने कहा मोबलिंचिंग, आतंकवाद तथा संगठित अपराध को परिभाषित करते हुए सजा का प्रावधान किया गया है। कार्यशाला में जिला वन अधिकारी नरेश कुमार दोहरे, एसडीओ श्री पारीक सहित अनेक रेंजर उपस्थित थे। संचालन रेंजर सीमा सिंह ने किया।