वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे सामाजिक सरोकार : कार्ल मैकाले की शिक्षा नीति में अंग्रेजी के बीज बोए -

सामाजिक सरोकार : कार्ल मैकाले की शिक्षा नीति में अंग्रेजी के बीज बोए

1 min read

प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा ने कहा

हिंदी पखवाड़े  का हुआ समारोह पूर्वक समापन

प्रतियोगिता के विजेता विद्यार्थियों को किया पुरस्कृत

हरमुद्दा
कलबुर्गी, 18 सितंबर। ख्वाजा  बंदानवाज़ विश्वविद्यालय, कलबुर्गी में हिंदी विभाग द्वारा आयोजित राजभाषा हिंदी पखवाड़े का समापन समारोह पूर्वक हुआ। मुख्य अतिथि प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा, विशिष्ट अतिथि  कुलपति प्रोफेसर अली रज़ा मूसवी, हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. देशमुख अफशां बेगम और सहायक आचार्य डॉ. मिलन बिश्नोई थे। अध्यक्षता संकाय अध्यक्ष (डीन) प्रोफेसर निशात आरिफ हुसैनी ने की।

प्रोफेसर ऋषभदेव शर्मा ने कहा कि भारतीय भाषाओं के बीच छोटे-बड़े का भेदभाव और नफरत की भावना के पीछे अंग्रेजी मानसिकता का भी हाथ है। कार्ल मैकाले की शिक्षा नीति में अंग्रेजी के बीज बोए गए । इसके पीछे भारतीय भाषा और ज्ञान परंपरा की रीढ़ को तोड़ना था।  इसका असर आज भी देखा जा सकता है। हिंदी के राजभाषा, जनभाषा और विश्वभाषा बनने के सफर को समझाते हुए उन्होंने कहा कि अगर हमें भारतीयता या हिंदुस्तानी संस्कृति को बचाना है, तो हमें हिंदी और भारतीय भाषाओं में संवाद जरूर करना चाहिए। उदाहरण स्वरुप कहा कि अस्सलाम वालेकुम सलाम का आप अंग्रेजी में क्या जवाब दोगे? यानि हिंदी हमारी तहज़ीब और तमीज की भाषा भी है।

हिंदी को बाधा नहीं,  पुल के रूप में देंखे

कुलपति प्रोफेसर अली रज़ा मूसवी ने  कहा कि हिंदी को बाधा नहीं, बल्कि एक पुल के रूप में देखा जाना चाहिए। हिंदी और हिंदुस्तानी भाषाओं को साथ मिलकर काम करना चाहिए। हमारे विश्वविद्यालय स्तर पर हिंदी और उर्दू विभाग को मनोविज्ञान, कला तथा विज्ञान वर्ग के साथ जुड़कर काम करना चाहिए।

हिंदुस्तान की सबसे सक्रिय भाषा हिंदी

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए संकाय अध्यक्ष (डीन) प्रोफेसर निशात आरिफ हुसैनी ने कहा अब समय जैंनेटिक्स भाषाओं के माध्यम नये आयामों से शोध करने का है। अंग्रेजियत में हम इतने डूब गए कि लेकिन हम अपनी भाषाओं के माध्यम से कौशल विकास कर सकते हैं।  हिंदी को हिंदुस्तान की सबसे सक्रिय भाषा हैं।

प्रतियोगिता की विजेताओं को किया पुरस्कृत

विश्वविद्यालय में दो सप्ताह तक विद्यार्थियों और संकाय/फैकल्टी (भाषा, कला, शिक्षा, वाणिज्य, विधि, विज्ञान, मेडिकल तथा इंजीनियरिंग) के लिए विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया था। सभी विजेता  विद्यार्थियों और आचार्यों को पुरस्कृत किया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed