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साहित्य सरोकार : दायित्वों के निर्वहन की त्रिवेणी हैं श्रीवास्तव

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पूर्व कमिश्नर आशीष सक्सेना ने कहा

साहित्य उत्सव सम्मान समारोह में साहित्यकार श्रीवास्तव की दो पुस्तकों का विमोचन

सरकार में रहते हुए लेखनी को बनाया प्रभावी और असरदार : दशोत्तर

श्रीवास्तव जैसे समर्पित अधिकारी देते हैं श्रेष्ठ योगदान : पूर्व विधायक सिसोदिया

सेवानिवृत्ति एक सुखद पड़ाव : श्रीवास्तव

श्रीवास्तव का किया शाल श्रीफल से अभिनंदन

हरमुद्दा
मंदसौर 13 नवंबर। लालबहादुरजी कल भी श्रेष्ठ थे आज भी श्रेष्ठ है। नैतिक दायित्वों का निर्वहन करते हुए शासन प्रशासन‌ को अपनी कला साहित्य संगीत नवाचारों से, विविध विधाओं से अनुकरणीय श्रेष्ठ सेवाएं शानदार 41सालों की शासकीय सेवाओं में समर्पित भाव से दी है। सेवानिवृत होकर नए पड़ाव की ओर अपने कदम रख रहे हैं। आप सृजनरत रहते हुए समाज को न‌ई दिशा प्रदान करते रहें।

यह बात पूर्व कमीश्नर (ग्वालियर चंबल संभाग ) आशीष सक्सेना ने जनपद पंचायत में पदस्थ सेवानिवृत सहायक विकास विस्तार अधिकारी  लालबहादुर श्रीवास्तव के मंदसौर में आयोजित “साहित्य उत्सव सम्मान समारोह” में व्यक्त किए। 

अतिथियों ने किया दो पुस्तकों का विमोचन

सम्मान समारोह के प्रारम्भ में मां सरस्वती का पूजन अर्चन अतिथियों द्वारा किया गया। अतिथियो‌ का पुष्पहारों से स्वागत राजेंद्र श्रीवास्तव  मुकुंद श्रीवास्तव माधव श्रीवास्तव दवारा किया गया। बांसुरी पर सरस्वती वंदना एवं  गीतों की प्रस्तुति रवि श्रोत्रिय, माउथ आर्गन पर  आंनद श्रीवास्तव,  अनिल त्रिवेदी ने दी। माधव श्रीवास्तव द्वारा लालबहादुर श्रीवास्तव के सेवाकाल‌ में श्रेष्ठ कार्यों की सेवा यात्रा का वीडियो‌ एल डी टी वी स्कीन पर प्रदर्शित किया गया।शुभकामना परिसर में श्रीवास्तव के अभिनव गीतों कविताओं पोस्टर के साथ श्रेष्ठ अवार्ड सम्मान पोस्टर उनके श्रेष्ठ कार्यों का बखान कर रहे थे। श्रीवास्तव की दो साहित्य कृतियां – शब्द शिल्प काव्य रेखांकन संग्रह, व्यंग्य तंरग व्यंग्य संग्रह का विमोचन अतिथियों द्वारा करतल ध्वनि से किया गया।

साहित्यकार आशीष दशोत्तर संबोधित करते हुए

सरकार में रहते हुए लेकिन को बनाया प्रभावी और असरदार

साहित्य सम्मान में उपस्थित साहित्यकार व्यंग्यकार आशीष दशोत्तर रतलाम ने  लालबहादुर श्रीवास्तव की दो कृतियां “शब्द शिल्प काव्य रेखांकन संग्रह एवं  “व्यंग्य तरंग” को रेखांकित करते हुए कहा-लालबहादुर श्रीवास्तव जी एक ऐसे कवि हैं जिन्होंने सरकार में रहते हुए अपनी लेखनी को प्रभावी और असरदार बनाए रखा है। व्यक्ति अभाव में भी लिखता है, दबाब‌ में भी लिखता है, प्रभाव में भी लिखता है, स्वभाव में भी लिखता है। श्रीवास्तव जी की कविताएं स्वभाव की कविताएं हैं। जो व्यक्ति स्वभाव से लिखता है वो शिष्ट भी होता है,मिष्ट भी होता है निष्ट भी होता है। ये तीन व्यक्तित्व किसी एक व्यक्ति को परिपूण बनाते हैं, जो शिष्टाचार भी निभाता है,मधुरता की बात भी करता है जो अपनी निष्ठाओं को भी निभाता है। इनकी रचनाओं को आप पढ़ेंगे तो अपनी जिंदगी के करीब इन्हें पाएंगे। कविताओं के साथ आपने सुंदर रेखांकनों से कविताओं को और भी प्रभावी बनाया है।

श्रीवास्तव जैसे समर्पित अधिकारी देते हैं श्रेष्ठ योगदान : पूर्व विधायक सिसोदिया

पूर्व विधायक यशपाल सिंह सिसोदिया ने कहा-  शासकीय योजनाओं, अभियानों, निर्वाचनों, लोक‌‌ उत्सवों , विकास यात्राओं में पिछले 41सालों से अपनी कलम कूंची से अगर लालबहादुरजी जैसे समर्पित अधिकारी कलमकार अपना श्रेष्ठ योगदान न देते तो शायद ही हम इन्हें धरातल पर साकार करने में इतने सफल होते। इन सालों में एक भी ग्रामीण व्यक्ति  जनप्रतिनिधि ने कभी भी मेरी विधानसभा में आपकी शिकायत आकर मुझसे नहीं  की, बल्कि आपके कार्यों की सदैव सराहना की है। मेरी विकास यात्राओं, कार्यक्रमों को आपने अपनी‌ रचनाओं से श्रेष्ठ मंच संचालन शैली से हमेशा सफल बनाया है। आपका लिखा मध्यप्रदेश पर्यटन गीत म्हारा मंदसौर मे थांको अभिनंदन है  ,जय जय मध्यप्रदेश प्रदेश की अनुगूंज है। ऐसे ईमानदार सेवाभावी लालबहादुरजी की सेवानिवृति उनके सुखद कायों की सुखद परिणिती है।

सेवानिवृत्ति एक सुखद पड़ाव : श्रीवास्तव

अपने सेवानिवृति साहित्य उत्सव सम्मान समारोह में स्वागत उद्बोधन देते हुए लालबहादुर श्रीवास्तव ने कहा -साहित्य संगीत कला ने जीवन में सुंदर रंग कलम कूंची से जीवन में भरें ।सेवानिवृति एक सुखद पड़ाव है। मेरी शासकीय सेवा में मेरी लेखनी को सदैव प्रोत्साहित करने वाले मित्र आशीष सक्सेना, डाक्टर जे के जैन,  यशपालसिंह सिसोदिया जैसे वरिष्ठ अधिकारी विधायक हैं जिनके मार्गदर्शन में निरन्तर श्रेष्ठ कार्य करने का प्रोत्साहन मिलता रहा। आपने काव्य कृतियों पर विशेष सहयोग के लिए  यशवंत व्यास प्रसिद्व व्यंग्यकार, डॉ. देवेंद्र शर्मा कार्टूनिस्ट डॉ. घनश्याम वरिष्ठ पत्रकार के प्रति धन्यवाद ज्ञापित किया।  इस प्रसंग पर आपने अपना सुमधुर गीत मैं शिवना सा कल कल मन अन्मतरमन बहता रहता हूं सुनाकर सबको मंत्रमुग्ध कर दिया।

श्रीवास्तव का किया शाल श्रीफल से अभिनंदन

सम्मान समारोह में वरिष्ठ पत्रकार विक्रम विधार्थी, साहित्यकार भगवती प्रसाद गेहलोत, नंदकिशोर राठौर, महेश त्रिवेदी,सी ई ओ अनिल त्रिवेदी, समाजसेवी नरेंद्र त्रिवेदी, गायक आशीष मराठा, अजीज‌उल्लाह खान, राजाराम तंवर, डॉ. विशाल गौड़ शैलेंद्र माथुर, विक्रम भटनागर‌महेद्र भटनागर, डॉ. सुरेश पमनानी, डॉ. अनिल नकुम, डॉ. सुभाष कोठारी, सी ए विकास भंडारी, कायस्थ समाज लाफ्टर क्लब,  वाल्मिकी समाज हिंदी साहित्य सम्मेलन, जन परिषद चैप्टर के सदस्य एवं  परिजनों स्नेहियों  द्वारा श्री श्रीवास्तव का पुष्पमाला शाल श्री फल से अभिनंदन किया। संचालन डॉक्टर घनश्याम बटवाल ने किया।  आभार पंकज कानूनगो ने माना।
  

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