मुद्दे की बात : उपभोक्ता न्यायालय में जाने की प्रक्रिया में जटिलताएं बढ़ी, न्याय के लिए आर्थिक बोझ
⚫ उस पद्धति को वर्तमान में भी आधुनिक तकनीक के साथ जारी रखा जाना आवश्यक है, जिससे उपभोक्ता जागरूक होने के साथ ही सहज एवं सरल तरीके से परिवाद प्रस्तुत कर सके क्योंकि भारत में अधिकांश उपभोक्ता ग्रामीण क्षेत्र से होकर तकनीक से अनभिज्ञ रहते हैं। ⚫
⚫ सुनील पारिख
प्रतिवर्ष 24 दिसंबर को राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस मनाया जाता है, जिसमें उपभोक्ताओं को जागरूक करने के लिए कई पहल एवं प्रयास किए जाते हैं किंतु उपभोक्ताओं के लिए बनने वाली योजनाओं में उपभोक्ताओं को ही परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
मुद्दे की बात यह है कि उपभोक्ता न्यायालय में जाने के लिए पहले सीधे परिवाद दायर किया जा सकता था, किंतु कुछ वर्षों से ई दाखिला ऑनलाइन प्रक्रिया प्रारंभ की गई। ऑनलाइन के साथ ही हार्ड कॉपियां भी ली जा रही है, जिससे उपभोक्ताओं को परिवाद प्रस्तुत करने में शुरुआत ही आर्थिक बोझ के साथ शुरू होता है। वास्तव में जब उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम बनाया गया था, तब उसकी मंशा यह थी की इस अधिनियम के उद्देश्य को प्राप्त किया जा सके, क्योंकि यह अधिनियम सामाजिक लाभ प्राप्ति के लिए बनाया गया है किंतु वर्तमान में आधुनिक पद्धति के नाम पर उपभोक्ताओं को न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करने में ही कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वर्ष 2024 उपभोक्ता दिवस पर पुनः जागो ग्राहक जागो एप जागृति एप जागृति डेस्क बोर्ड का शुभारंभ किया जा रहा है, ऑनलाइन प्रक्रिया वर्तमान समय में अच्छी बात हो सकती है किंतु यदि प्रक्रिया में परेशानी उत्पन्न होने लगे तो सहज और सरल न्याय संभव नहीं हो पाता है।
ग्रामीण रहते हैं तकनीक ज्ञान से अनभिज्ञ
परिवाद हार्ड कॉपी में ही लिया जाना चाहिए जैसा की अधिनियम बनने के समय कहा गया था कि यह सहज एवं सरल प्रक्रिया अनुसार होगा। उस पद्धति को वर्तमान में भी आधुनिक तकनीक के साथ जारी रखा जाना आवश्यक है जिससे उपभोक्ता जागरूक होने के साथ ही सहज एवं सरल तरीके से परिवाद प्रस्तुत कर सके क्योंकि भारत में अधिकांश उपभोक्ता ग्रामीण क्षेत्र से होकर उक्त तकनीक से अनभिज्ञ रहते हैं।
⚫ लेखक स्टडी सर्कल स्वैच्छिक उपभोक्ता संगठन के अध्यक्ष हैं।